लॉकडाउन में बेरोजगार लड़कियों की शादी की कहानी
लॉकडाउन (Lockdown 2020) के समय में कुछ ऐसी लड़कियों के माथे पर भी सिंदूर सजा दिखा, जिनके बारे में मैं जानती थी कि ये अपने करियर (Career) के लिए घरवालों से दो साल और दे दो वाली लड़ाई लड़ रही थीं. फिर अचानक चट मंगनी पट ब्याह हो गया. इसके पीछे की कहानी ने हमारे समाज का एक न बदलने वाला चेहरा उजागर किया है.
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शादी के सीजन में फेसबुक देखते ही भर-भर के शादियों की पिक्चर्स की भरमार वो भी लॉकडाउन (Lockdown 2020) के समय में. इनमें से कुछ ऐसी लड़कियों के चेहरे थे. जिनका पता था अभी ये दो साल तक तो शादी नहीं करने वाली. जो करियर (Career) के लिए घरवालों से दो साल और दे दो वाली लड़ाई लड़ रही थीं. या निश्चिंत थीं कि अभी कोई मेरी ज़बरदस्ती शादी (Marriage) तो नहीं करवा सकता. फिर ऐसा अचानक क्या हुआ जो चट मंगनी पट ब्याह हो गया.
दरअसल, यह दौर था ल़ॉकडाउन और बेरोजगारी का या फिर वर्क फ्रॉम होम का. हम ये नहीं कहते कि सभी शादियां ज़बरदस्ती करवाई गईं, लेकिन यह संयोग कैसे बना यह जरूर बता सकते हैं. तो मिडिल क्लास फैमिली और हाई मिडिल क्लास फैमिली को अपने दिमाग में जरूर रख लीजिए. क्योंकि हमारे देश में फैमिली प्रेशर देने के 10 तरीके आते हैं. शादी का मंडप, गाना -बजाना, पकवान, फूफा जी का मुंह बनाना और पड़ोस की आंटी के ताने कि खाने में नमक कम है तक तो ठीक है. लेकिन उन लड़कियों का क्या...जिन्होंने ल़ॉकडाउन की वजह से डिज़ाइनर लहंगे से लेकर मेकअप और अपनी शादी तक में कंप्रोमाइज किया.
लॉकडाउन में लड़कियों की शादी की वजह क्या है
सबसे पहले बात करते हैं मानसी की, जो एकदम बिंदास, अल्लहड़ और लड़ाकू है. जिसे किचन में सिर्फ चाय, मैगी और टोस्ट के अलावा कुछ बनाना नहीं आता था, या फिर अभी वो बिल्कुल बनाना नहीं चाहती थी. हां वो खाने और घूमने की शौकीन थी. साथ ही अपने दोस्तों की जान भी.
घर में दूसरे नंबर की बेटी होने की वजह से कभी घरवालों ने खाना बनाने का प्रेशर दिया भी नहीं. अभी कॉलेज पूरी करके दिल्ली में कदम रखा. मानसी ने टेक्सटाइल में सरकारी कॉलेज से पॉलिटेक्निक किया है. यहां एक डिज़ाइनर कंपनी में जॉब शुरू भी कर दी. रोज 8 बजे वो अपने रूम से निकल जाती थी और रात 9 बजे वापसी करती. 6 महीने होने के बाद अब उसे अपने घर जाना था. होली का समय था इसलिए उसने कंपनी में पहले ही बोलकर छुट्टी ले ली.
घर जाने के कुछ दिनों बाद लॉकडाउन लग गया. जॉब चली गई. कुछ दिनों बाद रोके की फोटो आ गई, सगाई की डेट फिक्स हो गई. एक महीने बाद मानसी की सगाई और फिर शादी हो गई. हल्दी वाले दिन पीले कपड़े में खूबसूरत मानसी खूब नाची और रोई भी. जयमाल के स्टेज पर भी आंखें बार-बार भर आ रही थीं. इतने सारे इमोशन और नई जिम्मेदारी. काश, इन सबके लिए उसे थोड़ा टाइम और मिल गया होता. उसके अंदर का बच्चा और प्यार से तुतलाकर बोलना, ऐसा लगता था जैसे वो अभी भी दिमाग से बच्ची है. हां, लेकिन सब यही बोल रहे थे कि अच्छा रिश्ता है, लड़का अच्छा है. मानसी फिर दिल्ली नहीं आई. भईया, फैमिली प्रेशर होता क्या है जब पाला पड़ेगा तो समझ जाओगे.
अब एक दूसरी कहानी बताती हूं, एक बेफ्रिक लड़की पायल की. जिसके घरवाले बहुत पैसे वाले हैं. पिता सरकारी अधिकारी हैं और बाकी रिश्तेदार भी संपन्न हैं. पायल अपने दम पर कुछ करना चाहती थी. वह अपने घरवालों से बहुत प्यार करती है. पायल एक MNC कंपनी में कंटेंट राइटिंग का काम कर रही थी. जो अपने घर इसलिए कम जाती थी कि कहीं घरवाले शादी न करा दें. बड़ी बहन की शादी के बाद अब सबकी नजरें पायल पर थी.
कंपनी ने लॉकडाउन लगने के पहले ही वर्क फ्रॉम होम कर दिया. इसलिए फैमिली ने फटाफट फ्लाइट की टिकट बुक की और वो घर पहुंच गई. पायल को लगा चलो बच गई वरना वहीं शहर में फंस जाती, लेकिन फंसना किसे कहते हैं उसे तीन-चार महीने बाद समझ आया. हर रोज लड़कों की फोटो देखकर बात करके वह ऊब चुकी थी.
घरवालों ने समझाया शादी तो करनी है तो अभी कर लो, फिर बाद में करते रहना जो करना है. पायल ने फोन पर बताया कि उसका क्या रूटीन चल रहा है घर पर. इतने लड़कों की फोटो देख ली है कि उल्टी आ रही है. थोड़े दिन बाद शादी का कार्ड मोबाइल पर आ गया. 10 दिन के अंदर सब कुछ फिक्स. जैसे घरवाले पहले से ही सारी तैयारी करके बैठे थे. उम्मीद है उसे वैसा जीवन साथी मिला हो जैसा वह चाहती थी.
तीसरी कहानी सपना की है. जिसने कोई प्रोफेशनल कोर्स तो नहीं किया था, लेकिन अपनी मेहनत के दम पर एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी जॉब कर रही थी और अपने सपने को भी जी रही थी. अब बिज़नेस फैमिली में पैसों की कमी तो थी नहीं इसलिए घरवाले हमेशा बोलते थे कि क्या 20-30 हजार के लिए घर से दूर हो. पेरशान होती हो. इस बार घर आओ तो हमेशा के लिए आना.
कई बार सामान जा चुका था, लेकिन वह फिर अपने सपनों के शहर आ गई थी. जैसे पिछले साल (2019) दिवाली पर. इस लॉकडाउन में जॉब जाने पर घर जो गई, वापस न आई. उसकी सगाई हो चुकी है. उसे अपने पसंद के लड़के से शादी करनी थी लेकिन लड़के की सैलरी घरवालों को रास नहीं आई और अब एक बिजमेसमैन सेे उसकी शादी होने वाली है.
ऐसे ही हुआ होगा नैना, गुड़िया, मीरा... के साथ, नाम से क्या फर्क पड़ता है? फर्क इस बात से पड़ता है कि उन लड़कियों के साथ ऐसा हुआ क्यों? वो भी पढ़ी-लिखी नौकरी करती लड़कियों के साथ. क्या जिन लड़कों की नौकरी गई उनके साथ भी ऐसा कुछ हुआ. पहले ही बता दूं, मैं ना तो पुरुष विरोधी हूं और ना ही शादी के खिलाफ हूं.
बात यह है कि शादी से पहले लड़कियों को मेंटली रूप से भी तैयार होना पड़ता है चाहे उनकी उम्र कितनी भी है. जब मां-बाप लड़कियों को इतनी मेहनत करके पढ़ा-लिखा रहे हैं तो उन्हें आगे बढ़ने का मौका भी तो देना चाहिए, फिर कराइए अपनी बेटियों की शान से शादी. लेकिन उनको इमोशनली मजबूर करके या मजबूरी में नहीं. पता है आपके बारे में 4 लोग, 10 बातें कहेंगे. तो उनको कहने दीजिए. सिर्फ इस बात की चिंता करिए कि आपकी दुखी बेटी क्या कहेगी. इस बात की परवाह कीजिए कि उसकेे सपने टूटेंगे तो वो क्या सोचेगी.
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