Shraddha Murder Case: 'मेरे सूफियाना इश्क' को लव जिहाद का नाम मत दीजिए
श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Case) के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला (Aaftab Ameen Poonawala) को कुछ लोग अपना स्वार्थ साधने के लिए हत्यारा और लव जिहादी (Love Jihad) बताकर कलंकित करने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि, उसने श्रद्धा को रास्ते से केवल इसलिए हटाया. क्योंकि, वह जबरदस्ती उसके गले पड़ने की कोशिश कर रही थी. वो श्रद्धा के साथ अपने सूफियाना इश्क को पूरे शातिराना अंदाज में निभा रहा था.
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श्रद्धा मर्डर केस पर आगे बढ़ने से पहले हाल ही में सामने आई एक खबर और जान लेते हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सूफियान ने अपनी प्रेमिका निधि गुप्ता को चौथी मंजिल से फेंक दिया. सूफियान पर आरोप है कि वह अपनी प्रेमिका निधि गुप्ता पर धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपनाने का दबाव बना रहा था. और, मना करने पर निधि को चौथी मंजिल से फेंक दिया. जिससे निधि गुप्ता की मौत हो गई है. यहां ये बताना जरूरी है कि श्रद्धा वाकर हत्याकांड और उसके जैसे अब तक हुए सैकड़ों मामलों की तरह लखनऊ का मामला भी लव जिहाद से जुड़ा हुआ नहीं है. बल्कि, ये तो 'सूफियाना इश्क' का मामला भर हैं.
श्रद्धा वाकर की खौफनाक हत्या का मामला इस समय सुर्खियों में छाया हुआ है. श्रद्धा का काम तमाम करने वाले आफताब अमीन पूनावाला को कसाई, दरिंदा जैसे दर्जनों विशेषण दे दिए गए हैं. कोई इसे क्रूरतम हत्या बता रहा है. तो, कोई इसे लव जिहाद का नाम दे रहा है. वहीं, बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो कह रहे हैं कि एक दरिंदे ने एक लड़की की बेरहमी से हत्या कर दी. इसमें धर्म की बात करने वाले सभ्य समाज के हत्यारे हैं. लिखी सी बात है कि किसी के सूफियाना इश्क को लव जिहाद का नाम कैसे दिया जा सकता है? और, आफताब को किसी भी तरीके से लव जिहाद करने वाला नहीं घोषित किया जा सकता है. भले ही उसकी फेसबुक प्रोफाइल पर कई हिंदू लड़कियों के साथ उसकी प्रोफाइल पिक लगी रही हो. क्योंकि, आजकल ऐसी तस्वीरें ही तो लड़कियों के बीच लड़कों को कूल बनाती हैं.
संभव है कि प्लेकार्ड गैंग ये कहता नजर आने लगे, श्रद्धा को आफताब ने नहीं उसके गुस्से ने मारा.
चलिए वापस श्रद्धा मर्डर केस पर आते हैं. तो, श्रद्धा वाकर कॉल सेंटर में नौकरी करने वाली एक आजाद ख्याल की लड़की थी. और, कॉल सेंटर में साथ ही काम करने वाला एक लड़का आफताब अमीन पूनावाला उसे पसंद था. आफताब की फेमिनिस्ट, समलैंगिकता का समर्थक, फोटोग्राफर, फूड ब्लॉगर, शेफ होने जैसी कई खूबियां श्रद्धा को आकर्षित करती थीं. जिसकी वजह से आफताब के साथ श्रद्धा का इश्क हर बीतते दिन के साथ और ज्यादा 'सूफियाना' होता जा रहा था. जिसके चलते 2019 में श्रद्धा ने अपनी मां का घर छोड़कर आफताब के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला कर लिया.
काफी समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद 2022 में श्रद्धा और आफताब ने मुंबई को छोड़कर दिल्ली में नई शुरुआत करने की सोची. और, 10 मई को दिल्ली आ गए. लेकिन, दिल्ली आने से पहले श्रद्धा और आफताब ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का एक लंबा टूर किया. श्रद्धा वाकर की इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर एक शॉर्ट वीडियो मौजूद है. जिसमें उसे गंगा नदी के किनारे पर बैठकर 'दूब' (गांजा) पीते देखा जा सकता है. खैर, दिल्ली में भी श्रद्धा और आफताब का 'सूफियाना' इश्क बढ़ता जा रहा था. लेकिन, श्रद्धा की शादी कर लेने की जिद बीच में आड़े आ गई. जिसका अंजाम 35 टुकड़ों में सबके सामने है.
लेकिन, अब कुछ लोग अपना स्वार्थ साधने के लिए खौफनाक तरीके से हत्या करने वाले आफताब अमीन पूनावाला को हत्यारा और लव जिहादी बताकर कलंकित करने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि, यह गलत है. जिस तरह से उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल की गला रेतकर की गई निर्मम हत्या के लिए लेफ्ट-लिबरल लोगों ने पैगंबर साहब पर की गई कथित टिप्पणी का दोष माना था. उसी तरह ही श्रद्धा की हत्या के मामले में भी आफताब का बचाव किया जा रहा है. लिखी सी बात है कि आफताब ने श्रद्धा को रास्ते से केवल इसलिए हटाया. क्योंकि, वह जबरदस्ती उसके गले पड़ने की कोशिश कर रही थी.
जबकि, आफताब तो श्रद्धा के साथ अपने सूफियाना इश्क को पूरे शातिराना अंदाज में निभा रहा था. जैसा कि लखनऊ में सूफियान ने निधि के साथ निभाया. और, ऐसे ही कई मामलों में निभाया जा चुका है. वो फेमिनिस्ट, समलैंगिकता का समर्थक, फोटोग्राफर, फूड ब्लॉगर, शेफ था. ये तमाम खूबियां बताने के लिए काफी हैं कि आफताब से अच्छा शख्स कोई हो ही नहीं सकता. उसके सामने मजबूरी न होती. तो, वह अब तक एक बेहतरीन प्रेमी की भूमिका को बढ़िया से निभा ही रहा था. अखलाक से लेकर पहलू खान तक मॉब लिंचिंग पर शायद ही किसी को कोई ऐसा हिंदू दिखा होगा. जो इन हत्याओं का समर्थन कर रहा हो. या इन्हें अन्य दर्जनों उदाहरण देकर डिफेंड कर रहा हो. लेकिन, आफताब के सूफियाना इश्क को देख लेफ्ट-लिबरलों और कई दलित चिंतकों का दिल भी पिघल गया है.
श्रद्धा मर्डर केस में लव जिहाद के एंगल को खारिज करने के लिए कुछ बुद्धिजीवी और दलित चिंतकों की इस बात की चिंता ज्यादा नजर आ रहा है कि आफताब मुस्लिम है. वरना उसे पारसी साबित करने की कोशिश क्यों की जाती? इतना ही नहीं, श्रद्धा भी कोली जाति से आने वाली दलित थी. लेकिन, इसे लेकर ये तमाम लोग चुप्पी साधे हुए हैं. हां, अपनी विशेषज्ञ राय तंदूर कांड के दोषी सुशील शर्मा और देहरादून के अनुपमा गुलाटी हत्याकांड को लेकर दे रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि तंदूर कांड और अनुपमा गुलाटी हत्याकांड को अंजाम देने वालों की तरह ही श्रद्धा मर्डर केस को भी न्यायोचित ठहराने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, ये बताना भूल जा रहे हैं कि इन हत्यारों के समर्थन में कौन आया था?
आसान शब्दों में कहें, तो ऐसा दर्शाया जा रहा है कि आफताब ने किया, तो किया. लेकिन, सुशील शर्मा और राजेश गुलाटी ने भी कुछ कम नहीं किया था. वैसे, इनके जैसे लोग ही 2014 के बाद से कई घटनाओं को खुद ही हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक रंग देते रहे हैं. खैर, श्रद्धा वाकर की मौत का कारण बने उसके सूफियाना इश्क को लव जिहाद नहीं कहना चाहिए. क्योंकि, इसकी वजह से लिबरल, बुद्धिजीवी और दलित चिंतकों को दिक्कत हो सकती है. और, इसकी वजह से उन्हें ऐसे पुराने अपराधों को सामान्यतौर पर पेश करना पड़ रहा है.
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