चाय हो या सेक्स, सहमति जरूरी है यार!
चाहे पत्नी हो या फिर गर्लफ्रेंड, सेक्स करने से पहले उसकी इच्छा को अक्सर कोई तवज्जो नहीं दी जाती. एक वीडियो में बड़ी ही सरलता से ये बताया गया है कि जिस तरह मन न होने पर चाय जबरदस्ती नहीं पिलाई जा सकती, उसी तरह सेक्स भी जबरदस्ती नहीं किया जा सकता.
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एक बेहद आसान सा काम जिसे रोजाना हर घर में सुबह उठने के साथ किया जाता है, वो है चाय बनाना. चाय बनाना, पीना और पिलाना जितना सामान्य है उतना ही चाय का शौक भी, कभी चाय पर चर्चा होती है, तो कभी चर्चा में चाय. यहां भी ये चाय चर्चा में है क्योंकि यहां उसकी तुलना सेक्स से कर दी गई है.
जी हां, चौंकने वाली बात तो है. लेकिन ये किया है ब्रिटेन की थेम्स वैली पुलिस ने. और ऐसा करने की वजह, चाय की तरह सामान्य नहीं है. अक्सर यौन हिंसा से जुड़े मामलों में कंसेंट या रजामंदी को दरकिनार कर दिया जाता है. वो चाहे पत्नी हो या फिर गर्लफ्रेंड, सेक्स करने से पहले उसकी इच्छा को अक्सर कोई तवज्जो नहीं दी जाती. नतीजा ये होता है कि ये शारीरिक संबंध, यौन हिंसा और अपराध का रूप ले लेते हैं. इन्हीं से निपटने और लोगों को समझाने के लिए पुलिस को आगे आना पड़ा. थेम्स वैली पुलिस 'consent is everything' (रजामंदी ही सबकुछ है) नाम से एक अभियान चला रही है, जिसके जरिए लोगों को ये समझाने की कोशिश की जा रही है कि सेक्स से पहले रजामंदी लेना कितना जरूरी है, और इसी कड़ी में एक वीडियो बनाया गया, जिसमें बताया गया है कि- जिस तरह मन न होने पर चाय जबरदस्ती नहीं पिलाई जा सकती, उसी तरह सेक्स भी जबरदस्ती नहीं किया जा सकता. अगर सेक्स मर्जी से न होकर जबरदस्ती किया जाये तो वह अपराध की श्रेणी में आता है, जिसे रेप कहते हैं.
बहरहाल आप वीडियो देखिए, इसमें बात भले की चाय पिलाने की की जा रही है, लेकिन जैसा कि आपको पता है कि चाय को सेक्स से बदल दिया गया है, इसलिए आपका दिमाग ऑटोमैटिक ही इसे उसी रूप में समझ लेगा. तीन मिनट के इस वीडियो में बड़े ही स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि किसी को चाय तब ही पिलाएं जब उसकी पीने की इच्छा हो. लेकिन कई बार आप सामने वाले की इच्छा समझ नहीं पाते, तो कई बार वो स्पष्ट समझा नहीं पाता. कई बार तो लोग किसी संकेत को गलत भी समझ लेते हैं, और सामने वाले को जबरदस्ती चाय पीनी पड़ती है.
देखिए वीडियो-
सेक्स या एक प्याली चाय?
- अगर वो कहते हैं कि चाय नहीं पीनी, थैंक्यू, तो आप चाय बिलकुल मत बनाइए. बन भी गई हो तो पिलाइए मत, क्योंकि उन्हें तो चाय पीना ही नहीं है.
- कई बार पहले तो चाय के लिए हां कर दी जाती है, लेकिन चाय बनते तक मूड चेंज हो जाता है. ऐसे में भी आप उसे जबरदस्ती चाय सिर्फ इसलिए नहीं पिला सकते क्योंकि आपने चाय बनाने में मेहनत की है और फाइनली चाय बन गई है. अक्सर चाय बनाने में इतना समय लग ही जाता है कि लोगों का माइंड चेंज हो जाए.
- अगर वो बेहोशी में हों, तो उन्हें चाय बिलकुल मत दीजिए. बेसुध लोगों को चाय की जरूरत ही नहीं होती. ऐसी स्थिति में बेसुध व्यक्ति चाय के लिए हां भी कर दे तो भी चाय नहीं पिलाएं. उस समय उसकी सुरक्षा ही सबसे जरूरी है.
- किसी निश्चित दिन चाय पी लेने का मतलब ये नहीं मानना चाहिए कि वो व्यक्ति अगले सप्ताह भी उसी दिन चाय पिए. मगर आप जबरदस्ती उसके मुंह में चाय उड़ेल दें और कहें- तुमने पिछले सप्ताह भी तो चाय पी थी न?
- कभी रात को चाय नहीं पी सके, तो क्या सुबह सुबह आप इसलिए जबरदस्ती चाय पिलाएंगे क्योंकि रात को नहीं पी थी?
अरे..ऐसा होता है क्या? जब आप ये जानते हैं कि किसी को भी उसकी इच्छा के विरुद्ध चाय पिलाना कितना अजीब होता है, तो बात जब सेक्स की आती है तो फिर सामने वाली की इच्छा को समझना इतना मुश्किल क्यों हो जाता है?
तो बात चाहे चाय की हो या सेक्स की रजामंदी बेहद जरूरी है. ये उतना ही सरल है जितना एक प्याली चाय. समझे...???
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