क्या भारत कोरोना की तीसरी लहर की दहलीज पर खड़ा हो गया है?
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron Variant) ने दुनियाभर में दहशत फैला दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ओमिक्रॉन को भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस (Corona Virus) के डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक संक्रामक वेरिएंट बताया है.
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कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनियाभर में दहशत फैला दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमिक्रॉन को भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक संक्रामक वेरिएंट बताया है. 24 नवंबर को साउथ अफ्रीका में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट का पहला मामला सामने आने के 12 दिनों के भीतर ही ये 38 देशों में फैल चुका है. भारत में भी इसके संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. बीते एक दिन में ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या 4 से 21 हो जाना कहीं न कहीं इस संभावना को बल दे रहा है कि ये डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा संक्रामक है. हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि अभी ये तय करने में काफी समय लगेगा कि कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट कितना संक्रामक है? ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर अभी बहुत ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है. जिसकी वजह से इसके बारे में कुछ भी अंदाजा लगाना मुश्किल है. ओमिक्रॉन वेरिएंट के भारत में प्रवेश के बाद सवाल उठना लाजिमी है कि क्या भारत कोरोना की तीसरी लहर की दहलीज पर खड़ा हो गया है?
देश में अगले 15 दिनों में कोरोना संक्रमण का क्या हाल होगा, इसे लेकर संभावना जताना नामुमकिन है.
ओमिक्रॉन के हल्के लक्षण हो सकते हैं खतरा
बीते कुछ हफ्तों में कोरोना वायरस के मामलों में कमी और संक्रमण के एक्टिव मामले एक लाख से नीचे पहुंचना भारत के लिए राहत की खबर बनकर सामने आए थे. हालांकि, कोरोना संक्रमण के रोजाना सामने आ रहे मामलों में से 85 फीसदी से ज्यादा भारत के पांच राज्यों से केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और पश्चिम बंगाल से हैं. चिंताजनक ये भी है कि करीब 50 फीसदी से ज्यादा मामले केरल राज्य से ही सामने आ रहे हैं. भारत में R नंबर यानी आर वैल्यू या री-प्रोडक्शन नंबर 1 से नीचे पहुंचने के चलते कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है. लेकिन, डेल्टा वेरिएंट के मामलों में कमी के बाद नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले सामने आना और लगातार बढ़ना भारत के लिए चिंता का विषय है. देश में अगले 15 दिनों में कोरोना संक्रमण का क्या हाल होगा, इसे लेकर संभावना जताना नामुमकिन है.
ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर बहुत हद तक संभावना है कि ये भारत में कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकता है. दरअसल, कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट हल्के लक्षणों वाला नजर आ रहा है. वहीं, अब तक सामने आए मामलों को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि कई संक्रमित मरीजों में ये हल्के लक्षण या बिना लक्षण के तौर पर सामने आया है. भारत की आबादी के लिहाज से सामान्य सर्दी-खांसी वाले संक्रमित मरीज को बिना जांच के ओमिक्रॉन वेरिएंट से ग्रस्त माना जाना मुश्किल है. क्योंकि, सर्दियों में खांसी-जुखाम-बुखार जैसे लक्षणों को सामान्य तौर पर ही लिया जाता है. अगले दो महीनों में बड़ी संख्या में खांसी-जुखाम-बुखार जैसे सामान्य लक्षणों या बिना लक्षणों वाले लोग ओमिक्रॉन वेरिएंट को फैला सकते हैं.
#UPDATE | Nine new cases of #OmicronVariant of COVID-19 reported from Rajasthan, Seven cases from Maharashtra and one case from Delhi. With this, 21 cases of #Omicron have been reported in India so far.
— All India Radio News (@airnewsalerts) December 5, 2021
एंटीबॉडीज पर क्यों नहीं किया जा सकता भरोसा
कोरोना वायरस का ये वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है, तो डेल्टा वेरिएंट की तरह ही इसके भी फैलने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के ट्वीट के अनुसार, भारत में 50 फीसदी लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लगाई जा चुकी हैं. हालांकि, वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को भी कोरोना संक्रमण हो रहा है. ओमिक्रॉन के खिलाफ कोरोना वैक्सीन कितनी कारगर है, इसको लेकर भी संशय है. वहीं, वैक्सीन लगने के बाद बनने वाली एंटीबॉडीज की बात करें, तो जिन लोगों को कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण हुआ था. उन लोगों में कोरोना संक्रमण से बनी एंटीबॉडीज निश्चित तौर पर खत्म हो गई होंगी. क्योंकि, कई अध्ययनों में सामने आ चुका है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज करीब 6 महीने तक ही रहती हैं. और, दूसरी लहर को आए हुए 6 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं. लेकिन, इसके बाद लोगों को कोरोना वैक्सीन भी लगी हैं, तो बहुत हद तक संभावना है कि लोगों में एंटीबॉडीज हों. लेकिन, क्या ये एंटीबॉडीज ओमिक्रॉन के खिलाफ काम करेंगे? ये बात अभी सामने नहीं आई है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत की कुल आबादी का 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा अभी भी इस ओमिक्रॉन वेरिएंट के खतरे से दूर नहीं हुआ है.
फेस्टिव और चुनावी सीजन
इस साल अप्रैल में आई कोरोना की दूसरी लहर को फेस्टिव सीजन में कोविड-19 प्रोटोकॉल को लेकर लोगों की लापरवाही एक बड़ी वजह बताई गई थी. इसी से सीख लेते हुए केंद्र सरकार की ओर से लगातार फेस्टिव सीजन को लेकर कोई कोताही नहीं बरतने की बात कही जा रही है. अगले साल देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. और, रैलियों में आने वाली भीड़ के बीच ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमण फैलने की रफ्तार को तेजी मिल सकती है. आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनींद्र अग्रवाल का मानना है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर जनवरी या फरवरी में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले अपने पीक पर पहुंच सकती है. मनींद्र अग्रवाल ने संभावना जताई है कि हल्के लक्षणों की वजह से अस्पताल में भर्ती किए जाने वाले मामलों में कमी आ सकती है. लेकिन, पक्के तौर पर कहने के लिए अभी ओमिक्रॉन वेरिएंट से जुड़ा और डेटा आने का इंतजार करना चाहिए.
It may well be that hospitalization load is even lower as there are indications that the cases are mostly mild. We need to wait for more data to be sure.
— Manindra Agrawal (@agrawalmanindra) December 3, 2021
क्या लॉकडाउन होगा उपाय?
कोरोना की तीसरी लहर आना तय है. लेकिन, ये कितनी गंभीर होगी, ये आने वाले कुछ दिनों में तय हो जाएगा. आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनींद्र अग्रवाल के अनुसार, कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट के फैलने के बाद ये निष्कर्ष निकला था कि नाइट कर्फ्यू, भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में पाबंदियों जैसे कम कड़े लॉकडाउन से भी कोरोना की दूसरी लहर पर नियंत्रण पाया जा सकता है. अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है, तो लॉकडाउन लगाकर कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट को नियंत्रित किया जा सकता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो कोरोना की तीसरी लहर की भयावहता को लेकर अंदाजा लगाना बिल्कुल भी आसान नहीं है. लेकिन, ओमिक्रॉन वेरिएंट, वैक्सीनेशन, एंटीबॉडीज जैसी चीजों पर नजर डालने पर स्थिति लगभग साफ हो जाती है. फिलहाल, इतना ही कहा जा सकता है कि भारत कोरोना की तीसरी लहर की दहलीज पर खड़ा है. और, अगले कुछ महीनों में कोविड प्रोटोकॉल के पालन में की गई जरा सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है.
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