मोबाइल रेडिएशन पर होने वाली 'रिसर्च' सिर्फ गुमराह करती हैं !
AIIMS और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से मोबाइल रेडिएशन पर एक रिपोर्ट आने का दावा किया जा रहा है. रिपोर्ट के नतीजे में कहा जा रहा है कि मोबाइल के इस्तेमाल से नपुंसकता और बहरापन हो सकता है. ये कितना सही है?
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AIIMS और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से मोबाइल रेडिएशन को लेकर एक रिपोर्ट आने का दावा किया जा रहा है. जिसके अनुसार मोबाइल रेडिएशन आपको बहरा और नपुंसक बना सकता है. यह भी कहा जा रहा है कि पांच साल की रिसर्च में शोधकर्ताओं की टीम इस नतीजे तक पहुंची है. आखिर इस रिसर्च और ऐसी किसी रिसर्च की सच्चाई क्या होती है? चलिए जानते हैं मोबाइल रेडिएशन से जुड़े कुछ फैक्ट्स और फैलने वाले मिथ.
किसी भी रिसर्च में इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होता है.
1- मोबाइल से कैंसर होता है?
आप अक्सर लोगों को ये कहते सुन लेंगे कि मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन से कैंसर होता है. कई रिसर्च भी ऐसी आई हैं, जिन्होंने दावा किया है कि मोबाइल के रेडिएशन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन किसी भी रिसर्च में इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि इससे कैंसर होता है. ना ही ऐसा कोई मामला देखने को मिला है, जिसमें मोबाइल रेडिएशन की वजह से किसी को कैंसर हुआ हो. खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने यह साफ किया है कि मोबाइल के रेडिएशन से न तो कैंसर होता है, ना ही शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कोई प्रमाण मिले हैं.
2- स्मार्टफोन आपको नपुंसक बना देगा?
हाल ही में एम्स और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से भी मोबाइल रेडिएशन की रिपोर्ट आने का दावा किया जा रहा है, जिसके हवाले से कहा जा रहा है कि रिसर्च में पता चला है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से लोगों में नपुंसकता और बहरापन हो रहा है. यह स्टडी 2013 से दिल्ली-एनसीआर के 4500 लोगों पर की गई थी. लेकिन हकीकत यह है कि इस स्टडी को पूरा होने में अभी 3-4 साल और लगेंगे. रिसर्च की कोई फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है. यानी अभी तीन-चार साल बाद पता चलेगा कि मोबाइल रेडिएशन से इन 4500 लोगों पर क्या असर पड़ा है और उसी आधार पर ये निष्कर्ष निकाला जाएगा कि इसका क्या असर पड़ सकता है.
3- मोबाइल रेडिएशन से आंखें खराब होती हैं?
अगर मोबाइल को आंखों के अधिक नजदीक रखकर इस्तेमाल किया जाए तो उससे आंखों को नुकसान होना तय है. लेकिन अगर आप मोबाइल रेडिएशन को आंखों से जोड़कर देखते हैं तो आपको बता दें कि इससे आंखें खराब नहीं होती हैं. हां अगर आप 25 सेमी. से कम की दूरी पर फोन रखकर इस्तेमाल करते हैं या मोबाइल में फिल्में देखना पसंद करते हैं तो बेशक आपकी आंखें खराब हो सकती हैं.
आंखें मोबाइल रेडिएशन से नहीं, बल्कि नजदीक से मोबाइल इस्तेमाल करने से खराब होती हैं.
क्या वाकई खतरनाक है मोबाइल रेडिएशन?
मोबाइल फोन से रेडियो तरंगें निकलती हैं ये बात किसी से छुपी नहीं है. लेकिन ये रेडियो तरंगे इतनी ताकवर नहीं होती हैं, जिससे शरीर को या फिर डीएनए को कोई भी नुकसान पहुंचे. इसका दावा खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी कर चुका है. मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन आपकी सेहत के लिए खतरनाक है या नहीं यह मोबाइल की SAR यानी स्पेसिफिक एबजॉर्प्शन रेट पर निर्भर करता है. 1.6 W/Kg तक की एसएआर वैल्यू होने से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इससे अधिक नहीं होनी चाहिए. हालांकि, आजकल के मोबाइल फोन में 0.3 W/Kg - 0.6 W/Kg की एसएआर वैल्यू ही होती है. अगर आपके पास एंड्रॉइड मोबाइल है तो उसकी एसएआर वैल्यू आप *#07# डायल कर के चेक भी कर सकते हैं.
देश में मोबाइल रेडिएशन को लेकर फैल रही गलतफहमियों को दूर करने के लिए दूरसंचार विभाग ने 'तरंग संचार' नाम का एक वेब पोर्टल भी शुरू किया है. बावजूद इसके, आए दिन तरह-तरह की रिसर्च आती रहती हैं, जो लोगों में गलतफहमियां फैलाती रहती हैं. ध्यान रहे कि मोबाइल रेडिएशन से कोई नुकसान नहीं होता है, क्योंकि अगर ऐसा होता तो इतने सालों में इसका कम से कम एक केस तो देखने को जरूर मिलता. अभी तक के रिसर्च में एक्स-रे मशीन जैसे बड़े उपकरणों से निकलने वाली रेडियो तरंगों से शरीर को नुकसान होने के प्रमाण मिले हैं, लेकिन मोबाइल से ऐसा कुछ नहीं होता.
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