हर जगह पर पीएम मोदी की तस्वीर, ये न्यू इंडिया विजन है या चापलूसी ?
मदरसों को लेकर उत्तरखंड सरकार का ताजा फैसला ये बताने के लिए काफी है कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुश करने के लिए किसी भी सीमा तक जाने के लिए बिल्कुल तैयार है.
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वर्तमान में देश तमाम तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है. पाकिस्तान, चीन, महंगाई, बेरोजगारी, नोटबंदी, जीएसटी, प्याज के बढ़े हुए दाम के बाद अगर इस देश को किसी चीज ने सबसे ज्यादा त्रस्त कर रखा है तो शायद चाटुकारिता है. चाटुकार न केवल आपको और हमें चने के झाड़ पर चढ़ाते हैं बल्कि इन्होंने मोदी सरकार की भी रातों की नींद और दिन के चैन में खलल डालना शुरू कर दिया है. इंटरनेट के इस दौर में आप और हम, आए रोज ऐसी तमाम ख़बरें पढ़ते हैं जिनको पढ़ते हुए महसूस होता है कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुश करने और उनकी नजरों में आने के लिए वो सारे जतन कर रहे हैं जिनको ये अगर सही टाइम पर करते और इसे अपनी पढ़ाई लिखाई में लगाते तो आज ये एसबीआई में "पीओ" की कुर्सी पर बैठकर या फिर पटवारी का एग्जाम देकर अपना बुढ़ापा संवार रहे होते.
उत्तराखंड सरकार का ये फैसला ये बताने के लिए काफी है कि उसने चाटुकारिता की सारी हदें पार कर दी हैं मौजूदा वक़्त में पीएम मोदी को लुभाने की जुगत में लगे इन लोगों को देखकर ये कहना गलत न होगा कि ये लोग मोदी सरकार के गोदाम के वो चूहे हैं जो उनकी मेहनत रूपी अनाज को अपने कर्मों से सफाचट कर रहे हैं और यदि भविष्य में विकास के समुद्र की गहराइयों में मोदी सरकार वाली कश्ती डूबी तो उसके जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि ये चाटुकार चूहे ही होंगे.
हो सकता है ये बातें व्यक्ति को आहत कर दें. तो इसे समझने के लिए हमें पहले एक खबर समझना जरूरी है. खबर है कि उत्तराखंड में सरकार से मदरसे खफा हैं और उन्होंने सरकार के आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया है. सरकार ने मदरसों को आदेश दिया था कि वो प्रतिज्ञा लें कि वो 2022 तक पीएम नरेंद्र मोदी का न्यू इंडिया के विजन को साकार करेंगे. साथ ही सरकार ने मदरसों को ये भी आदेश दिया था कि वो अपने अपने संस्थान में पीएम मोदी की फोटो भी लगाएं.
प्रतिज्ञा तक बात ठीक है मगर प्रधानमंत्री की तस्वीर का आदेश साफ दिखा रहा है कि उत्तराखंड सरकार चाटुकारिता दर्शाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.जी हां बेहतर राष्ट्र के लिए प्रतिज्ञा वाली बात को आम आदमी का समर्थन इसलिए प्राप्त है क्योंकि अब तक देश का आम आदमी यही मानता चला आया है कि विभाग कोई भी हो चिकित्सा से लेकर शिक्षा तक हर जगह स्थिति बहुत बुरी है. हर जगह अराजकता और भ्रष्टाचार का माहौल है. ऐसे में यदि विभाग / संस्थान अपने को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा लेते हैं तो किसी भी नागरिक द्वारा इसे देशहित में माना जाएगा और एक अच्छी पहल के रूप में देखा जाएगा.
मदरसों को लेकर उत्तराखंड सरकार का ये फैसला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है
मगर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाने की बात कहकर राज्य सरकार ने ये साफ दर्शा दिया है कि उसका उद्देश्य प्रधानमंत्री से मिलने वाले रिपोर्ट कार्ड में अच्छे नंबर लाना नहीं बल्कि टॉप करना है. बात बहुत साधारण है. यदि राज्य सरकार के लिए विकास की मानक प्रधानमंत्री या किसी और की तस्वीरें हैं तो उसे तत्काल प्रभाव में इस्तीफ़ा दे देना चाहिए और मुख्यमंत्री की कुर्सी के ऊपर प्रधानमंत्री या किसी और की तस्वीर लगा के तंत्र को भगवान भरोसे छोड़ देना चाहिए.
अब यदि सरकार, सरकार के नुमाइंदे या फिर सरकार के समर्थक हमारे द्वारा कही इस बात की आलोचना करते हैं तो वो जान लें कि काम तस्वीरें टांगने से बिल्कुल नहीं होता. याद शायद आपको भी हो. देखा आपने भी होगा, आज इस देश के तमाम दफ्तर अलग अलग देवी देवताओं के अलावा महान हस्तियों की फोटो से पटे पड़े हैं मगर इसके बावजूद वहां भ्रष्टाचार अपने चरम पर और घूसखोरी आम है.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात को विराम देंगे कि यदि उत्तराखंड की सरकार वाकई देश के विकास और प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के सपने के लिए गंभीर है तो फिर वो वाकई कुछ बड़ा और सार्थक करे. उसके द्वारा लिए गए ये फैसले ये बताने के लिए काफी हैं कि उसका मकसद विकास नहीं बल्कि केंद्र सरकार को खुश करना और मुफ्त की पब्लिसिटी प्राप्त करते हुए 100 में से 100 नम्बर हासिल करना है. साथ ही एक नागरिक के तौर पर हम राज्य सरकार से इस बात का भी जवाब चाहेंगे कि आखिर प्रधानमंत्री की तस्वीरें टांगने से वो विकास कैसे करेगी.
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