नन रेप और चर्च पर हमला: कैसे हम पाकिस्तान से अलग हैं?
कोई नहीं जानता कि राजधानी में चर्च पर हमलों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध दिल्ली में भाजपा की शर्मनाक हार से है या नहीं.
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कोई नहीं जानता कि राजधानी में चर्च पर हमलों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध दिल्ली में भाजपा की शर्मनाक हार से है या नहीं. कोई नहीं कह सकता कि नदिया जिले में रानाघाट पर कॉन्वेंट ऑफ जीसस मैरी पर हुए हमले और 71 साल की वृद्ध नन के साथ बलात्कार किए जाने की घटना का संबंध पश्चिम बंगाल में उभरती हुई हिंदुवादी ताकतों से है या नहीं. जब तक सीआईडी की जांच खत्म नहीं हो जाती तब तक इन घटनाओं की असली वजह कोई नहीं बता सकता.
जब इन निन्दनीय घटनाओं का क्रमानुसार विश्लेषण करते हैं तो हमारी समझ इस बात को खारिज करती है. यहां पर तीन खास सवालों के जवाब नहीं मिलतेः
अगर हमलावरों का इरादा डकैती था तो उन्होंने लूट के साथ ननस् के पूजा स्थान चैपल को अपवित्र क्यों किया? और पवित्र मेजों को बाहर क्यों फेंक दिया? दूसरा, उन्होंने एक बूढ़ी नन के साथ बलात्कार क्यों किया? और तीसरा ये कि बलात्कार के मामले में आरोपियों ने वहां मौजूद एक जवान नन को छोड़कर बूढ़ी नन को ही क्यों निशाना बनाया?
रानाघाट में ईश्वर की साधना में लीन पवित्र महिला के साथ बलात्कार की भयानक वास्तविकता से ईसाई समुदाय उबरने की कोशिश कर ही रहा था. कि लाहौर के चर्च में दो बम धमाकों की बुरी खबर ने सबको हिला कर रख दिया. इन बम धमाकों में 15 लोग मारे गए और 75 जख्मी हो गए. उन बेकसूर लोगों की क्या गलती थी जो रविवार की सुबह चर्च में प्रार्थना के लिए आए थे.
इससे पहले की हम लाहौर वाली इस घटना के बारे में सुनते, लगभग उसी वक्त हमें हरियाणा के हिसार में एक निर्माणाधीन चर्च को ढहा दिए जाने की खबर मिली. जहां हिंदूवादी कट्टरपंथियों ने चर्च के ऊपर लगे क्रॉस को नीचे गिराकर वहां जय सिया राम के नारे के साथ एक भगवा झंडा फहराया दिया. वहां के सरंपच ने भी गुंडों का साथ दिया और धर्म परिवर्तन के नाम पर इस घटना झूठा प्रचार भी किया.
भले ही आप मेरी तरह इसाई न हों लेकिन एक पाठक के तौर पर आपके मन में और अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के एक सदस्य के रूप में मेरे मन में यह सवाल है कि भारत और पाकिस्तान में इन श्रृंखलाबद्ध घटनाओं को हम किस तरह देखते हैं? हम कैसे अलग हैं? हम भारत में हुई घटनाओं की तरह ही पाकिस्तान में भी वहां हुए बम विस्फोटों के बारे में बात नहीं कर सकते. चाहे वो भारत की राजधानी में हो, या रानाघाट या हिसार या देश के चारों तरफ होने वाली घटनाएं. मेरी इस बात से कुछ लोग सहमत होंगे और कुछ असहमत.
जो लोग पाकिस्तान और भारत में हुई अलग-अलग घटनाओं के बीच समानता देख रहे हैं. मैं उनको बताना चाहता हूँ कि मुझे पाकिस्तान में यह काम करने वाले मुस्लिम कट्टरपंथियों और भारत में कट्टरपंथ की शपथ लेने वाले हिंदूवादी एक समान लगते हैं. और दोनों ही देशों में पीड़ित, असहाय अल्पसंख्यक ही हैं.
पोप फ्रांसिस ने कहा था कि ईसाई अब दुनिया में सबसे ज्यादा सताए जाने वाला समूह बन रहे हैं. और ये घटनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं.
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