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Updated: 12 फरवरी, 2021 05:16 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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दहेज (Dowry) एक ऐसी प्रथा है जिसका भार लड़कियों को सारी उम्र झेलना पड़ता है. समय के साथ दहेज लेने का तरीका भी बदल गया है. अब लड़के वाले यह नहीं कहते कि हमें इतना दहेज चाहिए लेकिन इशारा जरूर कर देते हैं. लड़के वाले बड़े शान से कहते हैं कि भाई, हमारी कोई डिमांड तो है नहीं. हां आप अपनी बेटी को खुशी से जो देना चाहें दे सकते हैं. वो उसके काम आएगा, आखिर बेटी के लिए आपके भी तो कुछ अरमान होगें.

दहेज (Dowry) के खिलाफ पाकिस्तान (Pakistan News) के मशहूर डिजाइनर अली जीशान (Designer Ali Xeeshan) का कलेक्शन ‘नुमाइश’ (Anti Dowry Campaign Numaish) काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. इस कलेक्शन में फोटोशूट के जरिए यह दिखाने की कोशिश की गई है कि कैसे एक दुल्हन (Bride) को जिंदगी भर दहेज जैसी कुप्रथा का बोझ उठाना पड़ता है.

वहीं अगर दहेज में कुछ कमी रह जाती है तो जिंदगी भर उसे ताने सहने पड़ते हैं. हमारे देश में तो देहज की कीमत लड़कियों की जिंदगी से ज्यादा होती है. तभी तो दहेज के लिए कई लड़कियों को अपनी जान भी गवानी पड़ती है.

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दहेज के खिलाफ जीशान के इस कलेक्शन का समर्थन यूनाइटेड नेशंस एंटिटी फॉर जेंडर इक्वैलिटी और महिला सशक्तिकरण पाकिस्तान ने भी किया है. वहीं कुछ लोगों ने इसे ढोंग बताकर अपना विरोध जाहिर किया है. जीशान का 'नुमाइश कलेक्शन' दहेज के खिलाफ एक संकल्प है. जो लोगों से यह निवेदन करता है कि वे दहेज ना लेने की प्रतिज्ञा करें. इस कलेक्शन को पैंटीन एचयूएम ब्राइडल कॉउचर वीक 2021 (Pantene HUM Bridal Couture Week 2021) में शोकेस किया गया था. जिसे संयुक्त राष्ट्र महिला पाकिस्तान के सहयोग से बनाया गया है. 

फोटोशूट की गई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि एक थकी दुल्हन है. जिसकी आंखों में आंसू हैं और वह दहेज से भरी हुई बैलगाड़ी खींच रही है. जबकि दूल्हा आराम से खड़ा है. कहा जाता है ना तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं. ये तस्वीरें बता रही हैं कि कैसे लड़की के पैदा होते ही मां-बाप को उसके दहेज की चिंता सताने लगती है. लड़की की मां कैसे थोड़-थोड़ा करके उसके लिए सामान इकट्ठा करना शुरू कर देती है. कैसे एक लड़की को उसकी शादी में दहेज जैसी प्रथा का सामना करना पड़ता है. वहीं अगर दहेज के भार में कमी हो जाए तो उसे प्रताड़ित भी किया जाता है.

नुमाइश के खिलाफ क्यों उठी आवाज

लोग इस कैंपेन का विरोध क्यों कर रहे हैं, अब इसकी बात करते हैं. लोगों का कहना है कि जीशान के नुमाइश कलेक्शन में दुल्हन डिजाइनर लंहगे के लिबास में है. यह सिर्फ डिजाइनर का ढोंग है. एक तरफ ये डिजाइनर, दहेज के खिलाफ बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ लंहगों के कलेक्शन की ‘नुमाइश' करते हैं. शादियों में खर्चा तो डिजाइनर लंहगों की वजह से भी होता है. जो सिर्फ शादी का जोड़ा ना होकर प्राइस टैग हो गया है.

इन डिजाइनर लंहगों की कामत लाखों में होती है. जिसके लिए मां-बाप को पैसे बचाने पड़ते हैं ताकि वे अपनी बेटी की शादी में इसे खरीद सकें. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि दहेज और डिजाइनर लंगहे में फर्क होता है. ऐसा जरूरी तो नहीं कि हर लड़की अपनी शादी में डिजाइनर जोड़ा ही पहनती है जिसकी कीमत लाखों में है. लेकिन दहेज हर लड़की को देना पड़ता है.

कई लोगों ने इस अभियान को समर्थन दिया है और इसकी सराहना की है. लोगों का कहना है कि कम से कम किसी ने तो इस मुद्दे को उठाया. वहीं इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए दहेज प्रथा बंद करो, नुमाइश ना लगाओ और जहेज खोरी बंद करो जैसे हैशटैग का भी इस्तेमाल किया गया है. एक यूजर ने लिखा है कि डिजाइन लहंगे के लिए मंहगी रकम लेना अलग बात है और दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाना अलग बात है. किसी मुद्दे के खिलाफ आवाज उठाने का हक सभी को है.

“यह बहुत अच्छी पहल है, वैसे भी दहेज की संस्कृति ने पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति नर्क बना रखी है”. एक दूसरे यूजर ने यूएन महिला पाकिस्तान के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए पूछा है कि, लेकिन उस डिजाइनर का क्या, जिसने यह अभियान शुरू किया वह तो खुद शादियों के लिए लाखों की पोशाक बनाता है.

एक ने कहा कि, मंहगी और फालतू खर्चे वाली शादियों को रोको. डिजाइनर लाखों के कपड़े खरीदना बंद करो, दिखावा बंद करो और पाखंड बंद करो. इस अभियान के बारे में यूएन महिला पाकिस्तान ने कहा कि दहेज के खिलाफ इस अभियान का समर्थन करें. इसका नाम नुमाइश इसलिए रखा गया है ताकि आज के समय में लोग खुद को बड़ा दिखाने के चक्कर में शादियों में खूब खर्चा करते हैं.

इसका बुरा प्रबाव उनपर पड़ता है जिनके पास पैसों की परेशानी होती है. दूसरों को दिखाने के चक्कर में उन्हें कर्ज लेना पड़ता है. उन पर शादी में खर्चा करने का दबाव होता है. आपको क्या लगता है, क्या दूसरों को दिखाने के चक्कर में शादियों में किया जाने वाला फिजूलखर्च सही है?

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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