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Updated: 04 मार्च, 2017 04:07 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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गुस्से पर काबू करने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं. लोग थैरपी लेते हैं, एंगर मैनेजमेंट क्लीनिक जाते हैं और फिर भी फायदा ना मिलने पर मनोवैज्ञीनिक की सहायता भी लेते हैं. मेडिटेशन, योगा, घूमना-फिरना, तैरना और ना जाने क्या-क्या करना सिर्फ गुस्से पर काबू के लिए. एक बार गूगल करने पर दुनियाभर एंगर मैनेजमेंट की दुनिया भर की टिप्स और ट्रिक्स सामने आ जाती हैं, उन्हें इस्तेमाल भी किया जाता है, लेकिन फायदा कितना मिलता है? गुस्सा एक जरूरी भावना है, लेकिन इसका जरूरत से ज्यादा होना नुकसानदेह साबित हो सकता है. इसी कड़ी में गुड़गांव में कुछ क्रांतिकारी किया गया है.

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बड़े-बूढ़ों से लेकर डॉक्टर तक सभी कहते हैं कि गुस्से को निकाल देना चाहिए. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि गुस्सा आते ही आपको कुछ तोड़ने का मन किया हो? कई बार शायद आपने कुछ तोड़ भी दिया हो. तो अगर हम आपसे कहें कि अपना गुस्सा निकालने के लिए आपको अब अपने घर का कोई सामान तोड़ने की जरूरत नहीं है इसके लिए ये नया स्टार्टअप आपको अपना सामान देगा.

चाहें किसी भी तरह का गुस्सा हो, किसी से लड़ाई हुई हो, करियर का फ्रस्ट्रेशन हो या फिर किसी और कारण से आप परेशान हों, गुड़गांव का नया ब्रेकरूम आपको चीजें तोड़ने की सुविधा देगा. गर्लफ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड से लड़ाई हो गई है तो ब्रेकरूम जाइए, एंट्री फीस दीजिए और बस हो गया आपका काम.

क्या है माजरा?

ये ब्रेकरूम असल में एक ऐसी जगह है जहां पैसे देकर आप चीजें तोड़ सकते हैं. इसके लिए आपको इसके लिए आपको चीजें तोड़ने का सारा सामान भी दिया जाएगा. इतना ही नहीं चीजें तोड़ते समय आपको कोई नुकसान ना हो इसलिए ब्रेकसूट भी पहनाया जाएगा. जी हां, ये भारत में अपनी तरह का पहला वेंचर है जहां आप पूरी तरह से जंगली हो सकते हैं.

क्या फोन, क्या टीवी, क्या कम्प्यूटर, क्या बर्तन, जो चाहें सब तोड़ दीजिए. ब्रेकरूम वेबसाइट में दिए गए डिस्क्रिप्शन में लिखा गया है कि 'अगर आपका बॉस आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा, आपका ब्रेकअप हो गया है, आपके एक्स की शादी हो गई है या फिर आप घंटों ट्रैफिक जाम में फंस कर फ्रस्ट्रेट हो गए हैं, या फिर बिना किसी कारण गुस्सा आ रहा है, यहां आइए और कुछ चीजें तोड़िए या फिर सबकुछ तोड़ डालिए.'

brkroom_649_030417040338.jpgचुन सकते हैं कोई भी बैट

कैसे हुई शुरुआत?

दो साल पहले 27 साल की सांवरी गुप्ता ने अपने पर्टनर के साथ मिलकर गुड़गांव में एक ऐसा वेंचर शुरू किया था जिसमें मनोरंजन के अनोखे तरीके दिल्ली एनसीआर वालों के लिए खोले गए थे. इस वेंचर का नाम 'कंट्रोल, शिफ्ट एंड एस्केप (Ctrl.Shift.Esc)' रखा गया था. कुछ समय पहले सांवरी के पार्टनर को इस अनोखे आइडिया के बारे में पता चला और हाल ही में इसकी शुरुआत भारत में की गई. सांवरी का कहना है कि इसमें कई लोग दिलचस्पी दिखा रहे हैं और इसे लोकप्रियता हासिल हो रही है. 2008 में पहली बार टेक्सस में इस कॉन्सेप्ट को एंगर रूम के नाम से शुरू किया गया था तब से रेज रूम, एंगर रूम, ब्रेक रूम नाम से दुनिया के अलग-अलग कोनों में ऐसे वेंचर खुल चुके हैं.

भारत में अपनी तरह का ये पहले एक्सपेरिमेंट है और इस ब्रेकरूम के अपने नियम और कायदे भी हैं. ये सही है कि आप अपना गुस्सा इस कमरे में जाकर निकाल सकते हैं, लेकिन यहां नियम और कायदे कुछ ऐसे हैं कि आपको चीजें तोड़ने के लिए सिर्फ चंद मिनट ही मिलेंगे. आप अपनी पसंद का बैट चुन सकते हैं और उससे तबाही मचा सकते हैं.

इसकी कीमत भी चुकानी पड़ेगी...

अगर आप भी ब्रेकरूम में जाने का सोच रहे हैं तो इसके लिए 199 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक चुकाने पड़ सकते हैं. इस जगह का बाकायदा अपना मेनु है और रेट लिस्ट में से अपनी पसंद की चीज चुनकर तोड़नी होती है. खास बात ये है कि इस ब्रेक रूम में जाने के लिए आपको 18 साल से ऊपर का होना जरूरी है.

brkroom_651_030417040212.jpgब्रेकरूम में कुछ ऐसा है मेनु

यहां आपको हर वो सामान मिल जाएगा जो काम नहीं करता, लेकिन साबुत है और तोड़ा जा सकता है. चाहें इसे बचपना कहा जाए या फिर इसे सनकीपन, लेकिन ब्रेकरूम कई लोगों के लिए फायदेमंद तो साबित हो सकता है. अगर आप सोच रहे हैं कि इससे लोगों का रौद्र रूप सामने आएगा तो ये भी गलत नहीं है, लेकिन इससे फायदा भी उतना ही होगा. एंगर मैनेजमेंट करने के लिए लोग मेडिटेशन करते हैं, कुछ योगा का सहारा लेते हैं, कुछ घूमने निकल जाते हैं या म्यूजिक सुनते हैं, लेकिन फिर भी अगर गुस्सा शांत ना हो तो उसका क्या किया जाए. ऐसे में इस तरह का वेंचर लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

पहली बार नहीं हुआ है ऐसा कुछ...

2010 में फॉक्सकॉन फैक्ट्री (चीन) में अपने कर्मचारियों के स्ट्रेस को कम करने के लिए डीस्ट्रेस रूम तैयार किया था. इस रूम के अंदर दो डमी बनाई गई थीं. कोई चाहे तो किसी का चेहरा इसपर प्रिंट करके लगा सकता था और तरीका वही था. अपने अंदर का गुस्सा, स्ट्रेस और फ्रस्ट्रेशन निकालने के लिए किसी बैट या डंडे से डमी की पिटाई करना. इतना ही नहीं, फॉक्सकॉन ने अपने कर्मयारियों का सुसाइड रोकने के लिए एक 'सोल हार्बर स्टूडियो' भी बनाया था जहां उन्हें वन टू वन काउंसलिंग दी जाती थी. डिस्ट्रेस रूम बनने के बाद से उसे इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ गई थी.

brkroom_652_030417040236.jpgफॉक्सकॉन का डीस्ट्रेस रूम

अगर किसी को लगता है कि उसका फ्रस्ट्रेशन काफी हद तक बढ़ गया है तो ये तरीका काफी कारगर हो सकता है.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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