पतंजलि इस्तेमाल ना करूं तो क्या मैं संस्कारी नहीं?
पतंजलि ने हमेशा अपने विज्ञापनों में दूसरी कंपनियों के सामान से तुलना की है, लेकिन अपने नए एड में पतंजलि कुछ ज्यादा ही आगे निकल गई है. एड के मुताबिक अगर आप पतंजलि इस्तेमाल करते हैं तो संस्कारी और नहीं करते तो मॉर्डन हैं.
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पतंजलि के प्रोडक्ट्स बिलकुल कैमिकल फ्री होते हैं! प्रकृति की देन होते हैं और इन्हें इस्तेमाल करने से तो मतलब आपकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी! ये मैं नहीं कह रही, ये कहते हैं पतंजलि के विज्ञापन. सेहत खराब है तो इसलिए क्योंकि पतंजलि का इस्तेमाल नहीं किया. स्किन प्रॉबलम है तो इसलिए क्योंकि पतंजलि नहीं है आपके पास.
पतंजलि ने हमेशा अपने विज्ञापनों में दूसरी कंपनियों के सामान से तुलना की है, लेकिन अपने नए एड में पतंजलि कुछ ज्यादा ही आगे निकल गई है. यहां स्किन केयर प्रोडक्ट की तुलना तो हो ही रही है, साथ ही दो बहनों की तुलना भी की गई है.
क्या है प्लॉट-
दो बहनें हैं सौंदर्या और एश्वर्या, एक संस्कारी है क्योंकि वो पारंपरिक तरीके से बने हुए पतंजलि के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती है और दूसरी मॉडर्न है और अप टू डेट है क्योंकि वो आयुर्वेदिक नहीं कॉस्मैटिक ब्रांड्स का इस्तेमाल करती है. इसका क्या मतलब हुआ? अगर पतंजलि नहीं इस्तेमाल कर रहे तो संस्कारी नहीं हैं? वीडियो आगे बढ़ता है और संस्कारी बहन का चेहरा खिलता चला जाता है और मॉडर्न बहन के चेहरे पर मुंहासे आ जाते हैं. मतलब अगर आपके चेहरे पर कोई दाग हो तो यकीनन आप मॉर्डन ही होंगी, क्योंकि पतंजलि का इस्तेमाल किया होता तब तो ऐसा होता ही नहीं ना.
कहानी आगे भी बढ़ती है जिसमें कॉलेज में मॉर्डन बहन को मुंह छुपाने की नौबत आ जाती है और मेकअप कर उसे अपने चेहरे के दाग छुपाने पड़ते हैं क्योंकि आखिर कौन सी लड़की चेहरे पर दाग लिए घर से बाहर निकलेगी, है ना? मतलब अगर मेरे चेहरे पर कोई दाग है तो मैं या तो मेकअप करूंगी या फिर खुद को घर में कैद कर लूंगी और अपनी सुंदर बहन के पीछे चलूंगी घबराई-सहमी सी. मुझपर लोग ताने कसेंगे क्योंकि मेरे चेहरे पर दाग है, और ऐसा ही तो होता आया है. विज्ञापन में सुंदर बहन के आगे-पीछे लोग घूमते हैं और जिस बहन के चेहरे पर मुंहासे हैं उसे लोगों के ताने झेलने पड़ते हैं. तो क्या ये सही है?
हर्बल अच्छा है ये माइंडसेट है और कुछ हद तक सही भी है, लेकिन अगर हर्बल नहीं इस्तेमाल कर रही है तो वो मॉर्डन हो गई और अपटूडेट हो गई ये क्या बात हुई? अगर विज्ञापन में दिखाई गई लड़की कोई विदेशी क्रीम इस्तेमाल कर रही है तो उसमें ये कहां साबित होता है कि वो मॉर्डन है और परंपराओं का पालन नहीं करती हैं, बिंदास हैं, Wannabe टाइप गर्ल हैं? पतंजलि ने तो अपना विज्ञापन उसी मानसिकता के आधार पर बनाया है जो आम तौर पर प्रचलित है. अगर आप सुंदर नहीं हैं, कोई दाग है चेहरे पर या किसी अन्य तरह की विकृति है आपके अंदर तो आपका मजाक उड़ाया जाएगा.
इस विज्ञापन से मिलती है ये सीख-
अगर आप सुंदर नहीं तो लोगों को हक मिल जाता है कि वो आपको ताने मारें. आपको आयुर्वेदिक इस्तेमाल करना चाहिए ताकी आप सुंदर बनें और फिर लोग ताने नहीं मारेंगे आपके आगे पीछे घूमेंगे. आप वापस से संस्कारी बन जाएंगी. आप विदेशी क्रीम लगाती हैं तो मॉर्डन हैं. आप पतंजलि के अलावा किसी भी कंपनी का कोई भी सामान इस्तेमाल करते हैं तो आपकी जिंदगी में समस्याएं आएंगी. मतलब सारी समस्याओं का एकमात्र इलाज है पतंजलि के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि पतंजलि ने कोई ऐसा एडवर्टिजमेंट निकाला हो. पतंजलि के एड्स और विवादों का गहरा नाता रहा है. जरा देखिए पतंजलि के विवादित विज्ञापनों को-
होली क्रॉस का किया अपमान-
पतंजलि के कुछ सबसे विवादित विज्ञापनों में से एक है. इस विज्ञापन में विदेशी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने और पतंजलि का सामान इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. ईस्ट इंडिया कंपनी का लोगो भी दिखाया गया है जिसमें होली क्रॉस बना हुआ है. इस विज्ञापन के सामने आने पर इसाई समुदाय ने काफी विरोध किया था.
पतंजलि कच्ची घनी-
इस विज्ञापन में कुछ गलत आंकड़े दिखाए गए हैं. अप्रैल 2016 में एड रेग्युलेटर के मुताबिक इस विज्ञापन के खिलाफ 67 शिकायतें आईं थीं. इस विज्ञापन में भी बाबाजी ने अपने प्रोडक्ट को सबसे बेहतर और बाकियों को बेकार बताया है.
तो कुल मिलाकर पतंजलि ही सबसे बेस्ट है (बाबाजी के मुताबिक) और बाकी कोई कुछ भी करे वो बेकार. फिलहाल तो उनके ताजा विज्ञापन से ये जरूर साबित हो गया है कि पतंजलि बिना किसी की तुलना किए कोई एड नहीं बना सकता है.
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