निज़ामुद्दीन की तब्लीगी जमात मजहब फैला रही थी या कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉक डाउन (Coronavirus lockdown) है ऐसे में जो मूर्खता दिल्ली के निज़ामुद्दीन (Nizamuddin) में एक धर्म के लोगों ने की है उसने न सिर्फ पूरे देश को खतरे में डाल दिया है बल्कि सुरक्षा के तमाम प्रयासों को ठेंगा दिखाया है.
-
Total Shares
कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते पूरा विश्व तबाही की कगार पर पहुंच गया है. बीमारी की अहम वजह संक्रमण है, इसलिए दुनिया भर में लोगों को घरों पर रहने की सलाह दी जा रही है. बीमारी की चपेट में अन्य लोग न आएं, इसलिए पहले ही विश्व के तमाम मुल्कों ने धार्मिक अनुष्ठानों और आयोजनों पर पाबंदी लगा दी गई थी. वहीं दुनिया भर से ऐसे भी मामले देखने को मिले हैं जिनमें सुरक्षा कारणों के चलते किये गए लॉक डाउन (Lockdown) के दौरान यदि कहीं पर धार्मिक गतिविधि होते दिख रही है तो इसके लिए लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जा रही है. ये सब क्यों हो रहा है? कारण स्पष्ट है. तेजी से फैलते कोरोना वायरस पर लगाम कसना. सारी दुनिया और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए उसके द्वारा किये जा रहे प्रबंध एक तरफ है. निजामुददीन (Nizamuddin) स्थित तबलीगी जमात (Tablighi Jamat) एक तरफ है. जिसने जाने अनजाने में न सिर्फ राजधानी दिल्ली (Delhi) बल्कि पूरे भारत के लोगों के प्राणों को संकट में डाल दिया है.
निज़ामुद्दीन में एक धर्म के लोगों ने जो किया उसने पूरे देश के सामने एक नयी मुसीबत खड़ी कर दी है
दिल्ली के निजामुददीन इलाके में तबलीगी जमात के मरकज से कोरोना के 24 मरीज मिलने के बाद स्थिति चिंताजनक हो गयी है. 350 लोगों को राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. साथ ही इलाके को सील कर दिया गया है और ड्रोन से इलाके की निगरानी की जा रही है. बताया जा रहा है कि पुलिस उन 1600 लोगों की तलाश में जुट गई है जो इन 350 लोगों के संपर्क में आए थे.
बता दें कि निजामुददीन मरकज में न सिर्फ देश के बल्कि विदेशों से भी लोग 1 से 15 मार्क तक आयोजित तब्लीग-ए-जमात में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए देश दुनिया के कुल1830 लोग यहां उपस्थित हुए थे और अब भी यहां 1400 लोगों के आस पास लोग मौजूद हैं.
Delhi: Medical team and Police are present at the Markaz building, Nizamuddin where around 2500 people had attended a function earlier this month. Around 860 people have been shifted from the building to hospitals so far, around 300 are yet to be shifted. #Coronavirus pic.twitter.com/tabosvqhQh
— ANI (@ANI) March 31, 2020
एक ऐसे समय में जब कोरोना वायरस का पहला मामला जनवरी में भारत में देखने को मिला हो ये तब ही साबित हो गया था कि भारत में स्थिति चिंताजनक रहेगी. उनके बाद मार्च के पहले हफ्ते में जब भारत में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ देश में हड़कंप मच गया.
ऐसे में निजामुददीन स्थित तब्लीग -ए-जमात का इस तरह एक बड़ी गैदरिंग का आयोजन करना इस बात के साफ संकेत दे देता है कि संगठन ने अपनी रूढ़िवादिता के चलते सारे देश को खतरे में डाल दिया है.
मामला प्रकाश में आने के बाद ये कहना हमारे लिए बिल्कुल भी गलत नहीं है कि इनके धार्मिक कठमुल्लेपन के कारण कोरोना का महासंकट और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. अब दिल्ली का निजामुददीन देश के लिए कोरोना के लिहाज से नया हॉट स्पॉट है.
कार्यक्रम में न सिर्फ सैकड़ों लोग शामिल हुए बल्कि इनकी एक मूर्खता के चलते इलाके के हज़ारों लोगों की जान पर भी संकट बन आया है. इन्होंने जिस तरह सोशल डिस्टेंसिंग को ठेंगा दिखाया है उसने इस बात को भी सिद्ध किया है कि जब बात धर्म की आती है तो व्यक्ति सारी समझदारी सारी होशियारी को ताख पर रख देता है.
मामला एक गंभीर बीमारी के तहत देश और देश की सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं का आना स्वाभाविक था. घटना की आलोचना खुद देश का मुसलमान कर रहा है. तर्क दिए जा रहे हैं कि जब इस मुश्किल घड़ी में पूरा देश अपने अपने घरों में रहने को बाध्य है तो आखिर जमात के लोगों को ये प्रोग्राम आयोजित कर मूर्खता करने की क्या ज़रूरत थी.
कुछ और बात करने से पहले आइये नजर डाल लें कि इस मामले के अंतर्गत क्या कह रही है सम्पूर्ण देश की जनता.
पत्रकार सबा नक़वी ने मामले को ट्विटर पर उठाते और उसकी आलोचना करते हुए लिखा है एक ऐसे वक़्त में जब काबा बंद है. सामूहिक नमाज बंद है तो आखिर तब्लीग के लोगों को ये मूर्खता करतबे की क्या ज़रुरत थी.
shocking that in midst of crisis, the #TablighiJamat had religious gathering. As I said earlier, #Kaaba is closed, #Iran suspended Friday prayers & congregations. To do what the organisers of the mosque in #Nizamuddin did is #Jahalat. It puts all in danger.
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) March 30, 2020
शिवम पांडे नाम के यूजर ने भी इसे एक गंभीर समस्या माना है और कहा है कि एक ऐसे समय में जब लॉक डाउन चल रहा हो आखिर ये गैदरिंग हुई कैसे?
People continue to board buses in the #निज़ामुद्दीन_मरकज़ to be taken to different hospitals for a checkup. A religious gathering was held in markaz, violated #lockdown conditions and several #COVID19 positive cases have been found among those who attended the gathering.@ANI pic.twitter.com/zW7Lg93nKW
— Shivam pandey (@Shivamk0628) March 31, 2020
जैसा कि स्वाभाविक था इस मामले की तुलना होगी। इस मामले में भी यही देखने को मिल रहा है. लोगों ने निज़ामुद्दीन की तुलना हरिमंदिर साहिब से करनी शुरू कर दी है.
पंजाबी गोदी चैनल PTC NEWS की खबर थी,हरिमंदिर साहिब से स्पेशल बसों द्वारा दिल्ली और गुजरात वापस भेजे गए श्रद्धालु, “फँसे” हूए थे,आज कमाल देखिए,#निज़ामुद्दीन_मरकज़ में श्रद्धालु “छुपे” हूए थे, वाह,गोदी मीडिया वाह,सुना नोएडा में भी #करोना_वायरस है, कुछ तो डरो, @AAPforINDIA pic.twitter.com/sgh4VSwDqu
— Tarsem Lal : (घरों में रहें,सुरक्षित रहें????) (@tarsemkpahi) March 31, 2020
सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की भी एक बड़ी संख्या है जिन्होंने मामले को अलगाववाद से जोड़कर देखना शुरू कर दिया है.
अभी तक हमे केवल सामाजिक अलगाव की आवश्यकता थी परंतु #निज़ामुद्दीन_मरकज़ मामले के बाद #मानसिक_अवसादियों से नैतिक अलगाव की आवश्यकता भी उचित जान पड़ती है...#SocialDistancing #MoralDistancing
— Gaurav Tiwari (@gauravtiwarirau) March 31, 2020
चूंकि मामला धर्म से जुड़ा था इसलिए इसपर राजनीति होनी भी स्वाभाविक थी लोग सोशल मीडिया पर ये भी कह रहे हैं कि जो बातें आज हो रही हैं ये तब क्यों नहीं हुईं जब लाखों मजदूर दिल्ली से उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ पलायन करने वाले थे.
#निज़ामुद्दीन_मरकज़कोई बता सकता है कि इसमें कितने मौलाना थे और यह कौन से निजामुद्दीन मरकज से निकले हुए थे या निजामुद्दीन मरकज में जा रहे थे...?? pic.twitter.com/KRxFldmHCM
— Rahil Raza Azhari (@AzhariRahil) March 31, 2020
साफ़ है कि जैसी व्यक्ति की राजनीतिक विचारधारा है वो इस मामले को ठीक वैसे ही देख रहा है.
#निज़ामुद्दीन_मरकज़ से खड़े हुए विषम परिस्थितियों पर बात करने के बजाय तुम उपदेश दे रहे हो??कब तक यूं आँख मूंदकर सोने का बहाना करोगे??क्यों सच्चाई बोलने के साहस को गिरवी रख दिए हो तुम लोग? क्यों सच्चाई से मुंह मोड़कर दूसरी बात छेड़ते हो ? क्यों पत्रकारिता को कलंकित करते हो??
— राजेश सिंह (Drone) (@imsinghrajesh) March 31, 2020
बहरहाल जिस तरह से निज़ामुद्दीन मरकज़ की तरफ से चूक हुई है एक अनचाही मुसीबत देश के सामने आ गयी है. जिस हिसाब से यहां से निकल कर लोग दूसरी जगहों पर गए हैं. साफ़ हो गया है कि सुरक्षा के लिहाज से एक धर्म विशेष के कारण बहुत बड़ी चूक हो गई है.
खतरा पूरे देश पर है और जब स्थिति इतनी विकट हो तो ईश्वर से प्रार्थना ही एकमात्र विकल्प है. बाकी शासन और प्रशासन को इस घटना का संज्ञान सख्ती से लेना चाहिए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए.
ये भी पढ़ें -
Coronavirus को हराने के जश्न में चीन में खरगोश और बत्तखें कुर्बान!
Coronavirus: कांग्रेसी रुख में बदलाव का इशारा है प्रियंका गांधी का मुकेश अंबानी को लिखा पत्र
Coronavirus Lockdown: बेंगलुरु का कहकर थाईलैंड गया पति धरा गया है!
आपकी राय