कुछ बातें, जिनके आगे नोबेल की चोरी छोटी है
कैलाश सत्यार्थी के नोबेल पुरस्कार की प्रतिकृति चोरी हो गई. दिल्ली में होने वाले अपराधों पर गौर करें तो लगेगा कि पुलिस के लिए नोबेल चोरी की बदनामी से बडी और भी चुनौतियां हैं.
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बच्चों के अधिकारों की आवाज उठाने वाले कैलाश सत्यार्थी के नोबेल पुरस्कार की प्रतिकृति चोरी हो गई. कैलाश के दिल्ली स्थित निवास पर देर रात को चोरों ने धावा बोल दिया. चोर अल्मारी की तिजोरी में से कैश और जेवर तो ले गए, साथ ही उनका नोबेल अवॉर्ड का सर्टिफिकेट और रेप्लिका को भी नहीं छोड़ा. ये वही नोबेल है, जो उन्हें बाल अधिकारों के संरक्षण को लेकर आवाज उठाने के लिए 2014 में दिया गया था. शुक्र है कि कैलाश जी उस वक्त अमेरिका में थे और चोरों को सिर्फ चोरी करने का ही मौका मिला. अगर दिल्ली में जुर्म के ताजा आकड़ों पर नजर डालें तो वो होते तो बड़ी घटना भी हो सकती थी. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताजा आंकड़े इशारा करते हैं कि नोबेल पुरस्कार की चोरी से हुई बदनामी से ज्यादा बड़ी चुनौती दिल्ली के लिए और भी है.
दिल्ली में रेप
सत्यार्थी का पाला चोरों से पड़ा है. लेकिन दिल्ली में कई महिलाओं का पाला ऐसे बदमाशों से पड़ता है, जो नोबेल से कहीं कीमती उनकी इज्जत पर हाथ डाल देते हैं. NCRB 2015 की रिपोर्ट देखें तो दिल्ली में 2199 रेप हुए.
दिल्ली में मर्डर
2015 में दिल्ली में 570 मर्डर हुए. तो क्या कहेंगे ? वो चोर कहीं बेहतर था, जो छुपकर आया और छुपकर चला गया. शुक्र है सत्यार्थी के घर पर कोई नहीं था. चोरी की कई घटनाओं में हत्या भी कर दी जाती हैं.
दिल्ली में अपहरण
चोर पहले सबसे अनमोल चीज पर धावा बोलता है. नोबेल चोरी हुआ है, बड़ी बात है. उम्मीद है पुलिस इसे ढूंढ निकालेगी. लेकिन दिल्ली में 7730 अपहरण हुए हैं, जिनमें से कई आज भी पता नहीं चला है.
मानव तस्करी और बच्चों के खिलाफ अपराध
सत्यार्थी इसी के लिए जंग लड़ रहे हैं. सत्यार्थी 144 देशों में अब तक 83 हजार से ज्यादा बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य कर चुके हैं. लेकिन दिल्ली में मानव तस्करी का रेट 87 है, वहीं बच्चों के खिलाफ अपराध का रेट 9489 है. सत्यार्थी को ज्यादा चिंता इन बच्चों के लिए है.
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