छेड़छाड़, रेप और हत्या के वीभत्स वीडियो की बढ़ती तादाद कुछ कहती है
देश के दूर देहातों, कस्बों में हुई कई वारदातें चाहे वो रेप की हो, भीड़ द्वारा हत्या या फिर छेड़खानी की, वीडियो के कारण ही रोशनी में आई. शायद अगर ये वीडियो सामने नहीं आते तो वो सारी घटनाएं यूं ही बिना किसी कारर्वाई के रह जाती.
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एक कहावत है कि तस्वीरें बोलती हैं. और एक वीडियो तो पूरी कहानी ही बयान कर देती है. आज के विकृत मानसिकता से भरे माहौल में तो एक नया ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है. जब समाज के बदलते घिनौने स्वरूप और विकृत मानसिकता पर हमें शर्मिंदा होना चाहिए, तो हम उस दरिंदगी की वीडियो बनाने और देखने में ज्यादा रूचि लेने लगे हैं. एक सनकी, पागल, कुंठित इंसान किसी दूसरे इंसान का कत्ल करता है. उसे जिंदा जलाता है या उसे जानवरों की तरह काट डालता है. जब एक 'मर्द' अपनी हवस मिटाने के लिए किसी लड़की, फिर चाहे वो किसी भी उम्र की हो, को अपना शिकार बनाता है. तब होना तो ये चाहिए था कि हमें, पूरे समाज को शर्म से डूब मरना चाहिए था. लेकिन अब होता ये है कि उस घटना की वीडियो के लिए हम मरे जाते हैं. मानसिक दिवालिएपन की इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी?
आखिर ऐसे वीडियो बनाए क्यों जाते हैं-
कुछ दिनों पहले राजस्थान के राजसमंद में शंभुलाल नाम के एक व्यक्ति ने मोहम्मद अफराजुल को जिंदा जला दिया. अफराजुल रोजी रोटी की तलाश में बंगाल से यहां आया था. शंभुलाल ने कत्ल को छिपाने के बजाए अपने 14 साल के भतीजे द्वारा इस पूरी घटना का वीडियो बनवाया. इसके बाद उसने कैमरे में देखते हुए कहा कि मोहम्मद अफराजुल की हत्या लव जिहाद का समर्थन करने वालों के लिए एक संदेश है.
वीडियो बनाकर कुछ साबित हो न हो, अपराध की स्वीकार्यता जरुर बढ़ रही है
कई लोगों ने शंभुलाल के इस जघन्य कृत्य के लिए उसे मौत की सजा देने की मांग की है. लोग इसे rarest of the rare केस बता रहे हैं. काश ये rarest of the rare केस होता! लेकिन आज के समय जिस तेजी से वीडियो बनाकर लोगों द्वारा 'न्याय' किया जा रहा है, वो रेयर नहीं बल्कि आम हो गया है. लगभग हर दूसरे दिन इस तरह के 'फैसलों' के बारे में हम सुनते हैं. कुछ बानगी हम ही दिखा देते हैं.
जुलाई 2016 में एक दलित परिवार के सात लोगों को गौ रक्षक दल के लोगों ने बुरी तरह मारा. उनका कसूर सिर्फ इतना था कि वो एक मरी हुई गाय की खाल उतार रहे थे. यही नहीं इन तथाकथित 'संस्कारी', हिंदु धर्म के रक्षकों ने इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया. वीडियो में पीड़ितों की कष्ट भरी चीखें और रक्षकों की खिलखिलाहट साफ सुनाई दे रही है.
अप्रैल 2017 में राजस्थान के अलवर जिले में पहलू खान नाम के डेयरी मालिक को भी गौ रक्षकों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया. पहलू खान के साथ हुई दरिंदगी का पता दुनिया को तब चला जब उस घटना का वीडियो वायरल हुआ.
इसके अलावा चाहे अखलाक की बात हो या फिर रेप पीड़िता को डराने धमकाने के लिए बनाया गया वीडियो. ये सब अब आम जीवन का हिस्सा से हो गए हैं.
वीभत्स वीडियो का बाजार-
2016 में अलजजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के सबसे घनी आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश में महिला के साथ रेप या गैंग रेप के वीडियो की डिमांड बहुत ज्यादा है. रिपोर्ट में कहा गया है- 'वीडियो में पीड़िता का चेहरा साफ नजर आता है. साथ ही सारी आवाजें भी साफ सुनाई देती हैं. उनपर हो रहे अत्याचार वीभत्स होते हैं. दिल दहलाने वाले.'
इसके बाद आई खबरों में इस बात की पुष्टि हो गई कि इस तरह के वीडियो के वायरल होने के लिए पुलिस और प्रशासन की नाकामी और ढीला रवैया जिम्मेदार है. ये घिनौने वीडियो कौड़ियों के भाव यानी 50 रुपए से 500 रुपए तक में मिल जाते हैं. विडम्बना ये है कि किसी भी व्यक्ति पर हो रहे अत्याचार को देखने दिखाने का बाजार बिना किसी डर के फल-फूल रहा है. रिपोर्ट में इस बात की तरफ भी इशारा किया गया है कि ऐसे अपराधों को पनपने देने के लिए पुलिस वालों की मुट्ठी खुब गर्म की जाती है.
इस तरह के वीडियो बनाना घातक क्यों है?
देश के दूर देहातों, कस्बों में हुई कई वारदातें चाहे वो रेप की हो, भीड़ द्वारा हत्या या फिर छेड़खानी की, वीडियो के कारण ही रोशनी में आई. शायद अगर ये वीडियो सामने नहीं आते तो वो सारी घटनाएं यूं ही बिना किसी कारर्वाई के रह जाती. वीडियो के सामने आने के बाद लोगों को इसके बारे में पता चला. इसके बाद पुलिस और प्रशासन ने अपराधियों पर कारर्वाई की. लेकिन अधिकतर केस में वीडियो का कोई बहुत ज्यादा फायदा मिलता नहीं है.
ज्यादातर मामलों में वीडियो के बाजार ने अपराध के प्रति लोगों का नजरिया बदलकर रख दिया. पहले जो छेड़छाड़ की घटनाएं लोगों और समाज के लिए बहुत बड़ी बात होती थी, वीडियो के आने और उसमें "मजा" पा जाने के कारण, इस तरह की घटनाओं के प्रति रोष नहीं होता बल्कि शायद इसका इंतजार होता हो. और यही एक भयानक अंत की शुरुआत है. इस तरह के वीडियो के लगातार सामने आने से 'लव जिहाद', 'गौ रक्षा' का नाम लेकर भीड़ द्वारा मासूमों का कत्ल करना चलन बन जाएगा. ये वीडियो किसी उन लोगों को भी बढ़ावा देते हैं जो किसी विचारधारा के समर्थक होने के नाम पर भीड़ द्वारा लोगों को मार डालने का समर्थन करते हैं. कई बेरोजगार युवक इस नकारात्मक एजेंडे के झांसे में आ जाते हैं. और बदले में इस तरह के वीडियो को शेयर करके इस जघन्य अपराध में सक्रिय भूमिका निभाते हैं.
नतीजतन गैंग रेप और रेप जैसे घिनौने अपराध भी सामान्य नजर आने लगते हैं. अब जबकि रेप और गैंग रेप जैसे अपराधों के वीडियो का बाजार बढ़ रहा है तो कई अपराध सिर्फ इसी कारण से किए जा रहे हैं.
वीडियो में अपराध की वीभत्सता किसी सामान्य इंसान के लिए इतनी दर्दनाक, घिनौनी और कष्टप्रद हो जाती है कि वो उससे मुंह फेर लेते हैं. कुछ लोग अपराध को भूल वीडियो की वीभत्सता पर ध्यान देते हैं. ये वीडियो समाज में धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों के हाथ में उस्तरे के समान साबित होता है. इनके जरिए वो लोगों को डराने, धमकाने और अपनी विकृत मानसिकता को कामयाब होते हैं. इस तरह रेप और लोगों की हत्या को सही साबित कर देते हैं.
हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब टेक्नोलॉजी ने हमें अपने कंट्रोल में ले लिया है. ऐसे में इस हानिकारक दौर से जल्दी छुटकारा नहीं मिलने वाला. शायद अब समय आ गया है कि हम इस तरह की घटनाओं में कानून और प्रशासन के रवैये पर बात करें. आखिर क्यों अपराधियों में कानून का डर नहीं है.
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