कहीं बच्चों का भविष्य आपके सपनों का भूत तो नहीं?
हर घर की कहानी है. बच्चों के करियर के लिए पेरेंट्स मेहनत तो बहुत करते हैं और पैसा लगाने में भी पीछे नहीं रहते, फिर भी बच्चे वैसा रिजल्ट नहीं देते जैसी उम्मीदें की जाती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों में क्षमता तो है, लेकिन रुचि नहीं.
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सपने हर किसी के होते हैं, हमारे भी और हमारे बच्चों के भी. और हर कोई चाहता है कि वो सपने पूरे हों. कुछ लोगों के सपने पूरे होते हैं, और जिनके पूरे नहीं होते वो अपने बच्चों के जरिए उन्हें पूरे होते देखना चाहते हैं. लेकिन सपने पूरे करने की इस जद्दोजहद में जो बिखर जाते हैं वो सपने बच्चों के ही होते हैं. अपने बच्चों के लिए अच्छे से अच्छा सोचते सोचते माता-पिता उनके भविष्य निर्माता बन जाते हैं, उनके लिए फैसले लेते हैं जिन्हें मानने के लिए बच्चे खुदपर मानसिक दबाव महसूस करते हैं.
ये हर घर की कहानी है. बच्चों के करियर के लिए पेरेंट्स मेहनत तो बहुत करते हैं और पैसा लगाने में भी पीछे नहीं रहते, फिरभी बच्चे वैसा रिजल्ट नहीं देते जैसी उम्मीदें की जाती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों में क्षमता तो है, लेकिन रुचि नहीं. जिसके चलते वो बार-बार असफल होते हैं.
यही बात पेरेंट्स को समझाने के लिए एक सोशल एक्सपेरिमेंट किया गया. जिसमें बहुत से बच्चों और उनके माता-पिता को एक कमरे में बुलाया गया. बच्चों और पेरेंट्स को अलग अलग कैनवास दिए गए जिसमें उन्हें कुछ रंगना था. बच्चों से कहा गया कि उन्हें वो चित्र बनाना है जो वो बड़े होकर बनना चाहते हैं. और माता-पिता से वो चित्र बनाने को कहा गया जो वो अपने बच्चों को बनाना चाहते हैं. दोनों को अलग-अलग जगह दी गई जहां बच्चों और उनके पेरेंट्स ने अपने सपनों को कैनवास पर उतार डाला. आखिर में जब दोनों कैनवास को एक साथ दिखाया गया तो नतीजे चौंकाने वाले थे. दोनों चित्र एक दूसरे से एकदम अलग थे. पेरेंट्स हैरान थे, और कुछ तो जानते ही नहीं थे कि उनके बच्चों ने खुद के लिए क्या सपने बुने हैं.
देखिए वीडियो-
हम में से ज्यादातर लोग अपने जीवन में कुछ न कुछ अलग करना चाहते थे, और सिर्फ इसलिए नहीं कर पाए कि उनके माता-पिता उन्हें डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहते थे. कुछ सालों पहले तक अच्छे करियर ऑप्शन में सबसे ऊपर यही दो नाम थे. इनमें से कुछ तो वही बन गए जो माता-पिता चाहते थे और कुछ वो कर रहे हैं जिसमें न दिल लगता है और न दिमाग, न वो काम खुशी देता है और न संतोष. अफसोस है कि ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, जिनके मन में हमेशा अपने काम को लेकर कुंठा छिपी होती है. यकीन नहीं तो अपने आप को ही आइने में देखा जा सकता है.
बच्चों को उसी दिशा में अपना करियर बनाने देना चाहिए जिसमें उनकी रुचि हो |
आजकल के पेरेंट्स को ये बात समझनी होगी कि जब वो अपने बच्चों के करियर के सपने संजोएं, तो बच्चों की रुचि का खासतौर पर ध्यान रखें. क्योंकि सफलता उसी काम में मिलती है जहां मन, दिमाग और ऊर्जा समान रूप से लगी हो. आज करियर ऑप्शन्स की कमी नहीं और वो समय भी नहीं रहा कि अपनी हॉबी को करियर न बनाया जा सके. बच्चों के जरिए अपनी अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने के बजाए उनके खवाबों को आकार दें. बच्चे अपनी काबिलियत के हिसाब से अपना करियर और जिंदगी बना लेंगे. आने वाले कल के रहमान, सचिन, सानिया इन्हीं में ढ़ूंढिए, उनसे बेहतर ही मिलेंगे.
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