बहू चाहे बिहार की हो या ब्रिटेन की अगर बागी है तो ससुराल में कोई जगह नहीं है!
प्रिंस हैरी और मेगन मर्केल के मामले में भी यही है कि Happily ever after जैसी कोई चीज नहीं होती है, ख़ास कर उन लड़कियों के लिए जो अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाती हैं. चाहे लड़की राजकुमारी हो या किसी ग़रीब घर की बेटी जब तक वो सब कुछ स्माइल करते हुए सह रही है, पर्फ़ेक्ट है.
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ससुराल के बनाए सेट रूल के ख़िलाफ़ जैसे ही कोई लड़की आवाज़ उठाती है, उसे घर तोड़ने वाली का टाइटल तुरंत थमा दिया जाता है. चाहे वो लड़की बिहार के छोटे से गांव से आती हो या बकिंघम पैलेस इंग्लैड से. मैंने आज जाकर Oprah Winfrey का प्रिंस हैरी और मेगन का इंटरव्यू देखा. उस इंटरव्यू देख कर कुछ बातें एकदम साफ़ हो गयी हैं. जैसे #happilyeverafter जैसी कोई चीज नहीं होती है, ख़ास कर उन लड़कियों के लिए जो अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाती हैं. चाहे लड़की राजकुमारी हो या किसी ग़रीब घर की बेटी जब तक वो सब कुछ स्माइल करते हुए सह रही है, पर्फ़ेक्ट है लेकिन जैसे ही वो अपनी मर्ज़ी की ज़िंदगी जीने के लिए आवाज़ उठाती है, उसे घर-फोड़ू, कुलटा और आवारा कहने वालों की लाइन लग जाती है. बारहा तो पति भी ससुराल वालों के साथ मिल कर बीवी को ही कठघरे में उतारते हैं. मां का पल्लू पकड़ कर बैठने वाले ये लड़के जिस लड़की को सात वचन दे कर लाए रहते हैं, उन्हीं वचनों को भूल उसे खुद से अलग कर देते हैं.
एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं प्रिंस हैरी और मेगन
अब सारे लड़के प्रिन्स हैरी जैसे तो नहीं होते न और न ही उनमें इतनी हिम्मत होती है कि वो अपने परिवार और ख़ानदान के ख़िलाफ़ जा कर ऐसा कुछ बोलें.
ओप्रा से बात करते हुए हैरी कहते हैं, “I was trapped but I didn’t know I was trapped. Like the rest of my family are, my father and my brother, they are trapped. They don’t get to leave and I have huge compassion for that. For the family, they very much have this mentality of: ‘This is just how it is. This is how it’s meant to be. You can’t change it. We’ve all been through it.’ What was different for me was the race element, because now it wasn’t just about her. It was about what she represented.”
इसलिए हैरी सिर्फ़ मेगन के पति नहीं बल्कि उनके दोस्त, साथी और हमसफ़र हैं. मेगन के लिए उस महल में बिताए दिन चाहे कितने ही मुश्किलों से भरें क्यों न रहे हों लेकिन उस मुश्किल पलों में भी उन्हें थाम, उनके माथा को चूम कर उनके दुखों को सहलाने के लिए उनका हमनवां-उनका हमसाया मौजूद तो था. मेगन इंटरव्यू में कहती हैं, I just didn’t want to be alive any more. And that was a very clear and real and frightening, constant thought. And I remember how he, just cradled me.
आप खुद ही इसे पढ़िए और समझिए कि क्यों कुछ लड़कियां नदी में कूद कर जान दे देती हैं और क्यों कुछ लड़कियां मेगन बन जाती हैं. मैं चाहती हूं कि जो भी लड़कियां इसे अभी पढ़ रही हैं या इसे पढ़ने के बाद वो इंटरव्यू देखेंगी वो मेगन बनना चुने न कि सब कुछ सह कर घुट कर मर जाने वाली कोई मजबूर लड़की. समाज का क्या है वो दुनिया के हर कोने में एक जैसा ही रख रखता है लड़कियों/स्त्रियों के लिए.
अब ये हम पर है कि घर-फोड़ू के टैग के साथ अपनी मर्ज़ी की ज़िंदगी जीना चुनते हैं या एकता कपूर की सीरियल वाली पर्फ़ेक्ट बहु मैं तुलसी तेरे आंगन की टाइप्स बन कर एक दिन मर जाना. ख़ैर. मेगन, मेरी जान मुहब्बत बरक़रार रहे आपके और हैरी के दरमियां यही है!
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