पाकिस्तान को धोनी के दस्ताने दिखते हैं, जबरन धर्म परिवर्तन नहीं!
Pakistan Forced Conversion की घटनाएं दिन प्रति दिन बढ़ती ही चली जा रही हैं. एक बार फिर दो हिंदू लड़कियों को अगवा करने की बात सामने आई है. लेकिन पाकिस्तानी सरकार को भारत पर इल्जाम लगाने के अलावा कुछ नहीं दिखता.
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पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन की बातें लगातार बढ़ती चली जा रही हैं. हिंदू और ईसाई बच्चियों, महिलाओं को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन करवाया जाता है, उन्हें इस्लाम कबूल करने के बाद किसी के साथ ब्याह दिया जाता है. ये बातें लगातार बढ़ती चली जा रही हैं. कुछ समय पहले रीना और रवीना नाम की दो पाकिस्तानी लड़कियों को अगवा करने की बात सामने आई थी. ये दोनों परिवार के मुताबिक नाबालिग थीं, लेकिन पाकिस्तानी कोर्ट ने उन्हें बालिग बता दिया था. इसके बाद पाकिस्तान के घोटकी जिले से एक और बच्ची अगवा कर ली गई थी. फिर साइमा इकबाल नाम की एक ईसाई महिला और तीन बच्चों की मां के साथ भी यही सलूक किया गया. अब एक और खबर आई है. 16 साल की सुनीता और उसकी 12 साल की बहन को अगवा कर लिया गया है. जिन लोगों ने उन्हें अगवा किया था उन्होंने बच्चियों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया. कमाल की बात ये है कि पाकिस्तान जिसके मंत्री Indian Cricket World Cup Team के बारे में भी ध्यान रखते हैं और उनके दस्ताने कैसे हैं इनपर भी ध्यान रखा जाता है तो पाकिस्तानी मंत्रियों को ये नहीं दिख रहा कि उनके देश में इन बच्चियों के साथ क्या हो रहा है? भारतीय टीम से लेकर कश्मीर तक पाकिस्तान हर मामले में दखल देता है, लेकिन वो इतना नहीं कर पा रहा कि उसके देश में अल्पसंख्यक खुशी से रहें.
जिन बच्चियों को अगवा किया गया वो खेत से अपने घर वापस आ रही थीं कि उन्हें जबरन कार में बैठा लिया गया. ये दोनों पाकिस्तान के बादिन इलाके की रहने वाली हैं जो दक्षिणी पाकिस्तान में है. उन्हें जबरन एक मजार में ले जाकर कल्मा पढ़ने को कहा गया. लड़िकयों को अगवा करने के बाद अपहरणकर्ताओं ने उनके परिवार से 50 हज़ार रुपए (पाकिस्तान रुपए) मांगे. पाकिस्तान के एक मजदूर परिवार के लिए ये बहुत मुश्किल हैं. उनकी मां ने जैसे-तैसे वहां के हिंदू समुदाय से रुपए मांगकर दिए और लड़िकयों को वापस अपने घर ले आईं. अपहरणकर्ताओं ने कहा कि अगर लड़कियों के एवज में पैसे नहीं दिए गए तो उन्हें जबरन किसी मुसमान से शादी करनी होगी.
पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही हैं.अपने साथ हुई इस आपबीती को संगीता ने ही सुनाया है. संगीता जो 16 साल की है और खेत पर काम करती है. उसे और उसकी बहन को अपने घर वापस लाने के लिए उस परिवार को कितनी मशक्कत करनी पड़ी. पर फिर भी ये परिवार खुद को खुशकिस्मत समझ रहा है. क्योंकि उनकी बेटियां उनके पास वापस आ गईं.
पाकिस्तान में हर साल हज़ारों हिंदू और ईसाई लड़कियों के साथ ये हो रहा है. लड़कियां गायब हो जाती हैं, या उन्हें उनके परिवार के सामने उठा लिया जाता है.
2018 में इतनी लड़कियों को झेलना पड़ा ये दर्द-
एक रिपोर्ट कहती है कि 2018 में 1000 ऐसे रिकॉर्डेड मामले सिर्फ दक्षिणी सिंध प्रांत में थे जहां हिंदू और ईसाई लड़कियों को जबरन धर्म परिवर्तन के दलदल में फंसाया गया. ये Human Rights Commission of Pakistan की रिपोर्ट है. पूरे देश को लेकर कोई ठोस रिपोर्ट नहीं है और ये कहना गलत नहीं होगा कि जब इतने छोटे से हिस्से में ये हो रहा है तो पूरे देश में लड़कियों को ऐसा उत्पीड़न झेलना पड़ रहा होगा.
जहां ऐसा सब दशकों से होता आ रहा है वहीं पिछले कुछ समय से ये बहुत ज्यादा बढ़ गया है. इन लड़कियों को जाति, धर्म, आर्थिक दर्जे के आधार पर चुना जाता है और उनके साथ ज्यादती होती है. पाकिस्तानी मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन मेहंदी हसन का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या ये है कि पाकिस्तान में इसे जुर्म के तौर पर नहीं बल्कि एक समस्या के तौर पर देखा जाता है. इनमें से अधिकतर लड़कियां 18 साल से कम की होती हैं और भले ही शादी का नियम पाकिस्तान में 18 साल की लड़कियों के लिए है, लेकिन इस नियम को दरकिनार किया जाता है. कई बार तो लड़कियों की उम्र को लेकर झूठ भी बोल दिया जाता था.
पाकिस्तान के मंत्रियों और प्रधानमंत्री को कश्मीर, भारत के मुद्दे, भारत की क्रिकेट टीम के बारे में तो सब दिख जाता है, लेकिन शायद उन्हें ये सब कुछ अपने देश के बारे में नहीं दिखता. भारत में मुसलमानों को लेकर किसी भी खबर पर पाकिस्तान में ऐसा रिएक्शन होता है जैसे भारत में सभी पर जुल्म हो रहा हो, जब्कि ऐसा नहीं है. पर पाकिस्तान में अपनी ही नाक के नीचे हो रहे ये अपराध उनके लिए सिर्फ एक समस्या हैं. सुनीता और उसकी बहन की तो जबरन शादी नहीं करवाई गई, लेकिन कई लड़कियां अगवा होने के बाद दोबारा अपने घर वापस नहीं आ पाती हैं.
Suneeta, 16, a Pakistani Hindu girl who was abducted & converted. The men who kidnapped Suneeta & her sister told their mother to pay Rs50,000 or they would marry off the girls. Mother begged and borrowed from within the Hindu community and paid the ransom to get her girls back. pic.twitter.com/2IXZ3mJTZs
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) June 7, 2019
जिन लड़कियों को भी अगवा किया जाता है उनके माता-पिता की किसी भी गुजारिश को नहीं सुना जाता. नाम के लिए अगर केस चल भी जाए तो भी पाकिस्तान में उस मामले पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया जाता. एक केस याद होगा शायद आपको. रीना और रवीना के मामले में सुषमा स्वराज ने चौधरी फवाद हुसैन के साथ ट्विटर पर दो बातें की थीं.
Madam Minister I am happy that in the Indian administration we have people who care for minority rights in other countries. I sincerely hope that your conscience will allow you to stand up for minorities at home as well. Gujarat and Jammu must weigh heavily on your soul. https://t.co/7D0vMiUI42
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) March 24, 2019
तब भी पाकिस्तानी मिनिस्टर ने अपने यहां हुई ज्यादती की जगह गुजरात (गुजरात दंगों.) और जम्मू (कश्मीर में कथित तौर पर हो रही हिंसा) के लिए सुषमा स्वराज को ट्वीट किया था. यानी दशकों से चले आ रहे कश्मीर मुद्दे और 15 साल पहले हुए गुजरात दंगों की बात तो पाकिस्तानी मिनिस्टर कर रहे हैं, लेकिन अपने यहां होने वाली बात का जवाब नहीं दे पा रहे थे.
यही तो पाकिस्तान की असलियत है जिसे देख पाने की हिम्मत खुद पाकिस्तानियों में नहीं है.
ये सिर्फ हिंदू लड़कियों के साथ नहीं हो रहा. ईसाई लड़कियों के साथ भी यही होता आया है. शैलट जावेद 15 साल की लड़की को फैसलाबाद में अगवा कर लिया गया था. उसका रेप किया गया. इस्लाम कबूल करवाया गया और फिर उसकी शादी जबरन मुस्लिम से करवा दी. अप्रैल में जब केस दायर हुआ तब सामने आया कि शैलट असल में उस घर से भाग आई थी जहां जबरन शादी कर उसे रखा जा रहा था. कोर्ट में उसने कहा कि वो अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है. वो ईसाई बनना चाहती थी. वापस अपने धर्म का पालन करना चाहती थी.
पाकिस्तान में जब भी कोई ऐसा मुद्दा सामने आता है तब सरकारें चुप्पी साध लेती हैं. सरकार अपराधियों को बचाती हुई सी दिखती है. स्थानीय स्तर पर लड़िकयों के परिवार के साथ हाथा-पाई तक की जाती है. पर फिर डर के कारण तो कभी ज्यादती के कारण मामला दबा दिया जाता है.
पाकिस्तान के सिंध में ये सब बहुत ज्यादा होता है और इसका कारण मियां मिट्ठू हैं. पाकिस्तान के मियां अब्दुल हक यानी मियां मिट्ठू. ये मियां सिंध की एक दरगाह के साथ-साथ लोकल राजनीति भी चलाते हैं. इनके कारण न जाने कितनी ही लड़कियों को अगवा किया गया है और जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया है.
ये लड़कियां अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं. एक बार अगर कोई लड़की घर वापस आ भी गई तो भी उसके साथ डर बना रहता है कि दोबारा ऐसे ही होगा. पाकिस्तान के पास हर बार हिंदुस्तान से लड़ने के लिए कोई न कोई बहाना होता है, लेकिन अपने यहां हो रहे अत्याचार को सुधारने का कोई मौका उन्हें दिखता ही नहीं है.
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