डियर मम्मियों, बेटी को सासू मां के नाम पर डराना बंद कर दो, हर सास विलेन नहीं होती
लड़कियों के होश संभालते ही उन्हें सास का हवाला दे-देकर 'अनुशासन' सिखाया जाता है. उन्हें ऐसे डराया जाता है, जैसे सास इस धरती की प्राणी नहीं, बल्कि पाताल से आई हुई कोई राक्षसी हैं, जिनका काम बहू को कच्चे चबा जाना है.
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डियर मम्मियों अपनी बेटियों को सास के नाम पर डराना बंद कर दो, क्योंकि हर सास अपनी बहू के लिए विलेन नहीं होती...सास क्या कहेगी इस नाम पर लड़कियों की कंडीशनिंग करना अब बंद कर दीजिए. बचपन में लड़कियों के होश संभालते ही उन्हें सास के तानों की धमकी दी जाती है. शादी से पहले लड़कियों के दिमाग में सास की ऐसी छवि तैयार कर दी जाती है जिसके नाम से ही वो डरने लगती हैं. जबकि हकीकत में सास नाम की किसी महिला से उसका पाला भी नहीं पड़ा होता है.
सबसे बड़ी बात है कि ऐसा करने वाली बेटियों की मां, भाभी और बहनें ही होती हैं. मां खुद किसी लड़की की सास होती है मगर वह अपनी बेटी को सासू मां के नाम पर माहौल बनाना शुरु कर देती है. जैसे सासू मां इस धरती की प्राणी नहीं बल्कि पाताल से आई हुई कोई राक्षसी हैं, जिनका काम सिर्फ बहू को कच्चे चबा जाना है. मतलब सच में?
अब सास-बहू और साजिश का जमाना नहीं रहा लेकिन माताओं का रिमोट उसी दकियानुसी विचारधार के नंबर में फंसा है
अब सास-बहू और साजिश का जमाना नहीं रहा लेकिन कुछ मम्मियों का रिमोट उसी दकियानुसी विचारधार के नंबर में फंसा है. अब तो टीवी और फिल्मों में भी सास-बहू के बीच प्यार दिखाया जा रहा है. इसलिए प्रिय माताओं अब बेटी के घर में सासू मां के नाम पर आग लगाना बंद कर दो. आपका जमाई, आपकी बेटी का पति है लेकिन वह किसी का बेटा है, किसी का भाई, किसी का चाचा और किसा का मामा भी है. वह आपकी बिना इनसे दूरी बनाए भी आपकी बेटी को खुश रख सकता है. इसलिए माताओं, अब सासू नाम का बहना देकर बेटी को बचपन में ही टॉर्चर करना बंद कर दो.
बेटी से क्या कहती हैं मम्मियां-
ससुराल जाकर नाक कटाओगी, सास के सामने क्या करोगी?
अभी भी सबक नहीं ली तो सास क्या कहेगी?
तुम इतना बोलती हो, सास क्या सोचेगी?
घर का काम नहीं साखोगी तो सास को क्या मुंह दिखाओगी?
तुम्हें तो कुछ आता ही नहीं है, सास कहेगी तुम्हारी मां ने क्या सिखाया है?
सहूर सीख लो वरना सास के सामने टिक नहीं पाओगी?
खाना नहीं बना पाओगी तो सास तुम पर भारी पड़ जाएगी?
जरा सी बात पर आंसू बहा देती हो सास की डांट पर क्या हाल होगा?
दिन भर मुंह चलता है थोड़ा हांथ चलाना भी सीख लो, वरना सास अच्छे से सीखा देगी?
सास आ जाएगी तो सुबह 7 बजे तक कैसे सोओगी?
मां की सेवा करना सीख लो वरना सास के पैर कैसे दबाओगी?
बाप-बाप से पार...मतलब सास के नाम पर इतने जुमले बने हैं कि सोचकर लगता है क्या सास कोई औरत इतनी बुरी हो सकती है? असल में ये सासू मां लड़कियों की जिंदगी में शादी से पहले की शामिल हो जाती हैं. अरे, जिस तरह हर बहू अच्छी नहीं होती उसी तरह हर सास भी बुरी नहीं होती है. इसलिए सास को विलन बनाना छोड़ दीजिए. कम से कम मैं मेरे अनुभव से तो यह कह सकती हूं, क्योंकि मुझे सास के रूप में दूसरी मां मिली है. जो मुझे समझती हैं. जो जानती हैं कि एक महिला की जरूरत क्या होती है...
सास भी तो कभी किसी की बहू, किसी की मां और किसी की बहन होती हैं. वे उस दौर से गुजर चुकी हैं जिस राह पर बहू नई होती है. वे समझती हैं कि बहू सारा काम अकेले नहीं कर सकती. वे जानती हैं कि घर-बाहर एक साथ मैनेज करना आसान नहीं है. वे जानती हैं कि एक महिला होना क्या होता है?
हर बात पर अगर हम सामने वाले में गलती खोजने लगे फिर तो किसी के साथ हमारा रिश्ता कभी मजबूत नहीं हो सकता है. हर रिश्ते में थोड़ी बहस होती है लेकिन बात करने से ही बात बनती हैं. क्या हम लड़कियों की मांएं हमारी गलती पर नहीं टोकती हैं? क्या वे कभी हमारे ऊपर गुस्सा नहीं करती हैं? हम अपनी मां की डांट का भी बुरा नहीं मानते. किसी से उनकी शिकायत नहीं करते मगर सही बात पर भी सासू मां की जरा सी तेज आवाज हमें कांटों की तरह चुभती है.
अरे जो जिंदगी भर की अपनी गृहस्थी एक पल में आपके हाथों में सौपेंगी. जो अपने दिल के टुकड़े बेटे को आपको सौंपेगी...क्या वो इतना भी अधिकार नहीं दिखा सकती है? महिला अधिकार की बातें करनी चाहिए मगर एक महिला ऐसे कैसे दूसरी महिला की दुश्मन बन जाती है. एक मां अगर अपनी बेटी का भला चाहेगी तो उसे सास के खिलाफ भड़काएगी नहीं बल्कि समझाएगी कि बेटी जैसे मेरे साथ रहती हो वैसा ही अपनी सास के साथ भी रहना. वो भी एक इंसान ही है, कोई राक्षसी नहीं है. तब तो बेटी के मन ने सासू मां की अच्छी छवि बनेगी और वह शादी के नाम पर डरना बंद करेगी...
वरना, वुमेन इक्वेलिटी सिर्फ सिर्फ बहस का मुद्द भर रह जाएगा...जब महिलाओं ही एक-दूसरे को नहीं समझेंगी तो फिर वे समान कैसे हो सकती हैं?
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