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Updated: 17 फरवरी, 2017 12:47 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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लड़कियों के कपड़े कैसे हैं, ये आसपास के लोगों की नजरें ही बता देती हैं, और उनके चेहरों पर आए एक्सप्रेशन्स को देखकर आप आसानी से समझ सकते हैं कि लोग लड़कियों के बारे में क्या राय बना रहे हैं. घर से बाहर निकली लगभग हर लड़की, जो अपने मन मुताबिक कपड़े पहनती है उसे उन कपड़ों की वजह से रास्ते में बहुत कुछ झेलना पड़ता है, खासकर तब, जब कपड़े जरा छोटे हों.

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बेंगलुरू की एक 19 साल की छात्रा प्रियंका शाह एक फोटोग्राफर हैं और उन्होंने फेसबुक पर 'Perspectives' नाम से एक एल्बम शेयर की है, जिसमें ये सबकुछ साफ-साफ देखा जा सकता है. इस सीरीज़ में उन्होंने अपनी दोस्त की सार्वजिनक जगहों में कुछ तस्वीरें लीं और ये बताने की कोशिश की है कि लोग महिलाओं को किस तरह देखते हैं और कैसे अपने चेहरे के हाव-भाव से जजमेंटल हो जाते हैं.

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अपनी दोस्त को उन्होंने कुछ ऐसा पहनने को कहा जिसमें वो सबसे ज्यादा आरामदायक महसूस करती हों, और बैंगलोर जैसे मेट्रो शहर के पार्क और बाजार जैसी जगहों पर जाने को कहा.

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वो दोनों बाजार गईं, लेकिन वहां उनके शॉर्ट्स शायद बाजार का माहौल खराब कर रहे थे. लोगों ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया. बात इतनी बिगड़ती दिखी कि वहां से निकलना ही उन्हें बेहतर लगा.

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फूलों के बाजार में पहुंचे तो वहां नजर बचाकर तस्वीर खींची गई. यहां तो लोग उनकी दोस्त की मर्जी के बिना ही उसे अपनी सेल्फी में कैद करने की कोशिश करते दिखे.

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ये तस्वीरें ऐसी हैं, और इन परिस्थितियों में ली गई हैं कि कोई भी लड़की इन्हें देखकर खुद को उस तस्वीर से रिलेट कर सकती है.

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लड़कों और पुरुषों की बात तो छोड़िए, महिलाओं की नजरें भी असहमति जताती नजर आ रही थीं.

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प्रियंका शाह का कहना है कि 'मैं बैंगलोर में कुछ समय से अकेली रह रही हूं, एक लड़की होने के नाते हमारे कपड़े हमेशा से बहुत ज्यादा मैटर करते हैं. चाहे हम शॉर्ट्स पहनें या फिर पूरी तरह से ढक जाएं, हमें ऐसे ही देखा जाता है. मैंने इस बारे में जब भी किसी को बताया, तो किसे ने इसे गंभीरता से नहीं लिया'  

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प्रियंका कहती हैं 'मैं लोगों को दिखाना चाहती थी, कि हमें किस तरह के लुक दिए जाते हैं. ये बहुत धमकी भरे और डरावने होते हैं. हर रोज सड़क पर जाना हमारे लिए एक भावनात्मक लड़ाई है, कोई भी आरामदायक कपड़ा पहनने से पहले हमें दो बार सोचना पड़ता है'

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ये तो महज तस्वीरें हैं जो हमारे समाज से जुड़ी एक सच्चाई बयां कर रही हैं, लेकिन जितनी घृणा लोगों की नजरों में दिख रही है वो हमेशा ही इन युवा लड़कियों को असहज महसूस करवाती है, और कभी कभी शोषण का कारण भी बनती है.

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कहते हैं एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है. इन तस्वीरों के माध्यम से जो साफ साफ दिख रहा है, उसे शब्दों में बयां करना जरूरी भी नहीं. यूं समझिए, युवा लड़कियों से जुड़ा सच है, जो अब सामने है.

जाहिर है बहुत से लोग यही कहेंगे कि शॉर्ट ड्रेस पहनकर बाहर जाएंगी तो यही होगा. तो उन लोगों को ये वीडियो जरूर देख लेना चाहिए. ये एक सोशल एक्पेरिमेंट था जिसमें एक लड़की ने पहले वेस्टर्न कपड़े पहने और उसके बाद शलवार सूट, दोनों बार उसके साथ जो कुछ भी हुआ ये वीडियो बता रहा है-

तो सड़क पर लड़कियां खुद को सहज महसूस करें और निडर होकर चलें उसके लिए जरूरी है कि लोग जजमेंटल होना बंद करें. वो ये सोचना बंद करें कि कपड़े छोटे हैं तो लड़की, लड़की नहीं कोई चीज़ है, जिसे दुत्कारा जा सकता है या घृणा से देखा जा सकता है, या फिर उसके साथ कोई भी हरकत की जा सकती है. नजरिया बदलेंगे तो सोच बदलेगी, और सोच बदली तो समाज..

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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