कर्नाटक के सबसे अमीर मंदिर का प्रशासन 'फिरकी' ले रहा है
सबसे अमीर मंदिर होने के बावजूद ऐसा सर्कुलर जारी करना ये दिखाता है कि मंदिर इन दिनों पैसे कमाने का जरिया बन चुके हैं. लोगों की श्रद्धा के नाम पर सिर्फ कमाई की जा रही है.
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'मंदिर के बाहर की गई पूजा-अर्चना से लोगों की मुराद शायद ही भगवान तक पहुंचे.'
ये एक नोटिस है, जिसे कर्नाटक के एक मंदिर ने जारी किया है. इससे तो लगता है कि बदलते वक्त के साथ अब ये सार्वभौमिक सत्य भी बदल गया है कि 'भगवान कण-कण में समाए हैं.' ये नोटिस जारी किया है कर्नाटक के कुक्के श्री सुब्रमण्या मंदिर ने. मंदिर ने ऐसा सिर्फ इसलिए कहा है कि क्योंकि लोग मंदिर के अंदर आने के बजाए नदी के घाटों पर और मंदिर के बाहर की तरफ बैठे पुजारियों से पूजा-अर्चना करवा रहे हैं. इसकी वजह से मंदिर की कमाई नहीं हो पा रही है. यहां सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या महज अपनी कमाई की चिंता में कोई मंदिर भगवान को लेकर ऐसी अफवाह फैला सकता है?
क्या लिखा है सर्कुलर में?
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक सर्कुलर में लिखा है- 'यह माना जाता है कि मंदिर के बाहर की गई पूजा-अर्चना भगवान श्री कुक्के सुब्रमण्या तक शायद ही पहुंचे.' आगे लिखा है- 'मंदिर प्रशासन यह साफ करता है कि उसने किसी तरह के बिचौलिए और ब्रोकर्स को नियुक्त नहीं किया है. मंदिर के ऑफिस के अलावा कहीं पर भी की गई पूजा या दिया गया दान या फिर किसी वेबसाइट पर दिया गया दान आपकी इच्छा को पूरा नहीं कर सकता है.'
मंदिर ऐसी अफवाह क्यों फैला रहा है?
मंदिर के एक्जिक्युटिव ऑफिसर एमएच रविंद्र के अनुसार बहुत से ऐसे ब्रोकर हैं, जिन्होंने मंदिर के नाम पर अपनी वेबसाइट और अन्य ऐसे प्लेटफॉर्म शुरू कर दिए हैं, जहां श्रद्धालुओं से पूजा-अर्चना कराई जाती है और दान लिया जाता है, जिससे लोगों के साथ ठगी भी होती है. अब अगर इस बात पर गौर किया जाए तो यह साफ होता है कि मंदिर प्रशासन को इसकी वजह से काफी नुकसान भी झेलना पड़ रहा होगा. अगर ये सारे लोग मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करेंगे और वहीं पर दान देंगे, तो बेशक मंदिर की कमाई बढ़ेगी. यही वजह है कि मंदिर प्रशासन की तरफ से ऐसा सर्कुलर जारी किया गया है. यहां पर भले ही सर्कुलर जारी करने के पीछे मंदिर की मंशा सही हो, लेकिन सर्कुलर में जो बात कही गई है वह बेहद विवादास्पद है.
क्या मंदिर संभाल सकता है इतनी भीड़?
इस मंदिर में सेवा के लिए अक्सर वेटिंग लिस्ट होती है. यानी ये तो साफ है कि यहां आने वालों की कोई कमी नहीं है. अब जरा सोचिए, जो लोग बाहर पूजा कर रहे हैं वह भी मंदिर में ही जाएंगे तो भीड़ का आलम क्या होगा. वेटिंग लिस्ट कितनी लंबी हो जाएगी. जब किसी अफवाह के चलते भगदड़ मचती है, ऐसी जगहों पर जमा होने वाली भारी भीड़ ही अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बन जाती है. मध्य प्रदेश का रतनगढ़ मंदिर अत्यधिक भीड़ में मची भगदड़ से होने वाली अनहोनी का सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें करीब 115 लोगों की मौत हो गई थी.
किस चीज से होती है कितनी कमाई?
मंदिर में फलों, प्रसाद और एक्सप्रेस दर्शन तक से कमाई होती है. आइए जानते हैं किस चीज से कितना कमाता है ये मंदिर.
फलों आदि से- 35 लाख रुपए
मंदिर के मालिकाना हक की दुकानों के किराए से- 44.5 लाख रुपए
एक्सप्रेस दर्शन से- 1.15 करोड़ रुपए
मंदिर द्वारा कृषि योग्य खेती को किराए पर देकर और खेती करके- 2 करोड़ रुपए
बैंक में जमा फिक्स्ड डिपॉजिट से- 19.2 करोड़ रुपए
लड्डू और प्रसाद बेचकर- 38 करोड़ रुपए
आपको बता दें कि इस मंदिर में रोजाना करीब 10,000 श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं. माना जाता है कि यहां पूजा करने से बुराई दूर होती है और भाग्य अच्छा होता है. कर्नाटक के मंदिरों में सबसे अमीर श्री कुक्के सुब्रमण्या मंदिर की सालाना कमाई करीब 95 करोड़ रुपए है. सिर्फ सेवा से ही मंदिर ने पिछले साल करीब 40 करोड़ रुपए की कमाई की थी. सबसे अमीर मंदिर होने के बावजूद ऐसा सर्कुलर जारी करना ये दिखाता है कि मंदिर इन दिनों पैसे कमाने का जरिया बन चुके हैं. लोगों की श्रद्धा के नाम पर सिर्फ कमाई की जा रही है.
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