मस्जिदों पर भगवा लहराने वाले समझें, हमारे सनातन धर्म की शिक्षाएं ऐसी बिल्कुल नहीं हैं
रामनवमी शोभा यात्रा के नाम पर देश के तमाम राज्यों में हिंसा हुई है. तमाम ऐसे वीडियो और फोटो भी आ रहे हैं जिनमें लोग मस्जिदों में भगवा झंडा लगाते नजर आ रहे हैं सवाल ये है कि क्या भगवान राम अपने जीवन से हमें यही शिक्षा देते हैं?
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मुझे अभी कई वीडियो में टैग किया गया और कई फ़ोटो भेजे जा रहे हैं जहां साफ़-साफ़ उपद्रवी लोग मस्जिद पर श्री राम का नाम लिखा हुआ झंडा फहराते दिख रहे हैं, किसी ग़रीब फल वाले के ठेले को तोड़ा गया है. उनके फलों को कुचल दिया गया है.
क्या ये हैं हम? क्या ये कहता है हमारा धर्म?
वो सभी फ़ोटो और वीडियो देख कर मैं शर्मिंदा हूं और जिन्होंने भी जहां टैग किया है वहां मैंने Sorry लिखा है क्योंकि मुझे सच में दुःख हो रहा है कि हम क्या से क्या हो रहे हैं. ऐसे तो हम बिलकुल नहीं थे. हमारा धर्म ऐसा कट्टर तो नहीं था. क्या हो गया है आज के लड़कों को? भीड़ में जो लड़के दिखते हैं उनकी उम्र बीस से कम की ही होगी ज़्यादा की नहीं. पढ़ने-लिखने की उम्र में ये उन्माद कहां से आया?
कुछ इस तरह लगाया गया राम नवमी पर मस्जिदों में भगवा झंडा
चलिए, मैं मानती हूं कि हमारे मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद बनाई गई. अब धीर-धीरे करके फिर से उन जगहों पर मंदिर बन रहे हैं. ये काम सरकार, पुलिस तथा अदालत का है आप मस्जिद पर झंडे लगा कर क्या साबित कर रहे हैं? मत कीजिए ये सब.
हमारा सनातन धर्म इससे कहीं बड़ा और पवित्र है. हमारे राम तो वो हैं जिन्होंने मरते हुए रावण के कदमों में बैठ कर उससे ज्ञान लिया. वो समुद्र लांघ सकते थे न फिर भी समुद्र की पूजा की. क्या सीख मिलती है आपको अपने राम की इन बातों से, कहिए?
मैं इन दिनों रामायण पढ़ रही हूं और यक़ीन मानिए मन में इतनी शांति है कि लगता है कि अगर कोई ग़लत भी कर रहा है तो उसे माफ़ कर दूं. श्री राम का तो ऐसा असर हो रहा है मुझ पर. आप तो उनकी रैली में शामिल थे फिर आप में शांति क्यों नहीं थी? सोचिए न ज़रा, आपके इन छोटी-छोटी ग़लतियों की वजह से कोई ये कहे कि देखो 'रामसेना' ने ये किया। कैसा लगता है सुन कर? जैसे स्कूल से कम्प्लेन आने पर मां-बाप को लगता है शायद वैसा ही हमारे श्री राम को भी लग रहा होगा न. नहीं कीजिए ये सब.
एक आख़िरी चीज़ अगर किसी ने मस्जिद पर झंडा फहरा भी दिया तो क्या उससे अल्लाह छोटे हो गए? नहीं न. फिर आप फ़ोटो या वीडियो जो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं पथराव के बाद वो ही क्लिप्स पुलिस को दिखा कर उनसे कानून-व्यवस्था बहाल करने की मांग करते. क्यों क़ानून अपने हाथ में लेना है? छतों पर जमा किए गए पत्थरों को किसी जुलूस पर क्यों फेंकना है? थोड़ा ठहर कर आप ही सोच लीजिए न.
टकराव के बीच जो हुआ है, ग़लत है और मैं फिर से कह रही हूं कि ये हमारा धर्म नहीं है.
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