सलमान की सजा में खुशी तलाशता ये निराश देश
ये देश कितना निराश हो चला है कि सलमान की सजा को भी सेलिब्रेट करता है. जैसे इस बात के इंतजार में ही सबने 20 साल गुजारे हों. जैसे कि सलमान को सजा मिल जाने से उनके सारे मसले हल हो गए हों.
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सलमान को 5 साल की सजा हो गई. काला हिरण शिकार केस में 20 साल बाद ये फैसला आया. फैसले के आते ही सोशल मीडिया पर बधाइयों और मजाक का एक दौर शुरू हो गया. हर कोई इस फैसले को त्योहार सा सेलिब्रेट कर रहा था. जैसे इस बात के इंतजार में ही सबने 20 साल गुजारे हों. जैसे कि सलमान को सजा मिल जाने से उनके सारे मसले हल हो गए हों. लेकिन ठहरिए...जरा सोचिए...क्या सलमान और इस केस का आपसे कुछ लेना देना है? क्या इससे बेरोजागारी का मसला हल हो गया? क्या आपके देश में अब कोई भुखमरी से नहीं मर रहा? क्या अब नीरव मोदी और माल्या जैसे लोग नहीं रहे? या आप इस खुशी के सामने इन तमाम मसलों को छिपा रहे हैं?
सलमान खान को 5 साल की सजा हुई और सोशल मीडिया पर मजाक चल रहा है
साफ कहूं, मुझे आपकी ये खुशी खोखली नजर आती है. मुझे लगता है आप सलमान की सजा को इसलिए सेलिब्रेट कर रहे हैं क्योंकि आप निराश हैं, हताश हैं और करप्ट हो चुके सिस्टम से आजिज आ चुके हैं. आपको सलमान के कोर्ट में जाने से पहले ही पता था कि वो छूट जाएगा. आपको अभी भी लगता है कि वो 4 दिनों में जेल से बाहर आ जाएगा. आपको लगता है कि इस देश का कानून सिर्फ गरीबों के लिए है और इसलिए सलमान का कुछ नहीं होने वाला.
आप इन्हीं ख्यालों के बवंडर में फंस चुके हैं. इस बवंडर से बाहर निकलने की तमाम नाकाम कोशिशों से परेशान आप इसके बीच पालथी मारकर बैठ चुके हैं. आपको अब कोई आस नहीं...मने आप पूरी तरह से निराश और हताश हो चुके हैं. और ये 'आप' सिर्फ आप नहीं...ये आप जैसे तमाम लोग हैं जो देश को निराश कर रहे हैं. एक तरह से कहूं तो अब ये देश निराश हो चुका है, क्योंकि देश भी तो आप जैसे लोगों से ही बनता है.
क्या किसी को जलाकर आग की ताप महसूस करना जायज है
इसलिए सलमान जैसे केस आपके लिए बवंडर में धूप की पतली किरण से हैं. जो भले ही अंधेरे को उजाले में न बदल सकें, लेकिन एक पल को आंखों में चमक जरूर लाते हैं. आप इसी चमक को चकाचौंध में बदलना चाहते हैं. इस एक किरण से आप चाहते हैं कि बवंडर का सारा अंधेरा दूर हो जाए. इसीलिए आप निराश और हताश तो हैं, लेकिन आपको एक वजह मिली है जो इस बवंडर को उजाले से भर सकती है. इसी मुगालते में आप सलमान की गिरफ्तारी से लेकर उसके फर्श पर सोने तक को सेलिब्रेट करते हैं. आपको लगता है इससे सिस्टम बेहतर हो रहा है. सब समान हो रहे हैं. लेकिन क्या वाकई में ऐसा है?
सोचने वाली बात है आखिर ऐसा क्या हुआ कि हमारा कानून पर से भरोसा उठ गया. और इस भरोसे को कायम करने के लिए सलमान जैसे लोगों को सजा मिलना जरूरी है. हो सकता है ये एक नजीर हो, लेकिन क्या किसी को जलाकर आग की ताप महसूस करना जायज है.
कुल जमा बात ये है कि आप सेलिब्रेट करें, खूब सेलिब्रेट करें...लेकिन ये भी सोचें की आखिर ऐसा कर क्यों रहे हैं. वो क्या है कि आपको सलमान की गिरफ्तारी से खुशी तलाशनी पड़ रही है. आप क्यों खुश नहीं हैं, आप क्यों निराश हैं! तलाशिए, क्योंकि असल में मसला तो मसले को तलाश लेने का है.
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