न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न से हमारे देश के नेताओं को कुछ सीखना चाहिए
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है. हमारे यहां के नेता अनपढ़ होकर भी मंत्री बन जाते हैं और फिर हमेशा मंत्री बने रहना ही चाहते हैं. किसी ऐसे नेता का नाम याद है जिसने यह कहा हो कि मैं इस कुर्सी के लायक नहीं हूं, इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं.
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न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न (New Zealand PM Jacinda Ardern) ने अगले महीने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है. पार्टी की कॉकस बैठक में उन्होंने कहा कि "साढ़े पांच सालों तक इस पद को संभालने के लिए मैंने बहुत मेहनत की है. ये साल संतोषजन रहे हैं. मैंने उम्मीद की थी कि मुझे अपना बचा हुआ कार्यकाल पूरा करने की कोई वजह मिलेगी, लेकिन अफसोस है कि ऐसा नहीं हुआ. अगर मैं अब भी अपने पद पर बनी रहती हूं तो इससे न्यूज़ीलैंड का नुक़सान होगा. मुझमें और काम करने की उर्जा नहीं बची है.
इस जिम्मेदारी को निभाने में बहुत मेहनत लगती है और मेरे पास अब शक्ति नहीं बची है. जब तक हम कर सकते हैं, हम वह सब करते हैं जो हम कर सकते हैं. मैंने गर्मियों की छुट्टी में सोचा था कि क्या मेरे पास इस काम को करने की ऊर्जा है या नहीं और निष्कर्ष निकला कि नहीं थी. एक व्यक्ति को पता होना चाहिए कि उसे कब इस्तीफा दे देना चाहिए. और मेरे लिए वह वक्त अभी है. मैं फिर से चुनाव नहीं लड़ूंगी, ऐसा इसलिए नहीं है कि मैं हार सकती हूं. बल्कि मेरे पास योगदान देने के लिए कुछ खास नहीं बचा है. मैं इस दौरान कई चुनौतियों का सामना किया है. मैं इंसान हूं, राजनेता भी इंसान होते हैं."
न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने अगले महीने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने भले ही कहा है कि उनके पास अब काम करने की उर्जा नहीं बची है, मगर यह उनका पॉजिटिव एटीट्यूड है. कोई भी सफल व्यक्ति जब अपने करियर के पीक पर होता है और अपनी पोजिशन छोड़ता है तो ऐसी ही बातें करता है. ऐसा करके जेसिंडा अर्डर्न ने बाकी नेताओं को संदेश दिया है, क्योंकि वे किसी और को मौका देना चाहती हैं.
एक हमारे यहां के नेता हैं तो रेस में बने रहने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. वे भले ही उस पोजीशन के काबिल नहीं होते हैं फिर भी कुर्सी पर जमे रहना चाहते हैं. हमारे यहां के नेताओं की राजनीति जब जेल और अस्पताल से चल सकती है तो फिर बाकी बात की छोड़ दीजिए.
हमारे यहां के नेता अनपढ़ होकर भी मंत्री बन जाते हैं औऱ फिर हमेशा मंत्री बने रहना ही चाहते हैं. किसी ऐसे नेता का नाम याद है जिसने यह कहा हो कि मैं इस कुर्सी के लायक नहीं हूं, इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं.
हमारे यहां तो अगर किसी नाकाबिल इंसान को गलती से गद्दी मिल जाती है तो वह उसे नहीं छोड़ना चाहती है. भले ही वह अपना काम ढंग से न कर पाए मगर अपना पद नहीं छोड़ना चाहता है. हमारे यहां कौन से नेता अपनी कुर्सी पर किसी बेहतर नेता को बिठाना चाहता है? वह भले जानता है कि वह अपना काम ढंग से नहीं कर पा रहा है फिर भी उसी जगह को नहीं छोड़ता है.
हमारे यहां के लोग जरा सा करियर में कुछ कर लें तो बच्चा करना अवाइड करते हैं बल्कि न्यूजीलैंड में ऐसा नहीं हैं. वे परिवार को महत्व देते हैं. इस बारे में एक बार जेसिंडा ने कहा था कि हर महिला के पास अधिकार है कि वो कब मां बने. कितनी उम्र में परिवार को बढ़ाने का फैसला करे. असल में प्रधानमंत्री पद पर रहते जेसिंडा ने साल 2018 में बच्ची को जन्म दिया था. इसके बाद वे दोबारा काम पर लौटी थीं और महिलाओं को संदेश दिया था कि मातृत्व और कार्यस्थल को एक साथ मैनेज किया जा सकता है.
हमारे यहां के नेता अपने बच्चों पर उतना टाइम नहीं देते जितना देना चाहिए. जिससे कई के बच्चे बिगड़ जाते हैं. वे गुंडागर्दी करते हैं औऱ शराबी हो जाते हैं. इसे एक उदाहरण से समझिए, राज्य मंत्री कौशल किशोर के बेटे की मौत अधिर शराब पीने से हुई. इसके बाद उन्होंने कहा था कि सांसद के तौर पर मैं और विधायक के तौर पर मेरी पत्नी अपने बेटे की जान नहीं बचा सके. मैंने यह सोचकर बेटे की शादी करा दी कि वह सुधर जाएगा, नतीजा मेरी बहू विधवा हो गई." उन्होंने कहीं ना कहीं यह बात स्वीकार की थी कि नेता होने के कारण मैं मेरे बेटे पर ध्यान नहीं दे पाया, जिसका उन्हें पछतावा था. जेसिंडा अर्डर्न ने कहा है कि वे अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताना चाहती हैं, आगे का यही उनका प्लान है.
ऐसा नहीं है कि जिस जेसिंडा अर्डर्न ने इतने सालों अपने देश का ख्याल रखा, अपने देश को आवास, बाल गरीबी, जलवायु परिवर्तन, घरेलू आतंकी घटना, प्राकृतिक आपदा, आर्थिक संकट औऱ कोविड महामारी से संभाला...अब देश को उनकी जरूरत नहीं है. या फिर वह देश संभालने के लायक नहीं है. या फिर उन्हें चुनाव हार जाने का डर है. उन्हें पता है कि उनकी पार्टी जीतेगी और उसे एक नए नेतृत्व की जरूरत है. करियर की पीक पर रहकर यह फैसला लेना आसान नहीं है, मगर ऐसा सिर्फ वही कर सकती थी. क्योंकि वे जानती हैं कि यही उनके लिए सही है.
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