याकूब मेमन को फांसी की सजा क्यों ऐतिहासिक है?
मुंबई बम ब्लास्ट की सुनवाई मुंबई कोर्ट में मेरा पहला केस था. राज्य सरकार इस केस के लिए ऐसा सरकारी वकील चाहती थी जिसने कभी किसी दोषी की वकालत नहीं की हो.
-
Total Shares
जलगांव से आए मुझ जैसे वकील के लिए 1993 मुंबई बम ब्लास्ट की सुनवाई मुंबई कोर्ट में मेरा पहला केस था. राज्य सरकार इस केस के लिए ऐसा सरकारी वकील चाहती थी जिसने कभी किसी दोषी की वकालत नहीं की हो. मेरा काम पुलिस की जांच का अध्ययन करना और इस एतिहासिक केस को लड़ना था. करीब 14 साल चले इस केस में 123 लोगों को दोषी करार दिया गया. इसमें 100 लोगों को सजा सुनाई गई और याकूब मेमन का नाम इसमें प्रमुख है.
मुझे याद है जब उसे पहली बार कोर्ट लाया गया, तब वह बेहद शांत और कम बोलने वाला व्यक्ति लगा. वह एक चार्टेड एकाउंटेंट है. इसलिए केस से जुड़ी हर बात की विस्तृत जानकारी रखता. वह शांत रहता और अपने वकील के अलावा किसी और से बात करने की कोशिश नहीं करता. एक समझदार व्यक्ति के तौर पर वह पूरे केस पर अपनी गहरी नजर बनाए रखता.
उसके और कुछ अन्य महत्वपूर्ण आरोपियों के खिलाफ पक्के सबूत थे. याकूब मेमन मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था और ब्लास्ट से पहले ही मुंबई छोड़ चुका था. वह एक ऐसी साजिश का हिस्सा था जिसे दुबई में बनाया गया. सरकार का उसे फांसी देने का फैसला ऐतिहासिक है. वह इस केस में पहला ऐसा व्यक्ति होगा जिसे फांसी दी जाएगी. टाइगर मेमन का भाई होने के अलावा याकूब इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता भी है.
याकूब इस घटना से पहले बैठक के लिए दुबई गया. इस बैठक में दाउद इब्राहिम सहित पाकिस्तान के तीन अन्य लोग भी मौजूद रहे. पूरी साजिश दुबई में रची गई. इसके बाद 15 लोगों को प्रशिक्षण देने के लिए पाकिस्तान ले जाया गया. वहां उन्हें आरडीएक्स बम और अन्य हथियारों जैसे रॉकेट लॉन्चर चलाने की खास ट्रेनिंग दी गई. प्रशिक्षण के बाद इन सभी को दुबई के रास्ते भारत भेजा गया. दोषियों के पासपोर्ट की जांच से हमें दिलचस्प बात पता चली. इनके दुबई हवाई अड्डे से आने-जाने की बात तो पासपोर्ट में थी लेकिन दुबई से यह कहां गए, इसका कोई जिक्र नहीं था. इससे यह बात साफ हो गई कि पाकिस्तान ने इस बात का खास ख्याल रखा कि सभी दोषियों के पासपोर्ट पर किसी प्रकार की एंट्री न हो सके.
इन 15 लोगों में से दो ने पुलिस और कोर्ट को बताया कि कैसे पाकिस्तान के इमिग्रेशन अधिकारियों ने इस बात का ख्याल रखा. ऐसे में निश्चित तौर पर इसमें ISI का रोल भी अहम रहा.
पुलिस ने अर्जेस 69 हैंड ग्रेनेड और अन्य गैंड ग्रेनेड इन आतंकियों के पास से हासिल किए. हमें कई ऐसे कागजात भी मिले जिससे पता चला कि हाल में एक देश ने अर्जेस 69 हैंड ग्रेनेड की तकनीक पाकिस्तान को बेची थी. टाइगर मेमन ने आरडीएक्स को लगाया. पुलिस ने आरडीएक्स पर लगा जो रैपर हासिल किया, उससे साबित हुआ कि वह पाकिस्तान के वाहा कैंटॉनमेंट से लिया गया था.
मामले की सुनवाई 14 वर्षों तक चलती रही और एक भी आरोपी ने इस बात का विरोध नहीं किया कि इसे खींचा जा रहा है. वे सभी चाहते थे कि सुनवाई पूरी हो क्योंकि उन्हें मालूम था कि उन्होंने अपराध किया है और इन्हें सजा मिलेगी. वे चाहते थे कि सुनवाई के दौरान आरोपियों को जो सुविधाएं मिलती हैं, वो उन्हें भी मिले. इसलिए उन्हें सुनवाई में देरी से भी कोई परेशानी नहीं थी. केस काफी पेचीदा और मुश्किल था और आखिरकार एक ऐतिहासिक फैसला आया.
याकूब अपने सभी विकल्पों को आजमा चुका था इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने फांसी के दिन की घोषणा की. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक पार्टियां इस मामले पर राजनीति कर रही हैं. इससे बेवजह दो समुदायों के बीच तनाव पैदा हो सकता है. माजिद मेमन का बयान न्यायिक सिस्टम और आम लोगों के इसके प्रति विश्वास के खिलाफ है. फैसले पर अमल होना चाहिए. इस ऐतिहासिक केस में ऐसा पहली दफा होगा.
(जैसा अदिती पई को बताया)
आपकी राय