New

होम -> समाज

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 23 जुलाई, 2015 07:27 PM
विक्रम जौहरी
विक्रम जौहरी
  @vikram.johari
  • Total Shares

सिर्फ चमक-दमक और सफलता ही नहीं बल्कि अकेलापन भी मेट्रो शहरों की ही देन है. भागदौड़ भरी जिंदगी, हजारों टेंशन, और उसके बाद अकेलापन किसी मुश्किल चुनौती से कम नहीं होते. शहरी युवाओं के लिए काम की टेंशन के बाद प्यार के लिए शायद ही वक्त बच पाता हो. शायद इसीलिए मेट्रो लाइफ में अकेलेपन और सेक्शुअल जरूरतों से जूझने के लिए वन नाइट स्टैंड्स जैसे कल्चर का चलन तेजी से बढ़ा.

न प्यार की झंझट, न वादे पूरे करने की जररूत, बस वासना की आग को शांत करने के लिए अकेली रातों में दो जिस्मों का मिलन ही ऐसे वन नाइट स्टैंड्स की पहचान बन गया. शरीर की जरूरतें पूरी होने से यह शुरुआत में तो अच्छा लगता है लेकिन धीरे-धीरे जब इंसान इसके दूसरे पहलुओं से रूबरू होता है तो उसके होश उड़ जाते हैं.

वन नाइट स्टैंड्स या सिर्फ सेक्स के लिए बनाए गए संबंध आपको क्षणिक सुख तो दे देते हैं लेकिन आपको पूर्ण संतुष्टि कभी नहीं दे पाते. आपकी आत्मा कभी इन संबंधों से संतुष्ट नहीं हो पाती. आपको आत्मा की संतुष्टि के लिए जिस प्यार की तलाश होती है वह संतुष्टि ऐसे संबंध कभी नहीं दे पाते.

साथ ही अगर आप किसी से प्यार करते हैं और किसी दूसरे शहर में आने की वजह से आप उससे दूर हो गए हैं तो ऐसे में वन नाइट स्टैंड्स या कैजुअल सेक्शुअल रिलेशनशिप आपके अंदर पछतावा और उसे धोखा देने जैसी भावनाएं भी पैदा करते हैं जो आपका जीना मुहाल कर देती हैं. आपको अपने किए पर पछतावा होना लगता है और आप खुद को दोषी मानते हुए अंदर ही अंदर घुटने लगते हैं.

शायद यही वजह है कि अब वन नाइट स्टैंड्स जैसे चलन प्यार के आगे कमजोर पड़ते जा रहे हैं. अब लोग अकेले होकर भी किसी अजनबी के साथ वासना के कुछ पल बिताना नहीं चाहते. उन्हें उनसे हजारों किलोमीटर दूर मौजूद उनके प्यार से वर्चुअल मिलन वासना की आग को ठंडा कर देने के लिए काफी होता है. अपने प्यार से फोन और इंटरनेट के जरिए ही सही, लेकिन उससे जुड़कर वह भटकने और किसी अजनबी के साथ कुछ निजी पल बिताने के मोह से बच जाते हैं.

इसका फायदा यह होता है कि वह बाद में कुछ रोमांच के पल बिताने के बदले हजारों टेंशन और खुद को दोषी मानने जैसी भावनाओं से बच जाते हैं. उन्हें किसी को धोखा देने और कुछ गलत करने या किसी सामाजिक मर्यादा को तोड़ने के अहसास के साथ नहीं जीना पड़ता. कोई दूर रहकर ही सही लेकिन उसका प्यार उन्हें वह ताकत देता है जिससे वह सेक्स की आग में पड़कर खुद को भटकने से रोक पाते हैं.

अब शहरी युवाओं ने अकेलेपन और सेक्स की जरूरतों से जूझने के लिए एक और नया विकल्प तलाश लिया है और वह है पॉर्न देखकर संतुष्ट हो जाना. लेकिन जिस तरह का पॉर्न वह पहले देखते थे अब वह भी बदल रहा है. अब वे पॉर्न में सिर्फ इंटरकोर्स नहीं देखना चाहते हैं बल्कि उसमें प्यार, अहसास और कोमलता चाहते हैं. वे अब उसमें एक-दूसरे को नजरें मिलाते हुए देखना चाहते हैं, चूमते हुए देखना चाहते हैं. एक दूसरे को बांहों में भरते और प्यार जताते देखना चाहते हैं. कुलमिलाकर कहें तो वे अब एक रोमांटिक पॉर्न देखना चाहते हैं, और ऐसा पॉर्न देखकर उनकी आत्मा को संतुष्टि मिलती है.

शहरी लाइफ में आया यह बदलाव रोचक है, इससे प्यार की कोमल भावनाओं ने सेक्स की उद्वेग भावनाओं की जगह ले ली है. वन नाइट स्टैंड्स और कैजुअल सेक्स बीते दौर की बात बन गई है और आज के युवा के लिए सेक्स से ज्यादा जरूरी प्यार हो गया है.

#मेट्रो, #युवा, #सेक्स, मेट्रो, युवा, सेक्स

लेखक

विक्रम जौहरी विक्रम जौहरी @vikram.johari

लेखक, समलैंगिक

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय