एक सफल शादी का राज़ DNA में छुपा हुआ है!
क्या हमारा DNA भी तलाक के लिए जिम्मेदार हो सकता है? क्या बेहतर शादी के लिए Genes की जांच कर पार्टनर चुनना चाहिए?
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एक सफल शादी किस आधार पर टिकी रहती है? प्यार, भरोसा, सामंजस्य, सहयोग या फिर कुछ और? इस सवाल का जवाब तो शायद दुनिया के सबसे बूढ़े शादीशुदा जोड़े को भी न मिला हो. पर कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि उन्होंने एक सफल शादी का राज़ खोज निकाला है. इस बारे में सालों से रिसर्च चल रही है कि आखिर एक जोड़े के लिए शादी में बंधे रहने और खुश रहने के राज़ क्या हैं, लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इसका उत्तर DNA है.
जाने माने साइकोलॉजिस्ट Richard Mattson ने हाल ही में इस बारे में जानकारी दी है. उनके अनुसार ये लॉजिकल है कि Genes और DNA शादी में हस्तक्षेप करे. इसे विज्ञान का एक रूप ही समझिए कि दो लोगों के बीच की केमेस्ट्री सही बैठ जाए. ये सोचना गलत नहीं होगा कि अब वेबसाइट्स हैं ऐसी जो जिनेटिक टेस्टिंग के आधार पर मैकमेकिंग करती हैं.
कई रिसर्च बताती हैं कि एक जैसे दिखने वाले जुड़वां बच्चे जिनके डीएनए और जिनेटिक संचरचना काफी कुछ मिलती जुलती रहती है, अगर उन्हें अलग-अलग जगहों पर पाला जाए तो भी शादी को लेकर उनकी सोच और शादीशुदा जिंदगी में उनका बर्ताव भी एक जैसा ही रहता है.
शादी पर असर सिर्फ बाहरी कारण ही नहीं डालते, हमारा डीएनए भी जिम्मेदार है
कैसे असर करते हैं Genes-
Genes डीएनए का हिस्सा होते हैं जो किसी कम्प्यूटर कोड की तरह ही काम करते हैं. एक जीन कई अलग तरह के रूप ले सकता है और उसे alleles कहते हैं. दो alleles जो माता-पिता से मिलते हैं उन्हें मिलकर एक जीनोटाइप बनता है. और अलग-अलग जीनोटाइप इंसान द्वारा अलग तरह के बर्ताव के लिए जिम्मेदार होते हैं और यही किसी इंसान की पर्सनालिटी होती है.
भले ही जीन थ्योरी पूरी तरह से सही न हो और लोगों के व्यवहार के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार न हो तो भी कुछ खास जीन असर करते हैं. जैसे oxytocin receptor (OXTR) जीन जिन्हें Oxytocin या कई बार लव हार्मोन भी कहा जाता है. कारण ये है कि इस हार्मोन से जुड़ाव पैदा होता है. जैसे किसी महिला की डिलिवरी के समय ये हार्मोन शरीर में बनता है ताकि मां बच्चे को प्यार कर सके, ये हार्मोन सेक्स के दौरान भी बनता है, ये हार्मोन एक रिपोर्ट कार्ड की तरह होता है कि किसी दूसरे इंसान से हमारा जुड़ाव कैसा रहेगा.
इस थ्योरी को समझने के लिए 79 जोड़ों पर वैज्ञानिकों ने रिसर्च की. पार्टनर को 10 मिनट तक किसी ऐसी समस्या पर बात करनी थी जो निजी तो हो, लेकिन शादी से जुड़ी न हो. इसी के साथ, उन जोड़ों के कई टेस्ट भी लिए गए. ये टेस्ट साइकोलॉजिकल लेवल पर थे और उसके बाद सभी के डीएनए सैंपल लिए गए.
इस स्टडी में सामने आया कि ऐसे पति जिनके डीएनए में दो T टाइप allele हैं उन्हें अपनी पत्नियों को समझने में मुश्किल होती है. ऐसे में और अलग अलग जिनेटिक कोड की स्टडी कर पाया गया कि डीएनए का असल में शादीशुदा जीवन में असर पड़ता है. हालांकि, ये कहना कि एक सिंगल जीन शादी को जोड़ या तोड़ सकता है ये गलत होगा क्योंकि ये दूसरे व्यक्ति के जिनेटिक कोड पर भी निर्भर करता है और हो सकता है कि किसी एक व्यक्ति के शरीर में कुछ हार्मोन्स वैसे न बनते हों जैसे आम तौर पर सोचे गए हों. इस स्टडी से ये सामने आया कि कुछ हद तक जीन्स जरूर शादी पर असर करते हैं, लेकिन ये अंतिम रिजल्ट नहीं तय कर सकते हैं.
इसके पहले भी कई बार इस मामले में रिसर्च की गई है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में की गई एक स्टडी बताती है कि जीन असल में ये बताने में मदद कर सकते हैं कि शादी टिकेगी या नहीं. रिसर्च के बाद ये नतीजा निकाला गया था कि जीन जो serotonin (एक तरह का हार्मोन जिसे फीलिंग ट्रांसमीटर भी कहते हैं.) को कंट्रोल कर सकता है वो शादीशुदा जिंदगी पर भी असर डाल सकता है.
हालांकि, अभी किसी भी रिसर्च ने इसपर पूरी तरह से मोहर नहीं लगाई है कि शादी को तोड़ने में जीन्स का हाथ होता है या नहीं. ये असर डालते हैं ये सच है, लेकिन ये किसी इंसान को बड़ा फैसला लेने के लिए भी मजबूर कर सकता है ये पैमाना अभी तय नहीं किया गया है.
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