गालीबाज भव्या रॉय और श्रीकांत त्यागी की गलती एक मगर सजा में अंतर, पुरुष को जेल महिला को बेल?
श्रीकांत त्यागी (Shrikant Tyagi) अभी जेल में सजा काट रहा है मगर नोएडा की गालीबाज महिला भव्या रॉय (Bhaavya Roy) को 4 दिनों बाद ही जमानत मिल गई है. यह सही है पहले गलती करो फिर मासूम की शक्ल बनाकर महिला होने का फायद उठाओ और जेल से छूट जाओ.
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वह स्त्री है कुछ भी कर सकती है, ऊपर से अगर वह अमीर वकील हो तब तो पूछो ही मत...हम बात कर रहे हैं नोएडा की गालीबाज महिला भव्या रॉय (Bhavya Roy) की. जिसने कुछ दिनों पहले सोसाइटी के सिक्योरिटी गार्ड अनूप कुमार को गंदी-गंदी गालियां देते हुए, धक्का-मुक्की की थी. उसने बिहारी बोलकर गार्ड के मन को आहत किया था. जिसके बाद महिला को गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. अब खबर आ रही है कि लोकल अदालत ने महिला को 4 दिनों बाद ही जमानत दे दी है. यह सही है पहले गलती करो फिर मासूम की शक्ल बनाकर महिला होने का फायद उठाओ और जेल से छूट जाओ.
इतना ही नहीं जेपी विश टाउन सोसायटी ने भव्या रॉय के खिलाफ एक्शन लेने से मना कर दिया. सोसायटी का कहना है कि भव्या 3 महीने पहले ही यहां शिफ्ट हुई है. उसने पहली बार ही ऐसी हरकत की है. इसलिए सोसायटी कोई कार्रवाई नहीं करेगी. उसे जेल जाने की सजा भी मिल चुकी है. सोचिए, अब उस गार्ड के दिल पर क्या बीती होगी? वह वहां उस महिला की नौकरी बजाएगा. जब भी वह गाड़ी लेकर गेट से निकलेगी तो गार्ड उससे टकराएगा...
गालीबाज श्रीकांत त्यागी और भव्या रॉय ने अपनी-अपनी सोसायटी में गालीगलौज किया और मारपीट की कोशिश की
अगर गार्ड की जगह पर कोई अमीर होता तो शायद महिला इतनी जल्दी अपनी सजी से मुक्त नहीं होती. कम से कस जिस तरह उसने सबके सामने गार्ड को दुत्कारा था उसी तरह सबके सामने अपनी गलती का एससास कर उससे माफी मांगती... वायरल वीडियो देखने के बाद लोगों ने भव्या रॉय को फीमेल श्रीकांत त्यागी कहना शुरु कर दिया.
श्रीकांत त्यागी से तुलना बेवहज नहीं है
जबकि इसी तरह की हरकत ग्रैंड ओमेक्स सोसायटी में श्रीकांत त्यागी ने की थी. उसने भी सोसायटी में रहने वाली एक महिला के साथ 5 अगस्त को बदसलूकी की थी और उसे धमकी दी थी. जिसके बाद उसके घर बाहर बने अतिक्रमण पर बुल्डोजर चलवा गया और उस पर गैंगस्टर एक्ट लगाकर 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया. इसके बाद त्यागी ने अपनी जमानत के लिए दो बार कोर्ट में अर्जी लगाई थी, लेकिन दोनों ही बार अदालत ने उसकी अर्जी खारिज कर दी. त्यागी का साल 2007 का एक मामला खोजा गया और फिर उसे जेल में डाल दिया गया. उसने अपनी जान का खतरा बताया है. त्यागी समाज के लोगों ने उसे छुड़ाने के लिए महापंचायत बुलाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, क्योंकि सोसायटी के लोग पीड़ित महिला के साथ हैं, त्यागी के नहीं. इस तरह त्यागी अभी भी जेल में बंद है.
भव्या रॉय और श्रीकांत त्यागी गाली देना दोनों के लिए अनुचित तो फिर सजा में अंतर क्यों?
दोनों ने अपनी-अपनी सोसायटी में गालीगलौज किया और मारपीट की कोशिश की. दोनों ने गलती की. मगर महिला का जमानत मिल गई और पुरुष अभी भी जेल में है. महिला के खिलाफ सोसायटी ने कोई कार्रवाई नहीं की तो पुरुष की सोसायटी ने माफ नहीं किया. महिला को 4 दिन में जेल से छूट गई और पुरुष अभी जेल में ही है. पुरुष पर गैंगेस्टर एक्ट लगा मगर महिला बेचारी बन गई. महिला आजाद होकर अब घूम रही है तो पुरुष अपनी जान की सुरक्षा के लिए गुहार लगा रहा है...गाली देकर जब दोनों ने गलती की थी फिर सजा में इतना अंतर क्यों? गाली देकर पुरुष के बराबरी करने के बाद अचानक से महिला भव्या रॉय खुद को यूं पेश कर रही है जैसे विक्टिम वही है.
हमारे कहने का मतलब यह है कि भव्या रॉय को इतनी आसानी से जमानत नहीं मिलती चाहिए थी. उसने जो गलती की वह कहीं से भी सही नहीं थी. पहले गलती करो फिर महिला होने पर सजा में कमी की गुंजाइश करो, ऐसा कैसे चलेगा भव्या दीदी? जब हर चीज में बराबरी का हक चाहिए तो सजा में क्यों नहीं?
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