कौन रह सकता है इमरान खान की बेगम बनकर...
मुझे इमरान खान के साथ 2004 और 2007 में कई दिनों तक वक्त गुजारने का मौका मिला. उनकी पर्सनेल्टी को जानने का तब मौका मिला. मुझे लगता है कि उनकी जिस तरह की पर्सनेल्टी है, उसमें उनके साथ किसी भी आधुनिक महिला का रहना सरल नहीं है.
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दूसरी बार तलाक हो गया इमरान खान नियाजी का. क्रिकेटर, सुपर स्टार, लेडीज किलर और अब बीते कुछ बरसों से सियासी नेता इमरान खान के साथ कौन रहेगा पत्नी बनकर? ये सच में बड़ा सवाल है. उनकी सारी शख्सियत बेहद डामनैटिंग है. वे दूसरे को स्पेस नहीं देते. वे यकीन करते हैं माई वे या हाइवे की थ्योरी में.
आप उनके साथ जितना भी वक्त गुजार लीजिए आपको वे किसी मसले पर विजयी होता नहीं देख सकते. इमरान खान की यह सोच उनके खिलाड़ी जीवन के लिए तो बिल्कुल परफेक्ट थी. लेकिन शायद वैवाहिक जीवन के लिए नहीं.
आपको याद होगा 63 वर्षीय इमरान ने इसी साल जनवरी में बीबीसी की पूर्व एंकर 42 वर्ष की रेहम से निकाह किया था. इमरान और रेहम दोनों की यह दूसरी शादी थी. तब माना जा रहा था कि दोनों की दूसरी शादी सफल रहेगी. कहते भी हैं कि इंसान पहले की गलतियों को सुधार कर लेता है अपनी दूसरी शादी के बाद. इसलिए उसका शेष जीवन सही तरीके से गुजर जाता है. इस लेखक को इमरान खान के साथ साल 2004 और साल 2007 में कई दिनों तक साथ-साथ वक्त गुजारने का मौका मिला. उनसे क्रिकेट से हटकर भी बहुत से मसलों पर लंबी बातें हुईं.
वे बेहद सुसंस्कृत इंसान हैं. विद्वान हैं. भारत के इतिहास की उन्हें गहरी समझ है. कभी हल्की बात नहीं करते. उन्हें अपने जालंधर के ननिहाल के संबंध में बात करना बहुत पसंद है. यहां तक तो सब ठीक है. पर किसी मसले पर वे बहस के लिए तैयार नहीं होते. उनकी सारी कोशिश रहती है कि बहस में वे दूसरे इंसान को मात दे दें. क्या वैवाहिक जीवन में भी आप अपने जीवन साथी को रत्ती भर स्पेस नहीं देंगे? क्या आप उम्मीद कर सकते हैं आज के दौर की नारी इतनी डामनैटिंग पर्सनेल्टी के साथ निर्वाह कर सकती है?
इमरान की पहली पत्नी जेमिमा गोल्डस्मिथ उन्हें दिल से चाहती थी. दोनों की शादी करीब 9 साल चली. जेमिमा ने इमरान के दिल में जगह बनाने के लिए उर्दू और पंजाबी भी सीखी. लेकिन बात नहीं बनी. दोनों की शादी 15 साल चली और 2005 में उनका तलाक हो गया. एक बात और भी लगती है कि शायद उनकी जीवन संगिनी वही महिला बन सकती है जो शब्दों की शैदाई हो. ये बात शायद कम ही लोगों को मालूम हो कि इमरान खान को पुस्तकें पढ़ना बहुत पसंद है. वे कहते हैं कि मेरी नजर में कुरान से बेहतर कोई किताब नहीं हो सकती. ये दुनिया को जीने का सलीका बताती है.
उन्हें वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान रोहन कन्हाई की आत्म कथा 'ब्लास्टिंग फार रन्स' भी पसंद है. रोहन कन्हाई उनके सबसे पसंदीदा बल्लेबाजों में रहे. उन्होंने बताया था कि उन्हें कन्हाई की आत्मकथा उनके लाहौर के दिनों के दोस्त जावेद ने दी थी. जावेद मशहूर शायर इकबाल के पोते हैं.
उन्हें स्पीचीज एंड स्टेटमेंट्स आफ इकबाल- मोहम्मद इकबाल (Speeches and statements of Iqbal Book by Muhammad Iqbal) भी खासी पसंद है. वे कहते हैं कि अगर मैंने इकबाल की शायरी और उनकी दूसरी तकरीरों को ना पढ़ा होता तो मैं जिंदगी में बहुत कुछ मिस करता. इतना क्रांतिकारी शायर उर्दू में फिर होगा, मुझे नहीं लगता. इकबाल को समझने के लिए तो एकाध जिंदगियां चाहिए पर इसे पढ़कर आप उन्हें कुछ हद तक समझ पाएंगे. मैं कह सकता हूं कि मेरा उर्दू शायरी की तरफ रुझान इकबाल को पढ़कर ही हुआ.
अब आप खुद सोच लीजिए कि जो इंसान कैंसर अस्पताल का निर्माण करेगा और इतनी गहरी पुस्तकें पढ़ेगा वह किस तरह का शख्स होगा. उसकी पत्नी बनना कोई सरल तो नहीं है.
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