यूरोप का 'उन्नाव' ट्रेंडिंग है, देखते हैं सोना निकलता है या नहीं
करीब दो साल पहले डौंडियाखेड़ा में खजाना तलाश करने का वाक्या तो आपको याद ही होगा. संत शोभन सरकार ने सपना देखा और पूरा महकमा खुदाई में जुट गया. अब पोलैंड में सोने से भरी ट्रेन मिलने की अटकलों ने यूरोप में हलचल मचा दी है.
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खजाना मिलने की अफवाह के पीछे भागने की आदत केवल हमारी नहीं है. पोलैंड में सोने से भरी ट्रेन मिलने की अटकलों ने यूरोप में हलचल मचा दी है. करीब दो साल पहले उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा में खजाना तलाश करने का वाक्या तो आपको याद ही होगा. संत शोभन सरकार ने सपना देखा और पूरा महकमा खुदाई में जुट गया. यह और बात है कि हाथ कुछ नहीं आया.
बात आई-गई हो गई. वैसे भी, हमारे यहां कभी किसी पेड़ पर भगवान के प्रकट हो जाने की बात, भगवान के दूध पीने की बात, जमीन में खजाना दबे होने की बात नई नही है. इसलिए, हम उन्नाव मामले में 'ट्राई' मारने से पीछे नहीं हटे. लेकिन यूरोप के लोग तो पढ़े-लिखे हैं. हमसे ज्यादा समझदार और वैज्ञानिक सोच वाले.
दो लोगों ने किया ट्रेन खोजने का दावा
बात दूसरे 1945 की है, करीब 70 साल पुरानी जब दूसरा विश्व युद्द समाप्ति की ओर था. दो लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने तब की एक ट्रेन खोज निकाली है जो उस समय अचानक व्रोकला शहर के पास कहीं गायब हो गई थी. यह शहर अब पोलैंड का हिस्सा है. यहां के किस्से-कहानियों के अनुसार तब वह ट्रेन किसी गुफा में छिपा दी गई थी. ऐसा कहा जाता है कि वह ट्रेन नाजी सेना की थी और इसके जरिए नाजियों की लूट का सामान बर्लिन ले जाया जाता था.
अब यह कहानी है या सच, कहना मुश्किल है. ट्रेन खोजने का दावा करने वाले दोनों व्यक्तियों ने हालांकि अभी तक नहीं बताया है कि वह गुफा कहां है. वे चाहते हैं पता बताने के बदले में उन्हें भी खजाने का 10 फीसदी हिस्सा मिले. ट्रेन में 300 टन के आसपास सोना होने की बात कही जा रही है.
अब खजाने की बात है. क्या पता सच ही हो. इसलिए स्थानीय प्रशासन धीरे-धीरे हरकत में आ रहा है. वहां की आर्मी, पुलिस और फायर ब्रिगेड के अधिकारियों ने इस मामले पर गौर करना शुरू कर दिया है. ट्रेन खोजने वालों का दावा है कि उसमें सोने के अलावा भारी मात्रा में हथियार गोला-बारूद भी हैं. अब यह भी वहां के प्रशासन के लिए चिंता का विषय है.
इसलिए फरमान जारी हो गए हैं. खोजबीन की तैयारी चल रही है. लेकिन सवाल है कि इतनी बड़ी ट्रेन कैसे आधी सदी से भी ज्यादा समय तक नजरों से गायब रह सकती है. बहरहाल, जो भी हो...ट्राइ करने में क्या जाता है. जब हमने उन्नाव में खुदाई की थी तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ हुई थी. उनकी खुदाई में शायद चमगादड़, सांप...बिच्छू निकल आए. गुफाओं में तो यही मिलते हैं...
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