रश्मिका मंदाना 'कामवाली बाई' के भी पैर छूती हैं और इसे ही बड़प्पन कहते हैं!
आजकल की इंस्टाग्राम पीढ़ी को रश्मिका मंदाना से कुछ सीखने की जरूरत है. उन्हें समझने की जरूरत है कि सिर्फ फॉलोअर्स बढ़ाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि संस्कार को साथ लेकर चलने से ही अपने जड़ों से जुड़ा रहा जा सकता है.
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रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandanna) की सादगी उनकी सबसे बड़ी कला है. वे काफी साधारण हैं और यही बात दर्शकों को काफी पंसद आती है. वे जमीन से जुड़ी हुई अभिनेत्री हैं जो अपनी संस्कृति को साथ लिए चलती हैं. बॉलीवुड की कुछ अभिनेत्रियां जहां अपना घमंड दिखाती नजर आती हैं वहीं साउथ की यह सुपर स्टार अपनी विनम्रता से लोगों का दिल जीत लेती हैं. पुष्पा: द राइज़ के बाद रश्मिका मंदाना को नेशनल क्रश कहा जाने लगा मगर इनके चेहरे पर हमेशा ही स्माइल दिखी ना कि एटीट्यूड. इस समय यहअभिनेत्री अपने एक इंटरव्यू को लेकर चर्चा में हैं. इसकी वजह काफी सकारात्मक है.
असल में 'बाजार इंडिया' से बातचीत के समय अभिनेत्री ने खुलास किया है कि ये जब भी घर जाती हैं तो अपनी हाउस हेल्पर के भी पैर छूती हैं. यह सच में बहुत बड़ी बात है. जिस जमाने में लोग अपने माता-पिता, गुरुजन के पैर छूने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं ऐसे समय में एक ऐसी स्टार है जो अपनी कामवाली बाई के भी पैर छूती है.
सबसे बड़ी बात यह है कि यह दिखावे के लिए नहीं है बल्कि रश्मिका मंदाना की यह शुरु से आदत है. एक्ट्रेस ने कहा कि वे सभी को सम्मान देने के लिए उनका पैर छूती हैं. वे कहती हैं कि मैं अपनी हाउस हल्पेर के भी पैर छूती हूं क्योंकि मैं उनमें और घरवालों में कोई अंतर नहीं करना चाहती. मैं सभी का सम्मान करती हूं और मैं ऐसी ही हूं. मेरी आदत है कि मैं किसी में भेदभाव नहीं करती हूं. मैं हर किसी को बराबर सम्मान देती हूं. फिर चाहें वह कोई भी क्यों ना हो. मेरे लिए ये छोटी-छोटी बातें बहुत मायने रखती हैं. इसलिए मैं जब भी काम से लौटती हूं तो सबके पैर छूती हूं.
रश्मिका मंदाना की सादगी उनकी सबसे बड़ी कला है
एक्ट्रेस की इस आदत को जानने के बाद उनकी तारीफ हो रही है और होनी भी चाहिए. क्योंकि लोगों में अंतर ना करना आसान नहीं है. किसी के पैर छूने से हम छोटे तो नहीं हो जाते हैं. वैसे भी हाउस हेल्पर हमारे साथ रहते हैं. वे हमारे घर की सदस्य की तरह होते हैं. वे हमें प्यार भरी नजरों से देखते हैं. हमें अपने बच्चे जैसा समझते हैं. ऐसे में अगर हम उनके पैर छू लेंगे तो हमारा ओहदा औऱ बढ़ जाएगा. वैसे भी इस जमाने में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता. क्या पता किसका आशीर्वाद कब काम आ जाए. आखिर किसी को सम्मान देने से ही तो हमें सम्मान मिलता है.
आजकल की इंस्टाग्राम पीढ़ी को रश्मिका मंदाना से कुछ सीखने की जरूरत है. उन्हें समझने की जरूरत है कि सिर्फ फॉलोअर्स बढ़ाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि संस्कार को साथ लेकर चलने से ही अपने जड़ों से जुड़ा रहा जा सकता है, औऱ जो जड़ से जुड़ा रहता है वह अपनी जिंदगी में हमेशा सफल होता है. वैसे अभिनेत्री की इस आदत के बारे में आपकी क्या राय है?
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