जिंदा दफनाई गई नीलगाय का भूत बाहर आ गया है, और...
बिहार में एक नीलगाय को जिंदा दफना दिया गया. दिलदहला देने वाला इसका वीडियो वायरल होकर इंसानियत को झकझोर रहा है, और सवाल कर रहा है कि कहीं नीलगाय के नाम पर इंसानियत को ही तो नहीं दफना दिया गया है?
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बिहार के वैशाली का एक दिल दुखा देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना है. फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप के अलग अलग ग्रुपों में वीडियो शेयर किया जा रहा है. वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे एक घायल नीलगाय को गड्ढे में गिराया गया. नीलगाय आंखों में करुणा देखी जा सकती थी. मूकदर्शक भीड़ के बीच उस कराहती नीलगाय को मिट्टी से पाट कर मार डाला गया. मोबाइल से दिलदहला देने वाले वाकये को रिकॉर्ड किया गया. लेकिन सोशल मीडिया पर जिसने भी यह वीडियो देखा, वह हैरानगी और गुस्से से भर गया. अब वही नीलगाय एक भूत बनकर स्मृतियों में समा गई है, और हर इंसान की आत्मा को झकझोर रही है. और कुछ तीखे सवाल कर रही है. साफ़ तौर पर इस घटना ने मानवता पर अंगुली उठाई है और हमारे मानव कहलाने पर संदेह स्थापित कर दिया है.
वीडियो में तमाम ऐसी बातों है जिन्हें देखते हुए महसूस होगा कि उस असहाय नीलगाय की मौत के साथ साथ हमारे अंदर की मानवता की भावना की भी मौत हो चुकी है. नीलगाय के आस पास लोगों की भीड़ खड़ी है. जेसीबी की मदद से एक गड्ढा बनाया गया है. उसी जेसीबी के जरिये जबरन नीलगाय को उस गड्ढे में गिराया गया. चंद ही मिनटों में उसकी पूरी हस्ती को मिट्टी में मिला दिया गया.
उत्तर प्रदेश, बिहार समेत देश के वो तमाम हिस्से जिन्हें हम लोग खेत और जिन्हें ये जानवर चारागाह समझते हैं. उन्हें ही समस्या माना जा रहा है. इस निर्मम मौत को ही देखें तो मिलता है यहां भी ये हत्या इसलिए हुई ताकि लोगों को अपनी समस्याओं से मुक्ति मिल सके. लोगों का कहना है कि नीलगायों ने उनकी खड़ी फसल तबाह कर दी है. इस विषय को लेकर तमाम शिकायतें हुई हैं.
बिहार में 2016 से नीलगाय को Vermin यानी परोपजीवी जानवरों की श्रेणी में शुमार किया गया है. महुआ, पेपरमिंट, सब्जियां, अरहर, मटर, गेहूं, ध्यान, ज्वार, मक्का आप किसी भी फसल का नाम लीजिये ये जानवर चंद ही मिनटों में उन्हें चरकर सफाचट कर जाते हैं. इसी कारण से किसान सरकार से परमिशन लेकर आसानी से इनका शिकार कर सकते हैं, और इस समस्या से निजात हासिल करते हैं. नीतीश कुमार सरकार ने तो बाकायदा फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली नीलगाय को गोली से मारने के लिए कांट्रैक्ट दिया था. लेकिन जिस नीलगाय को जिंदा दफन किया गया, उसके मामले ने तो नृशंसता को उजागर किया है.
नीलगाय को जिंदा दफन कर दिया जाना इंसानियत को शर्मसार करने वाला है.
कभी नीलगायों के झुंडों पर गौर करिए. जिन्होंने ये झुंड नहीं देखें हैं वो उत्तर भारत या बिहार के खेतों का रुख कर लें जो कभी जंगल थे. दो-चार, छह-आठ, दस-बारह के झुंडों में ये जीव हमें खेतों में दिख जाएंगे. अगर झुंड छोटा है तो उसमें एक नर बाकी मादाएं और बच्चे होते हैं. झुंड बड़ा है तो ये संख्या ज्यादा होती है. नवंबर से जनवरी के बीच के समय को नीलगायों का मेटिंग पीरियड या फिर प्रजनन काल कहा गया है. बच्चे इनके सितंबर या फिर अक्टूबर में होते हैं. ये खूब बच्चे पैदा करते हैं. कभी कभी इनके बच्चे जुड़वां भी पैदा होते हैं. दिलचस्प बात ये है कि ये बच्चे जन्म के 8 घंटे बाद खड़े हो जाते हैं और भागने लगते हैं. 2001 में इनकी गिनती हुई थी. बताया गया था कि देश में इनकी संख्या 10 लाख है यानी प्रति वर्ग किलोमीटर 3 नीलगाय हैं. चूंकि ये नुकसान पहुंचाती हैं इस भ्रम में इन्हें मारा जा रहा है. मतलब ये भी हुआ कि 10 लाख नीलगायें इसलिए सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि इंसानों को इस बात का अंदेशा है कि ये इनकी फसल की दुश्मन हैं.
वैशाली की नीलगाय मर चुकी है. इसकी मौत की एक बड़ी वजह भूख है. भूख जब लगती है तो क्या इंसान, क्या पशु दोनों ही लोग तमाम तरह के खतरों को नजरंदाज कर देते हैं. अपनी मौत से पहले शायद ये नीलगाय भी भूखी रही होगी. वो खाने की आस में खेतों में आई होगी लेकिन उसे खाना नहीं मौत मिली, एक निर्मम मौत.
नीलगाय भले चुनौती हो, लेकिन यह इंसानियत के लिए खतरा कैसे बन सकती है?
सवाल ये है कि पशुता तो इस नीलगाय के व्यवहार का हिस्सा थी मगर ऐसा क्या हुआ जिसके चलते मनुष्य पशु बन गया? आखिर क्यों उसकी इस हरकत ने पूरी इंसानियत को शर्मसार कर दिया? इंसान ने इस नीलगाय को मार दिया है लेकिन ये भूल गया कि आज जो प्राकतिक संतुलन बिगड़ा है उसकी वजह खुद इंसान है. इंसान ने ही जंगलों का सफाया किया और इन बेजुबान जानवरों को उनके घर से बेघर किया. साफ़ है कि पेट भरने के लिए इंसानों के खेतों की तरफ रुख करने वाले ये जानवर जो भी कर रहे हैं वो पेट भरने के लिए मज़बूरी में कर रहे हैं.
नीलगाय खुद मनुष्यों से दूर रहती है. हो सकता है वो वहां गलती से आई हो मगर इंसान? क्या इस नीलगाय को मारने से पहले उसके दिमाग में सवाल नहीं आए होंगे? निर्मम तरीके से इसकी हत्या करते हुए, इसका वीडियो बनाते हुए उसके हाथ नहीं कांपे? मानवता रहित समाज में न्याय की कल्पना अपने आप में एक मूर्खता है. लेकिन एक दिन ऐसा अवश्य आएगा जब इंसान एकांत में बैठेगा और तब ये मौत उसे जरूर डराएगी.
हम सोशल मीडिया के दौर में हैं. हर चीज सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है. इस मौत का भी वीडियो आ गया है. आप मानिए या न मानिए मगर एक वक्त वो भी आएगा जब ये वीडियो हमसे सवाल करेगा. उस दिन हम शायद ही अपनी नजर से नजर मिला पाएं. उस दिन हमारे पास अपने को कोसने के अलावा शायद ही कोई विकल्प बचे.
इस मामले के लोगों के बीच आने के बाद भले ही प्रशासन के कान पर जूं रेंगी हो. प्रशासन द्वारा उस जेसीबी वाले ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर करा दी गई हो. मगर अब तक उसकी गिरफ़्तारी न होना ये साफ़ कर देता है कि जंगलराज में हम जंगल के जानवरों की स्थिति कितनी दयनीय है.
वीडियो में जिस तरह से इस बेजुबान नीलगाय की निर्मम हत्या की गई है उसने तमाम सवालों के जवाब खुद बी खुद दे दिए हैं. इस हत्या ने साफ़ कर दिया है कि इंसान तो खुद जंगली जानवरों से कहीं ज्यादा जंगली है जिसे सभ्यता की दहलीज में चलने में अभी एक लंबा वक्त लगेगा.
बहरहाल, वैशाली की इस नीलगाय की मौत भी इस देश में हो रही तमाम मौतों के बीच एक एक मौत है. मगर जिस बेदर्दी से इसे मारा गया है कभी फुर्सत के पलों में उस मौत की कल्पना कर के देखिएगा. निश्चित तौर पर रौंगटे खड़े हो जाएंगे और आप खुद कहेंगे कि भगवान किसी को कभी ऐसी मौत न दे.
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