भारत पहुंचे ये 3 जानलेवा वायरस बताते हैं कि हमारा देश कितना आसान 'टारगेट' है !
हम जब कभी किसी नए वायरस का नाम सुनते हैं तो पहली बात जो हमारे जहन में आती है वह यही होती है कि आखिर वायरस आया कहां से. पिछले कुछ सालों में भारत में ऐसे 3 जानलेवा वायरस विदेशों से आ चुके हैं.
-
Total Shares
केरल के कोझीकोड में एक खतरनाक वायरस निपाह की वजह से करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है और 6 लोग गंभीर हालत में हैं. 25 लोगों को निगरानी में भी रखा गया है. मरने वालों में एक ही परिवार के 4 लोग हैं और एक नर्स भी इनमें शामिल है. हम जब कभी किसी नए वायरस का नाम सुनते हैं तो पहली बात जो हमारे जहन में आती है वह यही होती है कि आखिर वायरस आया कहां से. पिछले कुछ सालों में भारत में ऐसे 3 जानलेवा वायरस विदेशों से आ चुके हैं, जिन्होंने बहुत से लोगों की जान ले ली. अब सवाल ये उठता है कि ये वायरस भारत में आए कैसे?
बेहत आसान 'टारगेट' है भारत
भारत की सीमाओं में जिस तरह इंसानों का घुसना कोई मुश्किल काम नहीं है, उसी तरह यह वायरस भी भारत में इंसानों के साथ-साथ चले आते हैं. पूरी दुनिया में लगभग हर जगह भारतीय फैले हुए हैं. कई बार वह विदेश से ऐसे किसी वायरस से संक्रमित होकर भारत आते हैं और फिर भारत में भी बहुत से लोग इस वायरस का शिकार हो जाते हैं. इतना ही नहीं, नेपाल और बांग्लादेश से खुली सीमाओं से जरिए भी बहुत से लोग आसानी से भारत में घुस जाते हैं. ऐसे में अगर वायरस नेपाल या बंग्लादेश पहुंच जाए तो वहां से भारत में बड़ी आसानी से पहुंच सकता है. देखा जाए तो अगर ऐसे किसी वायरस से भारत पर हमला करना हो तो किसी भी देश को कोई मुश्किल नहीं होगी. आइए जानते हैं इन 3 खतरनाक वायरस के बारे में-
1- चमगादड़ से फैलने वाला वायरस 'निपाह'
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, निपाह वायरस फल खाने वाले चमगादड़ (फ्रूट बैट) से फलों में जाता है और फिर उन फलों से इंसानों और अन्य जानवरों पर आक्रमण करता है. इसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होती है, तेज बुखार, सिरदर्द, जलन, चक्कर आता है. बीमारी अधिक बढ़ जाने पर मरीज 48 घंटे में कोमा में भी जा सकता है और बहुत से मामलों में इससे मौत भी हो जाती है. सबसे जानलेवा बात ये है कि इस बीमारी के लिए कोई वैक्सीन यानी टीका नहीं है. नीचे गिरे फल और बीमार जानवरों से दूर रहें और साथ ही उन लोगों से भी दूर रहें जो निपाह से पीड़ित हैं, क्योंकि यह वायरस एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है.
सबसे जानलेवा बात ये है कि इस बीमारी के लिए कोई वैक्सीन यानी टीका नहीं है.
पहली बार 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसकी पहचान हुई थी, जिसके बाद इसका नाम 'निपाह' पड़ गया. सबसे पहले इसका असर सुअरों में देखा गया था. भारत में पहली बार जनवरी 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में इस वायरस को देखा गया था. तब इस वायरस से करीब 45 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद 2001 और 2007 में पश्चिम बंगाल में इस वायरस ने करीब 50 लोगों की जान ले ली थी.
2- चमगादड़ से ही फैलता है 'इबोला' भी
नवंबर 2014 में पहली बार इबोला वायरस लाइबेरिया से आए एक व्यक्ति के साथ भारत पहुंचा था. हालांकि, एयरपोर्ट पर ही उसका टेस्ट हो गया था, जिसके बाद अधिकारियों को आगाह कर दिया गया था. इस वायरस ने अफ्रीका के कई देशों में भयानक तबाही मचाई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस वायरस से करीब 8399 लोग संक्रमित हुए थे. इस वायरस से 5100 से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इबोला वायरस की सबसे खतरनाक बात ये है कि व्यक्ति के पूरी तरह ठीक होने के बावजूद यह वायरस उसके वीर्य में करीब 90 दिनों तक सुरक्षित रहता है. इस वायरस से पीड़ित व्यक्ति को 1-3 दिन तक तेज बुखार आता है, कमजोरी आती है, बुखार होता है. उसके बाद चौथे-पांचवें दिन हाथ-पैर में निशान और चकत्ते दिखते हैं. उसके बाद उल्टी, दस्त सिरदर्ज, इंटरनेल ब्लीडिंग होती है. कई बार मरीज कोमा में भी चला जाता है और मौत भी हो जाती है.
इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1976 में कॉन्गो गणराज्य में की गई थी. तब से लेकर अब तक यह वायरस एक महामारी बन चुका है. सबसे खतरनाक बात ये है कि ये वायरस छूने से फैलता है. यानी अगर कुछ लोगों में इबोला आया तो भारत जैसे अधिक आबादी वाले देश में इस पर रोक लगाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेश से भारत आने वाले लोगों के स्वास्थ्य की अच्छे से जांच की जाती है.
3- मच्छर से फैलने वाला 'जीका' वायरस
मई 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुजरात में 3 लोगों के जीका वायरस से पीड़ित होने की पुष्टि की थी. भारत में जीका वायरस का ये पहला मामला था. इस वायरस से पीड़ित शख्स को बुख़ार, गले में ख़राश, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसी शिकायतें होती हैं. इससे बचने के लिए कोई टीका नहीं है. जीका वायरस गर्भवती महिलाओं को अपना शिकार बनाता है और इसका सबसे बुरा असर गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग और उसके विकास पर होता है. यह वायरस Aedes aegypti मच्छर से फैलता है. आपको बता दें कि डेंगू और चिकगुनिया फैलाने के लिए भी यही मच्छर जिम्मेदार है.
यह वायरस Aedes aegypti मच्छर से फैलता है.
जीका वायरस से पीड़ित शख्स को तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए और भरपूर आराम करना चाहिए. साथ ही बुखार पर नियंत्रण करने के लिए पैरासिटामोल खानी चाहिए. जीका कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा ब्राजील को देखकर लगता है. ब्राजील में जीका वायरस से करीब 1 लाख 70 हजार लोग प्रभावित हुए थे और 8 लोगों की मौत भी हो गई थी. कई देशों ने तो यह एडवाइजरी तक जारी कर दी थी कि अगर बहुत अधिक जरूरी ना हो तो ब्राजील ना जाएं.
ये तीनों ही वायरस पिछले कुछ सालों में भारत में पहुंचे. इबोला और जीका वायरस से तो भारत में किसी की जान नहीं गई, लेकिन अब भारत पहुंचा निपाह वायरस लोगों की जान ले रहा है. इस वायरस से बचने के लिए गिरे हुए फल ना खाएं, खास कर अगर वह किसी चिड़िया के जूठे हैं. साथ ही, बीमार जानवरों, खासकर सुअर और घोड़ों से दूर रहें.
ये भी पढ़ें-
सबसे खतरनाक बीमारी Disease X जल्द आने वाली है!
स्मॉल पॉक्स को 'माता' क्यों कहते हैं ? कैंसर और अन्य बीमारियां 'कर्म' का फल !
प्लास्टिक की बोतल में मिनरल वॉटर साफ पानी के नाम पर छलावा है
आपकी राय