क्या भारत में महिलाओं से ज्यादा गाय जरूरी हैं?
हमारे देश में सनसनी फैलाने के लिए मजहब एक आसान रास्ता है.
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पिछले कुछ दिनों से एक खबर ने मुझे ये सोचने को मजबूर किया कि इस राष्ट्र की प्रथमिकताएं क्या हैं? हां, मैं जैन पर्व के उपलक्ष में चार दिन महाराष्ट्र में विवादास्पद बीफ पर लगे प्रतिबंध के बारे में बात कर रही हूं.
इस प्रतिबंध को सबसे पहले कांग्रेस में सन 1994 में लगाया था. पर तब ये सिर्फ दो दिनों के लिए था. लेकिन इस बार ये दो से चार दिन का हो गया है. शुक्रवार से जानवरों के वध और मांस की बिक्री पर रोक लगाने के लिए बीजेपी-शिवसेना से प्रभावित नगर निकायों को धन्यवाद देना चाहिए.
इस खबर को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन बताते हुए सोशल मीडिया का गुस्सा फूट पड़ा है. ऐसा लगता है कि नगर निकायों पर प्रभाव रखने वाली बीजेपी की गणबंधन सहयोगी शिवसेना की जैन समुदाय को खुश करने की राजनीतिक चाल है जो 2017 के चुनावों में वोट देगी. हालांकि बीजेपी की फेशनेबल प्रवक्ता शायना एन सी ने इसे 'धार्मिक भावनाओं का सम्मान' बताया है.
और इस पर मेरा कहना है कि, जैसे कि वो खुद एक महिला हैं, पढ़ी लिखी हैं और दक्षिण मुंबई की एक संभ्रांत नागरिक हैं, तो मोहतरमा, क्या गाय, मुर्गे और बकरियां हम महिलाओं से ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं?
मैं अपनी बात को स्पष्ट करना चाहूंगी. महाराष्ट्र में हर महीने औसतन 317 महिलाओं और बच्चों का बलात्कार और 1050 को प्रताणित किया गया और इस साल जनवरी और मई के बीच ही अचानक धार्मिक सहिष्णुता के उपदेश दिए जाने लगे.
ये भयानक आंकड़े महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा जुलाई में विधानसभा में रखे गए आंकड़ों का एक हिस्सा थे जिसमें कहा गया था कि इसी दौरान प्रदेश में बच्चों के अपहरण के 2,394 मामले दर्ज किए गए थे.
आंकड़ों के अनुसार, 2015 के शुरुआती पांच महीनों में बलात्कार के 15,85 मामले और बलात्कार की कोशिश के 11 मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा, राज्य के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में महिलाओं और बच्चों के उत्पीड़न के 5,250 मामले दर्ज किए गए. आंकड़ों में ये भी पता चला कि बच्चों पर किए गए अपराधों के कुल 5,035 मामले दर्ज हुए, जिनमें 196 लड़कियों का अपहरण और 96 का बलात्कार हुआ था.
फडणवीस, जो संयोग से गृह विभाग के प्रमुख भी हैं, उन्होंने सभी पार्टियों के विधायकों को लिखित जवाब देकर, सभी पुलिस आयुक्तों और जिला पुलिस मुख्यालय के द्वारा नियंत्रित अपराध की रोकथाम के लिए बनी इकाइयां और स्पेशल सेल पीडितों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए सहायता करने का दावा किया था. उन्होंने कहा कि 'महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस में हर स्तर पर विशेष समितियां हैं'. महिलाओं और बच्चों पर यौन हिंसा के इन मामलों पर अब तक क्या किया गया? क्या किसी ने कोई हिसाब रखा? मार्च 2015 में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने लोकसभा में बताया कि महिलाओं पर बलात्कार और हमलों के मामलों में इजाफा हुआ है, इस तरह के सबसे ज़्यादा मामले महाराष्ट्र में हैं (13,827).
फिर भी, वो राज्य जो अगस्त में औरंगाबाद जिले में 22 वर्षीय महिला के 4 लोगों द्वारा सामूहिक बलात्कार किए जाने से हिला हुआ था, उस राज्य में मीट पर प्रतिबंध लगाना राजनेताओं की सबसे बड़ी प्राथमिकता है. एक निजी फर्म की कर्मचारी और बीड जिले की निवासी पीडिता शहर घूमने आई हुई थी. वो एक दोस्त के साथ थी, और उन्हें कुछ लोगों ने घेर लिया. जबकि दो ने उसके दोस्त पर हमला किया और बाकी महिला को घसीटकर पास के खेत में ले गए, जहां सबने बारी बारी उसका बलात्कार किया.
इसके पहले, जुलाई में महाराष्ट्र के जालना में एक 17 वर्षीय लड़की का दो बार सामूहिक बलात्कार किया गया. पीडिता का दूसरी बार बलात्कार तब हुआ जब पुलिस ने आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ने की नीयत से पीडिता को आरोपी से मिलने जाने को कहा, लेकिन वो असफल रहे. बाद में दोनों बलात्कारियों को गिरफ्तार कर लिया गया.
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