Sameera Reddy ने बाल कलर ना करके दिल जीत लिया, सुनिए उनकी क्या राय है...
आखिर कब तक हम अपनी बढ़ती उम्र को छिपा पाएंगे. एक समय के बाद उम्र छिपाने की सारी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं. लाखों खर्च करने के बाद भी चेहरे से बढ़ती उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता है. फेशियल सर्जरी, मंहगे कॉस्मैटिक कुछ काम नहीं आते हैं.
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कहते हैं वक्त का पहिया किसी के लिए नहीं रूकता...जब ये शरीर ही नश्वर है तो भला कोई भी इंसान (Sameera Reddy) उम्र भर जवान कैसे रह सकता है? हर उम्र की अपनी अलग खूबसूरती होती है. जैसे ही उम्र ढलने लगती है चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं, बालों का सफेद होना शुरु हो जाता है.
हम बूढ़े हो रहे हैं, यह अपनाना किसी के लिए भी थोड़ा मुश्किल होता है. खासकर महिलाओं के उपर सुंदर दिखने का दबाव होता है. तुम मोटी हो गई हो, अरे तुम्हें तो मुंहासे हो गए हैं, तुम सोती नहीं क्या जो आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं. यह क्रीम लगाया करो, पार्लर जाया करो...अरे तुम्हारे तो बाल अभी से सफेद हो रहे हैं, कलर नहीं किया क्या? ऐसे कई सवालों से महिलाओं का हर रोज पाला पड़ता है.
आखिर कब तक हम अपनी बढ़ती उम्र को छिपा पाएंगे. एक समय के बाद उम्र छिपाने की सारी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं. लाखों खर्च करने के बाद भी चेहरे से बढ़ती उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता है. फेशियल सर्जरी, मंहगे कॉस्मैटिक कुछ काम नहीं आते हैं.
समीरा ने बताया उम्र का ढलना जिंदगी की सच्चाई है
ऐसे में समीरा रेड्डी ने अपनी एक फोटो शेयर की है जिसमें उनके बाल सफेद दिख रहे हैं. सफेद बालों में समीरा ने फोटो शेयर करके वे समाज की सोच को बदल चुकी हैं. समीरा ने लोगों को बता दिया है कि वे खुद को अपना चुकी हैं. उन्होंने खुद को दुनियां के दबाव से मुक्त कर दिया है.
समीरा ने पुरानी रूढ़िवादी सोच पर चोट करते हुए एक पोस्ट भी लिखी है. उन्होंने कहा है कि जब वह यह फोटो शेयर कर रही थीं तो उस समय उनके पिता को इन सफेद बालों को लेकर कई तरह की शंका थी. उन्हें यह डर था कि लोग क्या कहेंगे? वहीं समीरा रेड्डी ने अपनी पसंद को दुनियां के सामने बेझिझक होकर रखा.
समीरा ने इसे अपनी आजादी से जोड़कर देखा. लोग समीरा के इस कदम के लिए उनकी सराहना कर रहे हैं. हमें हमेशा परफेक्ट दिखने की जरूरत नहीं है, हम कोई मशीन नहीं हैं. हम दुखी हैं तो हैं, जैसे खुशी चेहरे पर दिखती है वैसे ही दुख को भी छिपाना नहीं चाहिए. मन नहीं है मेकअप करने का तो ठीक है ना...हम किन लोगों की परवाह करते हैं? जिनसे हमारी तकलीफों से मतलब भी नहीं होता. तो फिर इन लोगों के लिए हर वक्त सुंदर दिखने का दबाव क्यों लेना?
समीरा ने लिखा है कि, 'मेरे डैड ने पूछा कि मैं अपने सफेद बालों को कलर क्यों नहीं कर रही हूं. वो इस बात से परेशान थे कि लोग क्या सोचेंगे? मैंने जवाब दिया, 'अगर वह सोचेंगे तो क्या...बाल सफेद हो गए तो मैं बुढ़ी हो गई हूं. अब सुंदर नहीं रही, आकर्षित नहीं रही?
मैंने पापा से कहा कि मैं इस बारे में नहीं सोचती थी कि मैं किस तरह की हुआ करती थी, यह मेरी आजादी है. मैं हर दो हफ्ते में कलर करती थी ताकि कोई भी सफेद रंग की लकीर मेरे सिर पर दिखाई ना दे. अब मैं उस समय कलर करूंगी जब मेरा मन करेगा. उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं ऐसा क्यों सोच रही हूं? मैने कहा क्यों नहीं? मैं जानती हूं कि मैं ऐसी अकेली नहीं हूं, जिसके उम्र के साथ बाल सफेद हो रहे हैं. बदलाव और स्वीकृति तभी शुरू होती है जब पुरानी धारणाएं टूट जाती हैं.
जब हम बस एक दूसरे को जैसा हैं रहने दें. जब हमें आत्मविश्वास के लिए किसी मुखौटे के पीछे नहीं छिपना पड़ता है. हम जैसे होते हैं खुद को अपना लेते हैं. परिवर्तन ही प्रकृति का नियम हैं. इस समझ के साथ हम अपने हर रूप में आत्मविश्वास से भरे होते हैं. मेरे पापा समझ गए. उनका सवाल सिर्फ एक पिता की चिंता थी, क्योंकि समाज में यही चलता आ रहा है. वैस हम हर दिन सीखते हैं, आगे बढ़ते हैं और जिंदगी का असली सुकून पाते हैं. ये छोटी-छोटी बातें ही हमें खुशी का एहसास करवाती हैं’.
अच्छा दिखने में और हर वक्त अच्छा दिखने के लिए दबाव में जीना, दोनों में अंतर होता है. हमारा मन करता है तो हम अच्छे से तैयार होते हैं. उसी तरह जब मन ना करता हो तो हम जैसे हैं वैसे भी खुद को अपना सकते हैं. जिंदगी तो हमेशा से ऐसी ही रही है, बहुत ही सीधी, साधारण और आसान. इसे मुश्किल तो हम सबने और समाज के नियमों ने बना रखा है.
आखिरी में ये लाइनें ही याद आती हैं...नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा...इस गाने को सुनिए अच्छा लगेगा...जिंदगी की सच्चाई से सामना होगा!
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