पाकिस्तान में भी एक फिल्म का हाल पद्मावती जैसा हो रहा है...
पाकिस्तान में रेप पर बनी फिल्में, महिलाओं के मुद्दे पर बनी फिल्में अलाउड नहीं हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच लाख दुश्मनी हो, लेकिन सिनेमा को लेकर आपत्ति और विरोध के मामले में हम एक जैसे हैं.
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भारत और पाकिस्तान. दो कट्टर दुश्मन देश. लेकिन इन दोनों देशों में कई समानताएं हैं. रीति रिवाज, भाषा से लेकर खान-पान तक. यहां तक की फिल्मों के विरोध में भी भारत और पाकिस्तान एक ही पलड़े में दिखाई देते हैं. एक तरफ जहां भारत में मलयालम फिल्म दुर्गा और मराठी फिल्म न्यूड को 20 से 28 नवंबर तक होने वाले 48वें फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जाए या नहीं से लेकर पद्मावती रिलीज होगी या नहीं की बहस में फंसे हैं. तो वहीं पाकिस्तान इस बहस में लगा है कि क्या वहां का सेंसर बोर्ड मुल्लाओं की हद से ज्यादा बातें मानता है. मुल्लाओं के विरोध के कारण पाकिस्तान में अभिनेत्री माहिरा खान की फिल्म 'वरना' को बैन करने के बाद से वहां ये बहस खड़ी हुई है.
एक तरफ जहां 'वरना' के निर्देशक शोएब मंसूर हैं जिन्होंने 'खुदा के लिए' और 'बोल' जैसी जबरदस्त फिल्म का निर्देशन कर चुके हैं तो वहीं पद्मावती के निर्देशक संजय लीला भंसाली हैं. दोनों की ही फिल्मों का विरोध मुट्ठी भर लोग कर रहे हैं. लेकिन वो सभी हिंसा से भी परहेज नहीं कर रहे.
पहले दोनों फिल्मों का ट्रेलर देख लें फिर आगे की बात करते हैं-
वरना-
पद्मावती-
पिछले कुछ महीनों से किसी भी मीडिया, अखबार या वेबसाइट को खोलें और देखें. हर जगह यही हेडलाइन दिखाई देगी कि संजय लीला भंसाली की पद्मावती, राजपूत स्त्रियों के चरित्र का मान-मर्दन कर रही है. फिल्म के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं और भंसाली के साथ-साथ फिल्म की हिरोईन दीपिका पादुकोण के पुतले तक जला रही है. ये और बात है कि अभी तक किसी को नहीं मालूम की पद्मावती असलियत में कभी थी भी या नहीं. लेकिन हमारे यहां के संस्कृति के ठेकेदारों और समाज के कर्णधारों को आखिर कोई ये बात कैसे समझाए!
लेकिन आखिर लोगों को इस फिल्म से दिक्कत क्यों है? तो उन्हें दिक्कत इस बात से है कि फिल्म में खिलजी शासक अलाउद्दीन खिलजी को चित्तौड़ की महारानी पद्मावती के साथ रोमांस करते हुए दिखाया गया है. इसमें ये बात जानने योग्य है कि ये रोमांस खिलजी का एक सपना होता है! इस 15 मिनट की गलतफहमी ने हालत ये कर दी है कि अब अपने 1 दिसम्बर की तारीख को पद्मावती रीलिज होगी भी या नहीं इसपर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं.
दोनों देश अलग भले हो गए लेकिन सोच एक ही है
वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं. इसी शुक्रवार को माहिरा खान की फिल्म वरना पाकिस्तान के सिनेमाघरों में उतरने वाली थी. लेकिन वहां की सेंसर बोर्ड ने फिल्म को बैन कर दिया. फिल्म में एक महिला के रेप और उसके साथ हुई ज्यादतियां दिखाई गई थी. फिल्म को लाहौर में होने वाला प्रीमियर स्थगित करना पड़ा था क्योंकि सेंसर बोर्ड फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दे पाई थी.
पाक सेंसर बोर्ड के इस फैसले की लोगों ने कड़ी निंदा की है और सोशल मीडिया पर खुलकर फिल्म के सपोर्ट उतर आए. फिल्मकार और पत्रकार हसन जायदी ने अपने ट्विटर पर लिखा कि- 'तो वरना को कुछ बेवकुफों द्वारा बैन कर दिया गया. इस्लामाबाद में बैठे इन लोगों को लगता है कि रेप जैसे मुद्दे पर बात नहीं होनी चाहिए. इस फिल्म को सिंध में पास कर दिया गया था. अब आज हम फुल बोर्ड अपील करेंगे.'
So #Verna has been banned by the usual idiots on the Islamabad censor board who appar think topic (rape) should not be talked about. Was cleared by Sindh. Going into full board appeal today.
— Hasan Zaidi (@hyzaidi) November 14, 2017
मुद्दे की बात ये है कि पाकिस्तान में रेप पर बनी फिल्में, महिलाओं के मुद्दे पर बनी फिल्में अलाउड नहीं हैं. वहीं हमारे यहां किसी काल्पनिक रानी की कहानी पर फिल्में अलाउड नहीं हैं. न भारत में और न ही पाकिस्तान में लोग तर्क और समझदारी की बातें सुनना पसंद करते हैं. और न ही सुनते हैं. कुल मिलाकर भारत और पाकिस्तान एक हैं. दिल से न सही दिमाग से तो बिल्कुल एक हैं.
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