तो अब गीता से सीखेंगे स्टूडेंट्स मैनेजमेंट के गुण
राजस्थान यूनिवर्सिटी अब अपने स्टूडेंट्स को गीता और रामायण से मैनेजमेंट की सीख देने का फैसला लिया है, आखिर क्या वजह है गीता के ज्ञान को मैनेजमेंट की शिक्षा में शामिल करने की, जानिए?
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गीता के ज्ञान ने युद्ध क्षेत्र में हताश हो चुके अर्जुन को लड़ाई में उतरने के लिए मानसिक दृढता प्रदान की थी. लेकिन अगर आपको लगता है कि गीता का ज्ञान सिर्फ महाभारत काल में अर्जुन के लिए था या फिर ये ज्ञान सिर्फ आध्यात्मिकता के लिए है तो आप गलत सोच रहे हैं. गीता में दिया गया ज्ञान आधुनिक मैनेजमेंट के लिए भी बहुत कारगार हैं और दुनिया के किसी भी मैनेजर को सफलता का पाठ पढ़ा सकते हैं.
यही बात रामायण के लिए भी कही जा सकती है. भले ही आप ये पढ़कर हैरान हों और इस पर यकीन न कर रहे हों लेकिन यकीन मानिए ये बिल्कुल सच है. अब कॉलेज में मैनेजमेंट की पढ़ाई में भी गीता और रामायण के ज्ञान का उपयोग किया जाएगा. आइए जानें कहां होगा ये.
अब मैनेजमेंट के छात्रों को मिलेगा गीता और रामायण का ज्ञानः
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान यूनिवर्सिटी से संबंधित कॉमर्स और मैनेजमेंट कॉलेजों में पोस्ट ग्रैजुएशन कोर्सेज की पढ़ाई में श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण की मैनजमेंट तकनीकों को शामिल किया जाएगा.
सुनने में ये पहले ही थोड़ा अजीब लगे लेकिन राजस्थान यूनिवर्सिटी ने कॉमर्स और मैनेजमेंट के कॉलेजों में इन हिंदू धार्मिक ग्रंथों की मैनेजमेंट शिक्षा को शामिल करने का निर्णय लिया है. अब मैनेजमेंट के छात्र कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत के युद्ध के पहले भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुई बातचीत और रावण पर वानर सेना की मदद से भगवान राम की जीत से मिली सीख को सीखेंगे.
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मैनेजमेंट के छात्रों को गीता और रामायण के ज्ञान देने के बारे में राजस्थान यूनिवर्सिटी के रीविजन पैनल के अध्यक्ष नवीन माथुर ने कहा, 'भगवान श्रीकृष्ण ने श्रम के बंटवारे, प्रेरणा, अधिकार, जिम्मेदारी और नेतृत्व के गुणों की बहुत ही सुंदर ढंग से व्याख्या की है.' यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का ये भी कहना है कि उनकी ये कोशिशें उच्च शिक्षा का भारतीयकरण करने के लिए भी हैं.
राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र गीता और रामायण से सीखेंगे मैनेजमेंट के गुण |
मैनेजमेंट के लिए क्यों होती है गीता के ज्ञान की चर्चा?
ऐसा पहली बार नहीं है कि गीता से मिलने वाले बेहतरीन मैनेजमेंट गुणों की चर्चा पहली बार हो रही है. इससे पहले भी कई बार गीता में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए ज्ञान को आज के मैनजमेंट के लिए भी बेहतरीन करार दिया जाता रहा है.
कई विशेषज्ञों का मानना है कि गीता में दिया गया ज्ञान आधुनिक मैनेजमेंट के लिए भी एकदम सटीक है और उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है. इनका तो यहां तक कहना है कि गीता का मैनेजमेंट गुण पश्चिमी देशों के सिर्फ मुनाफा कमाने के मैनैजमेंट वाली सोच से कहीं बेहतर है क्योंकि गीता इंसान के पूरे व्यक्तित्व में आत्मिक सुधार की बात करता है.
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इंसान में सुधार आने के बाद उसके जीवने के हर क्षेत्र में उन्नति तय है और मैनेजमेंट भी उनमें से एक है. उदाहरण के लिए गीता के एक श्लोक में कहा गया है, कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि. यानी अपना कर्म करो और फल की चिंता मत करो.
अगर आज के मैनेजमेंट सूत्र के रूप में इस ज्ञान को देखें तो इसका मतलब हुआ कि आपको अपने काम को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए बिना ये सोचे कि इसका आपको क्या रिजल्ट मिलेगा. आपको कड़ी मेहनत और निष्ठा से अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए और फल यानी रिजल्ट को ऊपरवाले (आपके सीनियर्स) की मर्जी पर छोड़ देना चाहिए
गीता में ऐसे कई श्लोक हैं जो द्वापर युग में अर्जुन के लिए तो प्रेरणादायी साबित हुए ही थे, अब इस युग में आधुनिक मैनेजमेंट के भी बहुत काम के हैं. इसलिए आधुनिक मैनेजर गीता ज्ञान से मैनेजमेंट के गुण सीख रहे हैं!
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