खतरा कर्नाटक में मिले Omicron के दो केस से ज्यादा बड़ा है
असल में ओमिक्रोन का पता चलने पर जब पड़ताल के बाद पता चला कि एक 66 साल का शख्स दक्षिण अफ्रीका से यात्रा करके लौटा था. यह खतरा इसलिए दो लोगों से कहीं ज्यादा है, क्योंकि उन दो लोगों के आगे पीछे लाइनों में जितने लोग बैठे होंगे वे भी ओमीक्रोन वायरस की चपेट में आ सकते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमीक्रोन, संक्रमित व्यक्ति से दूसरे 20 लोगों में फैल सकता है.
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कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के दो मामले भारत में (omicron cases in india) सामने आए हैं. कर्नाट राज्य (Karnataka city) में 66 व 46 वर्ष की उम्र के दो ओमिक्रॉन मरीज मिले हैं. इसकी सबसे पहले जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने दी. कर्नाटक में ओमिक्रॉन के दो मामलों की पुष्टि करते हुए लव अग्रवाल ने बताया कि दोनों यात्रियों की पहचान कर ली गई है. जिनमें मामूली लक्षण हैं. दुनियां में इस वेरिएंट के अब तक जितने मामले मिले हैं, उनमें सीरियस लक्षण नहीं हैं. दरअसल, ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में हुई थी. इसके बाद एक-एक करके 21 देशों में इस वायरस के मिलने की पुष्टि होने लगी और आज भारत में भी इसके दो मरीज मिले.
असल में ओमिक्रोन का पता चलने पर जब पड़ताल के बाद पता चला कि एक 66 साल का शख्स दक्षिण अफ्रीका से यात्रा करके लौटा था. वहीं दूसरा पॉजिटिव पाए गए शख्स की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है, वह हेल्थ केयर वर्कर है. एक बात और इन दोनों में से एक को कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज भी लग चुके हैं.
ओमिक्रॉन के दो मामले भारत में सामने आए हैं
यह खतरा इसलिए दो लोगों से कहीं ज्यादा है, क्योंकि हवाई यात्रा करके लौटे ओमिक्रॉन संक्रमित व्यक्ति के आगे पीछे लाइनों में जितने लोग बैठे होंगे वे भी ओमिक्रोन वायरस की चपेट में आ सकते हैं. उन लोगों का पता लगाना आसान नहीं है, ऊपर से वे लोग किन-किन लोगों से मिले होंगे, कहां गए होंगे यह ट्रैक करना किसी चुनौती से कम नहीं है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रोन, संक्रमित व्यक्ति से दूसरे अन्य 20 लोगों में फैल सकता है.
इतना हो हल्ला मचाने के बाद भी बात वहीं आकर रूक गई कि अंतरराष्ट्रीय उड़ाने 15 दिसंबर के पहले ही बंद करनी चाहिए थी लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद आखिरकार कोरोना का नया वायरस ओमिक्रोन भारत पहुंच ही गया. भले ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगाने से ओमिक्रोन संक्रमण पर पूरी तरह रोक नहीं लगा सकते लेकिन थोड़े दिन तैयारियों के लिए तो समय मिल ही जाता.
वहीं कोरोना वेरिएंट को लेकर नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल का कहना है कि जिन साधनों का इस्तेमाल हमने कोरोना महामारी में किया है, हमें अब भी वही करना होगा. मास्क यूनिवर्सल वैक्सीन की तरह है, यह हर तरह के वेरिएंट को रोकता है, इसलिए इसे लेकर लापरवाही न बरतें. वैक्सीन की दोनों डोज लेने में देरी न करें. इसके साथ ही हवादार माहौल में रहें. उन्होंने कहा कि हमें डरने की जरूरत नहीं है लेकिन इस चुनौती का सामना करने के लिए सावधान और जिम्मेदार तो रहना ही होगा.
omicron से बचाव के लिए क्या कर सकते हैं-
- शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पीएं.
- सूखे मेवे, हरी सब्जी, बीज और फल को डाइट में शामिल करें.
- तनाव ना लें, इससे शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है.
- कम से कम 7 से 8 घंटे की पूरी नींद लें.
- हेल्थ चेकअप कराएं ताकि शरीर में विटामिन डी, कैल्शियम, आयरन की कमी का पता लग सके.
ओमिक्रोन (omicron virus) के बारे में विशेषज्ञों को हर रोज कुछ ना कुछ नई जानकारी मिल रही हैं. कोरोना के नए वायर (corona new variant) के बारे में अभी बहुत कुछ पता लगाया जाना बाकी है. वहीं कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ओमिक्रोन वेरिएंट का सामने आना हमारे लिए अच्छी खबर नहीं है.
दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रोन वेरिएंट का पता लगने के लगभग दो सप्ताह बाद ही कनाडा में दो ओमिक्रोन मामलों का पता चला था. इस मामले में व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ एंथोनी फौसी का कहना है कि "अगर संयुक्त राज्य अमेरिका में ओमिक्रोन पहले से ही है तो इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं होगी.”
हालांकि वैज्ञानिक अभी इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ओमिक्रोन कितना संक्रामक है? इसका वायरल लोड कितना है? यह कितना घातक है? इसके खिलाफ टीकाकरण कितना प्रभावशाली है? वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे दुनियां के लिए चिंताजनक बताया है. इसी बीच कई राज्यों ने लोगों को सतर्क रहने और मास्क लगाने की कड़ी चेतावनी दी है. आपके मन में भी इस नए वेरिएंट ओमिक्रोन को लेकर कई सवाल चल रहे होंगे, हम यहां उन सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं.
मॉडर्ना के सीईओ स्टीफन बैंसेल का मानना है कि ओमिक्रोन कोविड-19 विरोधी टीके को भी भेद सकता है. असल में दक्षिण अफ्रीका के जिन लोगों में यह वायरस पाया गया उनमें से कुछ ने जॉनसन एंड जॉनसन, कुछ ने फाइजर-बायोएनटेक और कुछ ने ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका (कोविशील्ड) की वैक्सीन लगवा रखी थी. बैंसेल का कहना है कि मौजूदा वैक्सीन, कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट पर तो कारगर है लेकिन ओमिक्रॉन पर इसका इतना प्रभाव नहीं रहेगा. बैंसेल के इन बयानों के बाद लोगों में घबराहट होना लाजिमी है क्योंकि कोरोना के नए वेरिएंट के मरीज नए-नए देशों में मिल रहे हैं. जिनमें अब फ्रांस और जापान का नाम भी शामिल हो चुका है.
वहीं who के अनुसार, ओमिक्रोन में परेशान करने वाली विशेषताएं हैं जो इसे और अधिक संक्रामक बना सकती हैं. खासकर उन लोगों को ज्यादा खतरा है जो कोरोना पॉजिटिव होकर ठीक हो चुके हैं. दूसरी तरफ व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फौसी ने बताया कि इस वैरिएंट में "स्पाइक प्रोटीन में बड़ी संख्या में म्यूटेशन होता है." स्पाइक प्रोटीन वायरस का वह हिस्सा है जो आपके शरीर में कोशिकाओं को पकड़ता है और उनमें प्रवेश करता है, इस वजह से कोविड संक्रमण तेजी से फैलता है.
Who का कहना है कि “दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रोन का पता लगने के साथ ही संक्रमण तेजी से बढ़ा है". दक्षिण अफ्रीका में केवल 24% आबादी का टीकाकरण किया गया था, जो यू.एस. आबादी का 59% हिस्सा है. फौसी का मानना है कि बाकी देशों में भी इसी पैटर्न की तरह नए वेरिएंट का संक्रमण फैल सकता है.
द. अफ्रीका में सरकार को इस वेरिएंट के प्रति सतर्क करने वाली डॉ. एंजेलिक कोएट्जी के अनुसार, इसके लक्षण काफी सामान्य हैं. “ओमिक्रोन संक्रमित पहले मरीज को बहुत थकान थी और उसके पूरे शरीर और सिर में दर्द था. उसके गले में खरास तो थी, लेकिन कफ की समस्या नहीं थी. उसके सूंघने और स्वाद की क्षमता भी नहीं गई थी. उस मरीज का पूरा परिवार संक्रमित निकला और सभी में मध्यम लक्षण ही दिखे.” एक तरह से अच्छी बात यह है कि अब तक ओमिक्रोन से किसी के भी मौत की खबर सामने नहीं आई है.
कुछ लोगों ने मन में भी यह भी सवाल चल रहा होगा कि क्या हमें ओमिक्रोन संक्रमण का इंतजार करना चाहिए फिर बूस्टर डोज लेना चाहिए? इस पर फौसी का मानना है कि योग्य लोगों को अपना बूस्टर डोज ले लेना चाहिए. चाहें ओमिक्रोन का विकास हो या ना हो. किसी वायरस से बचने के लिए जितना हो सके प्रयास करें. आप जितनी लापरवाही बरतते हैं और जितना देरी करते हैं उतना ही आप संक्रमित होने का खतरा मोल लेते हैं.
डेल्टा वायरस भी खतरनाक है, बूस्टर डोज उससे भी बचाव ही करेगा. अगर मौजूदा वैक्सीन ओमिक्रोन पर काम करती है तो फिर किसी को बूस्टर डोज लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. फिलहाल बचाव ही बेहतर है, क्योंकि बहुत सी बातें अभी साफ नहीं हैं.
वहीं सीडीसी के निदेशक डॉ. रोशेल वालेंस्की का कहना है कि योग्य लोगों को उनके बूस्टर डोज मिलने चाहिए. क्योंकि में बूस्टर शॉट हमारे शरीर के एंटीबॉडी स्तर को बाकी वायरस के संस्करण से बचाता है.
वहीं ब्राउन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डीन डॉ. आशीष झां ने एक ट्वीट में लिखा कि “टेस्ट आसानी से ओमिक्रोन का पता लगा सकते हैं. एक बात और भले ही ओमिक्रोन स्तिथी को खराब करे लेकिन दुनियां को कोविड से लड़ने वाली प्रगति को प्रभावित नहीं कर सकता.”
WHO का मानना है कि जहां तक कोविड मरीजों के इलाज की बात है तो पिछले दो सालों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज की जो पद्धतियां इजाद की गई हैं, वह ओमिक्रोन मरीजों के लिए भी उपयोगी साबित होंगी. हालांकि इसके अलावा इलाज के अन्य तरीकों को भी अपनाया जा सकता है.
देखने में आता है कि सबकुछ जानने के बाद भी लोग लापरवाही बरत रहे हैं. ओमिक्रोन से लड़ने का तरीका है कि हमें सतर्क हो जाना चाहिए. लापरवाही हुई तो फिर कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है. अब हमारे हाथ में है कि हम क्या चाहते हैं? जाहिर है जो मार्मिक दृश्य हमने कोरोना की दूसरी लहर में देखा वो दोबारा देखना तो नहीं चाहेंगे.
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