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Updated: 08 अगस्त, 2018 11:01 AM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पहले बिहार का मुजफ्फरनगर और फिर अब यूपी का देवरिया. यहां के बालिका गृह वहां रहने वाली बच्चियों के लिए डरावनी गुफा बन गए हैं. अभी हम बालिका गृहों में बच्चियों के साथ होने वाली रेप की घटनाओं को सुलझा भी नहीं पाए हैं कि एक स्कूल में एक बच्चे के साथ छेड़छाड़ की जो घटना सामने आई है, उसने सबको हैरानी में डाल दिया है. इस देश में एक लड़की के लिए सबसे बड़ा गुनाह है उसका खूबसूरत होना और किसी बच्चे या बच्ची के लिए सबसे बड़ा गुनाह है क्यूट होना. अगर ऐसा न होता तो दिल्ली के दशमेश पब्लिक स्कूल में पढ़ रहे मासूम को निशाना न बनाया जाता. जब उसके साथ छेड़छाड़ हुई तो बच्चा चुप नहीं रहा, बल्कि उसने टीचर से इसकी शिकायत भी की, लेकिन उसकी टीचर की मानसिकता तो देखिए. यूं तो उस टीचर को छेड़छाड़ करने वाले बच्चों को डांटना चाहिए था, लेकिन उन्होंने तो बच्चे की क्यूटनेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. सोचने वाली बात ये है कि ये स्कूल हमारे बच्चों को कौन सी शिक्षा दे रहे हैं?

स्कूल जाने का दबाव डालने पर बच्चा आत्महत्या की धमकी देने लगा.छेड़छाड़, दिल्ली, अपराध, स्कूल

'इतने क्यूट हो, कोई भी छेड़ेगा'

ये घटना पूर्वी दिल्ली के एक पब्लिक स्कूल की है. यहां कक्षा 4 में पढ़ने वाले एक बच्चे के साथ स्कूल बस में कुछ बच्चों ने छेड़छाड़ की और उसके साथ मारपीट भी की. ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीन बार हुआ. पहले 27 जुलाई, फिर 30 जुलाई और फिर 1 अगस्त को दोपहर 1.45 बजे छुट्टी के बाद स्कूल बस में बच्चे से छेड़छाड़ और मारपीट की गई. दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक 9 साल के उस मासूम ने इसकी शिकायत बस इंस्ट्रक्टर शिक्षिका पुष्पलता से की तो उन्होंने कहा- 'तुम इतने क्यूट हो कि हर कोई तुम्हें छेड़ेगा.' हालांकि, अब इसकी शिकायत पुलिस में की गई है और पुलिस ने तीन छात्रों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया है.

ये क्या शिक्षा दे रहे हैं स्कूल?

यहां सोचने वाली बात है कि आखिर ये स्कूल बच्चों को क्या शिक्षा दे रहे हैं? जिस स्कूल में बच्चों को ये सिखाया जाए कि वो क्यूट हैं या खूबसूरत हैं, इसलिए उन्हें हर कोई छेड़ेगा, ऐसे स्कूल में बच्चे क्या सीखेंगे? क्या आगे चलकर वो भी इसी तरह के अपराध नहीं करेंगे? बच्चों का मन एक कोरे कागज जैसा होता है, जिस पर कुछ भी लिखा जा सकता है. बच्चे किताबों से अधिक अपने आस-पास के माहौल से सीखते हैं. अपने घर के अलावा बच्चा सबसे अधिक समय स्कूल में बिताता है, जहां से वह बहुत सारी अच्छी और बुरी चीजें सीखता है. जिस स्कूल की टीचर ही ये सिखाएंगी कि क्यूट बच्चों के छेड़ा जाता है, वो बच्चा आगे चलकर रेप जैसे अपराध को भी बेझिझक क्यों नहीं अंजाम देगा. वहीं दूसरी ओर, छेड़खानी कर रहे बच्चों को बचाना यानी अपराध में साथ देना. यानी जितना गलत काम वो बच्चे कर रहे थे, उससे भी अधिक गलत किया है स्कूल की टीचर ने.

अब जरा देखिए उस बच्चे की हालत

वो क्यूट सा बच्चा, जिसके साथ बस में रोज छेड़खानी होती, उसने स्कूल जाने से ही मना कर दिया. घरवालों को ये बात समझ नहीं आई कि बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है. उस घटना के बाद स्कूल से आकर बच्चे ने खुद को एक कमरे में बंद भी कर लिया था. जब घरवाले स्कूल जाने का दबाव डालते तो 9 साल का वो मासूम कहता कि वो चाकू से अपना गला काट लेगा या छत से कूद जाएगा. इसी से आप समझ सकते हैं कि बच्चे की मानसिक हालत क्या थी कि वह आत्महत्या तक करने को तैयार हो गया, लेकिन स्कूल जाने को नहीं. जब बच्चे से घरवालों ने प्यार से पूछा तो सच समाने आया. पीड़ित छात्र की मां ने बताया कि शिक्षिका पुष्पलता को फोन किया तो उन्होंने जवाब दिया कि इस तरह के मामले तो होते ही रहते हैं और फोन काट दिया. स्कूल प्रशासन ने तो बच्चे को मां को शिकायत वापस तक लेने के लिए कहा और ऐसा न करने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी दी.

प्रद्युम्न हत्याकांड के बाद भी स्कूल सुधरे नहीं हैं

8 सितंबर 2017 को गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के प्रद्युम्न ठाकुर नाम के छात्र की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. किसी बच्चे के साथ हुई इस तरह की भयावह वारदात के बाद भी स्कूल प्रशासन सजग नहीं हुए हैं. यही वजह है कि दशमेश पब्लिक स्कूल की शिक्षिका ने इतना गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया है. उस घटना में ही स्कूल के ही एक 16 साल के छात्र पर हत्या का आरोप है. स्कूल प्रशासन को ये बात समझनी चाहिए कि जो आज छेड़छाड़ और मारपीट कर रहा है, कल वही छात्र हत्या जैसे संगीन अपराध को भी अंजाम दे सकता है. प्रद्युम्न ठाकुर का मामला अकेला नहीं है, दिल्ली के ज्योति नगर इलाके के एक सरकारी स्कूल में कुछ छात्रों ने 10वीं के छात्र की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, गुजरात के वडोदरा में एक छात्र की चाकू से 31 बार वार कर के हत्या कर दी गई, चेन्नई के सेंट मैरी एंग्लो इंडियन स्कूल में 12वीं के छात्र ने प्रधानाचार्य की हत्या कर दी. देश भर में हो रही इस तरह की घटनाओं को स्कूल प्रशासन को खतरे की घंटी समझना चाहिए.

इस स्तर पर यह भी समझना जरूरी है कि इनका समाधान स्कूल और बच्चे के माता-पिता को साथ मिलकर करना होगा. बचपन में ही बच्चों के कंधों पर उम्मीदों का बोझ न डालें, उन्हें बचपन का आनंद लेने दें और सही-गलत की समझ कराएं. ऐसा नहीं करने से उन बच्चों में अक्सर कुंठा का भाव पनप जाता है जो दूसरे बच्चों से कमतर होते हैं. अगर उदाहरण लिया जाए दशमेश स्कूल का तो हो सकता है कि अन्य बच्चों उस मासूम बच्चे की क्यूटनेस ही खटक रही हो. वो क्यूट है, इसलिए सभी उसे प्यार करते हैं, लेकिन दूसरे बच्चों को कोई पूछता नहीं, तो उनके मन में जलन का भाव पैदा होना स्वाभाविक है. उन बच्चों के मन से ये कुंठा की भावना नहीं निकाली गई तो धीरे-धीरे उनकी प्रवृत्ति आपराधिक हो सकती है. हालांकि, अगर देखने का दायरा फैलाया जाए तो बालिका गृहों की बच्चियों के साथ हुई रेप की घटना दिखाती है कि वहां पर किसी का खूबसूरत या क्यूट होना मायने नहीं रखता. इन बालिका गृहों में बच्चियां सिर्फ हवस का शिकार हुई हैं, जो सरकार की व्यवस्थाओं के मुंह पर करारा तमाचा है.

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