फेयरनेस क्रीम का ऐड करने वाली प्रियंका चोपड़ा अब क्यों पछता रही हैं
प्रियंका खुद सांवले रंग की थी, फिर उन्होंने फेयरनेस क्रीम का ऐड करने का फैसला क्यों लिया? क्योंकि उस वक्त वे सिर्फ अपना फायदा देख रही थीं. अपना करियर बना रही थीं, उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं था कि उनके इस ऐड का सांवली लड़कियों के मन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
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फेयरनेस क्रीम (Fairness Cream) का ऐड करने पर प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) अब क्यों पछता रही हैं. अब क्या फायदा है? यह तो उन्हें उस वक्त सोचना चाहिए था जब वे क्रीम के जरिए लड़कियों को गोरा बनाने का दावा कर रही थीं. किसी ने सही कहा है कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत...
छोटे शहर की लड़की (प्रियंका चोपड़ा) जब मिस वर्ल्ड बनी तो लाखों लड़कियों की उम्मीद बन गई. लड़कियां उसे अपना आदर्श मानने लगी. आखिरकार उसने अपने दम पर अपनी पहचान जो बनाई थी. उस वक्त क्या प्रिंयका चोपड़ा की जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि वे अपने फैसले सोच समझकर लें. प्रियंका खुद सांवले रंग की थी, फिर उन्होंने फेयरनेस क्रीम का ऐड करने का फैसला क्यों लिया? इसमें इतना सोचने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि उस वक्त वे सिर्फ अपना फायदा देख रही थीं. अपना करियर बना रही थीं, उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं था कि उनके इस ऐड का सांवली लड़कियों के मन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
पता नहीं कितनी लड़कियां प्रियंका चोपड़ा के फेयरनेस ऐड से इंप्रेस होकर खुद को गोरा करने का सपना देख रही होंगी
असल में इन दिनों प्रियंका चोपड़ा पोडकास्ट पर डैक्स शेफर्ड के साथ इंटर्व्यू को लेकर चर्चा में हैं. इस इंटव्यू में उन्होंने खुलकर कई मुद्दों पर बात की है. उन्होंने कहा है कि बॉलीवुड में मुझे साइड लाइन किया जा रहा था. मैं पॉलिटिक्स में अच्छी नहीं थी. इसलिए मैं बॉलीवुड छोड़कर हॉलीवुड आ गई.
उस वक्त बॉलीवुड में काफी रंगभेद था. गोरी एक्ट्रेस की बोलबाला था. मुझे एक डस्की एक्ट्रेस के रूप में देखा जाता था. मेरे सांवले रंग की वजह से मुझे कम आंका जाने लगा. मेरे लिए यह एक बड़ा बैकड्रॉप बन गया था. उस वक्त मुझे गोरा दिखाने के लिए मेरे चेहरे में खूब सारा मेकअप थोपा जाता था. सभी गोरे रंग से ओब्सेस्सेड थे. फिल्म इंडस्ट्री में सफल होने के लिए गोरा दिखना जरूरी था.
उस वक्त सभी ब्यूटी ब्रांड फेयरनेस क्रीम को बेच रहे थे, मैं जानती थी कि सांवली होने का क्या मतलब होता है? फिर मैं फेयरनेस क्रीम का ऐड करने पर राजी हो गई. मैंने यह गलत किया. मुझे पछतावा है, मुझे यह नहीं करना चाहिए था. उस ऐड में मैं एक सांवली लड़की थी. वह लड़की फूल बेच रही थी, लड़का अंदर आता है और उस लड़की की तरफ देखता भी नहीं है. बाद में निराश लड़की फेयरनेस क्रीम लगाती है और गोरी हो जाती है. जैसे ही वह गोरी बन जाती है उसके साथ सबकुछ ठीक हो जाता है. उसे वह लड़का मिल जाता है, नौकरी मिल जाती है और उसके सारे सपने पूरे हो जाते हैं.
सवाल यह है कि सालों बाद प्रियंका चोपड़ा फेयरनेस क्रीम के ऐड के बारे में बातकर सिर्फ मीडिया में छा सकती हैं. विक्टिम बनकर लोगों की सहानुभूति जुटा सकती हैं. इससे ज्यादा वे कुछ नहीं कर सकती हैं, क्योंकि फेयरनेस ऐड करके इन्होंने साबित कर दिया था कि एक लड़की की गोरा होना की सबकुछ है. वह गोरी है तभी कामयाब है. वह गोरी है तभी खूबसूरत है. वह गोरी है तभी उसकी जिंदगी में प्यार है. वह गोरी है तभी वह खुश है. मगर वे भूल गईं कि उन सांवली लड़कियों का क्या? क्या सिर्फ सांवले रंग की वजह से उन्हें कामयाब होने का हक नहीं?
माना कि सांवली रंग के कारण प्रियंका के साथ भेदभाव हुआ मगर फेयरनेस ऐड करके उन्होंने भी तो वही किया. बात तो तब होती जब वे फेयरनेस क्रीम के ऐड को उसी वक्त मना कर देतीं और इसके खिलाफ आवाज उठातीं.
पता नहीं कितनी लड़कियां इनके फेयरनेस ऐड से इंप्रेस होकर खुद को गोरा करने का सपना देख रही होंगी. उन्हें एहसास हुआ हो कि सांवला रंग मेरा दुश्मन हैं. वे हीन भावना की शिकार हुई होंगी. उनका आत्मविश्वास कम हुआ होगा, क्योंकि हम सभी जानते हैं कि क्रीम लगाने से कोई गोरा नहीं हो जाता है और गोरा बनना ही क्यों हैं? हम जो हैं अपने आप में पूर्ण हैं, खूबसूरत हैं. हमें सुंदर दिखने के लिए किसी क्रीम की जरूरत नहीं है.
चलिए जो लड़कियां ऐड को छलावा मान रही होंगी उनका तो ठीक है मगर उन कम दिमाग लड़कियों का क्या जो एक्ट्रेस के हर मूवमेंट को सच मान लेती हैं. वे छोटे शहर की लड़कियां जो प्रिंयका पर विश्वास करती होंगी उनका भी भ्रम आज यह सच जानकर टूट गया होगा, इसलिए प्रियंका अभी पछता कर कुछ नहीं कर सकती हैं, हां प्रियंका इसी बहाने खुद को लाइमलाइट में जरूर ला सकती हैं...
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