सुकमा नक्सली हमला: आखिर कब तक हमारे जवान मरते रहेंगे!
छत्तीसगढ़ में पॉलिटिकल पार्टियों की इच्छाशक्ति या फिर राजनीतिक बंदिशों के कारण कोई ठोस कदम उठाया नहीं जाता, जिसकी कीमत हमारे जवान शहीद होकर पूरा करते हैं.
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छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से नक्सली हमला हुआ है. यहां की धरती हमारे जवानों की खून से लाल हो गई. छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके के सुकमा में सीआरपीएफ और नकसलियों के बीच हुई मुठभेड़ में अब तक 25 जवान शहीद हो चुके हैं, तथा 7 लापता भी बताये जा रहे हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक हमले में नक्सलियों की तादाद करीब 300 थी. नक्सलियों का यह हमला चिंतागुफा इलाके में हुआ है. यह इलाका बेहद घने जंगल वाला इलाका है. इस इलाके को नक्सलियों की राजधानी के तौर पर भी जाना जाता है अभी पिछले महीने की ग्यारह तारीख को ही इसी सुकमा में 12 सीआरपीएफ जवानों को नक्सलियों ने मार गिराया था.
पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया
"छत्तीसगढ़ में हुआ हमला दुखद और कायराना हरकत है. हम हालात पर नजर रख रहे हैं. CRPF जवानों की बहादुरी पर हमें फख्र है. उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. शहीद जवानों के परिवारों के लिए मैं संवेदना व्यक्त करता हूं."
राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया
"सुकमा में सीआरपीएफ जवानों के शहीद होने पर गहरा अफसोस है. शहीदों को मेरी श्रद्धांजलि और उनके परिवारों के लिए मैं संवेदना व्यक्त करता हूं. मैंने इस मसले पर हंसराज अहीर से बात की है. वो हालात का जायजा लेने छत्तीसगढ़ जा रहे हैं."
पता नहीं क्यों हर बार हमारे जवान इन नक्सलियों के हाथों शहीद होते रहते हैं और सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा पाती. फिर से वही पॉलिटिकल बयानबाजी शुरू होगी. मृतक के आश्रितों को मुआवजे का ऐलान होगा. लेकिन कुछ दिनों के बाद फिर से वही घटना घट जाती है. यहां पर पॉलिटिकल पार्टियों की इच्छाशक्ति या फिर राजनीतिक बंदिशों के कारण कोई ठोस कदम उठाया नहीं जाता, जिसकी कीमत हमारे जवान शहीद होकर पूरा करते हैं.
हाल के सालों में छत्तीसगढ़ में हुए कुछ बड़े नक्सली हमले
सुकमा मार्च 2017: घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने सीआरपीएफ के 12 जवानों को मार गिराया.
सुकमा 2014: छत्तीसगढ़ के ही सुकमा जिले में हुए इस हमले में सीआरपीएफ के 14 जवानों की जान चली गई थी.
सुकमा 2013: सुकमा जिले में नक्सलियों के इस हमले में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मारे गए थे. इनमें महेंद्र कर्मा और नंद कुमार पटेल भी शामिल थे, जबकि विद्याचरण शुक्ला को गंभीर चोटें आयी थीं और बाद में उनका निधन हो गया था.
दंतेवाड़ा 2010: नक्सलियों का यह हमला सीआरपीएफ जवानों पर अब तक के सबसे बड़े हमलों में से एक था, जिसमें 76 जवानों की जानें चली गई थी.
रानीबोदली 2007: छत्तीसगढ़ के रानीबोदली गांव में एक पुलिस आउटपोस्ट पर 500 से ज्यादा नक्सलियों ने हमला बोलकर 55 पुलिसकर्मियों को मार गिराया था.
यही नहीं साल 2005 से लेकर अभी तक नक्सल हमलों में हमारे 1885 जवान शहीद हो चुके हैं, जबकि कश्मीर में 2004 से लेकर अभी तक मात्रा 1369 जवान ही शहीद हुए हैं. यानि जम्मू कश्मीर के आतंकवादियों से ज्यादा खतरा हमे नक्सलियों से ही है.
ऐसा नहीं कि नक्सलवादियों का सेना के जवानों पर यह पहला हमला है बल्कि इससे पहले भी कई हमले हो चुके हैं, लेकिन हमारी सरकारों के ढुलमुल रवैये के कारण इसपर अंकुश लगाने में कामयाबी हासिल नहीं हो पायी है. पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी गांव से शुरू हुआ नक्सलवाद अब आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, झारखंड और बिहार में भी पैर पसार चुका है, हालांकि आंध्र प्रदेश में काफी हद तक इस पर अंकुश पा लिया गया है.
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