पप्पू यादव को सीता, सनी और सविता ही सबक सिखा सकती हैं
ग्यारह साल की उम्र में कोलकाता से नेपाल के लिए मेरी पहली उड़ान थी, तभी मैंने अपना मन बना लिया था. मैं एक एयर होस्टेस बनूंगी. उड़ना सबसे अच्छे काम की तरह लग रहा था.
-
Total Shares
ग्यारह साल की उम्र में कोलकाता से नेपाल के लिए मेरी पहली उड़ान थी, तभी मैंने अपना मन बना लिया था. मैं एक एयर होस्टेस बनूंगी. उड़ना सबसे अच्छे काम की तरह लग रहा था. जैसी वह दिख रही थी. एकदम परफेक्ट. बहुत पतली. बहुत खूबसूरत पलकें. शॉट स्कर्ट. मोजे. मुस्कान. उसका काम.
इस काम के बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं था. सिर्फ ये बताया गया था कि जो लोग पढ़ाई में अच्छे नहीं होते वो यहां काम कर सकते थे. इस बारे में मुझे मेरी मौसी से ही शुरुआती जानकारी मिली. वे बेहद प्रतिभाशाली और आजाद खयाल थीं. वे प्रोफेसरों और सर्विस क्लॉस वाले हमारे मध्यम वर्गीय शांत परिवार में किसी विद्रोही की तरह थी. नाराज़ रहने वाली.
***
कुछ दिन पहले हमारे कुक की छह वर्षीय बेटी श्रीलेखा ने मुझसे पूछा क्या वह एक एयर होस्टेस बन सकती है. इस बात ने मुझे अपने सपने की याद दिला दी. मैंने मुस्कुराते हुए कहा यह एक सुपर आइडिया था, मुझे लगता है वह हर समय घूमना चाहती थी और ऊपर आसमान में जाना चाहती थी. श्रीलेखा ने अजीब ढंग से मुझे देखा, वो मेरी बात से संतुष्ट नहीं लग रही थी. बाद में उसने कबूल करते हुए बताया कि स्कूल में उसके दोस्त ने इस नौकरी को "गंदा" काम बताया था. उसने बताया था कि उसके दोस्त के पिता ने उसे कहा था कि उनको उल्टी साफ करना पड़ती है. नौकरानी बनना है तुझे? झूठे ट्रे उठाना है...?
***
जैसा कि मैंने बिहार के सांसद पप्पू यादव के बारे में पढ़ा कि उन्होंने पटना-दिल्ली जेट एअरवेज फ्लाइट में कथित तौर पर उड़ान के दौरान एक एयर होस्टेस के साथ दुर्व्यवहार किया. इस वजह से कप्तान को मजबूर होकर राजधानी में लैंडिंग करानी पड़ी. और एंट्री गेट पर सिक्योरिटी गार्ड बुलवाने पड़े. मैं मदद नहीं कर सकती लेकिन मैं हैरान हूं कि हम कुछ प्रोफेशन में मौजूद महिलाओं को लेकर एक गहरा पूर्वाग्रह क्यों पाले हुए हैं?
मैंने एक लाइफ स्टाइल पत्रकार के रूप में वर्षों तक ऐसे सवालों की बौछार का सामना किया है, खासकर पेज 3 पार्टियों को कवर करने और रात को देर से लौटने पर भावी सास-ससुर से भी सुनना पड़ता था.
लकीर के फकीर बने विशिष्ट मानसिकता के लोग सभी महिला पत्रकारों को 'तेज' मानते हैं, कहा जाता है कि इनकी वजह से महिलाओं को विज्ञापनों और मीडिया में आने की प्रेरणा मिलती है. खासकर उनके लिए जो खुलकर धूम्रपान करना और पीना चाहती हैं. उत्तेजक पोशाक पहनना और बिना किसी डर के जवाब देना उनका शगल होता है.
अभिनेत्री अनुष्का शर्मा को भी ऐसा ही रवैया देखने को मिला, जब टीम इंडिया विश्वकप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार कर बाहर हो गई थी. कैसे हर कोई अनुष्का को उनके दोस्त विराट कोहली के लिए बैड लक वाली बता रहा था, उन्हें दोषी ठहरा रहा था.
वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम के जैंडर गैप इंडेक्स में भारत 142 देशों में से 114वें पायदान पर है. आर्थिक भागीदारी और अवसर के मामले में भारत फिसल कर 134वें स्थान पर है. भारत में श्रम शक्ति की भागीदारी में पुरुष के अनुपात में महिलाएं 0.36 हैं. फर्मों के साथ-साथ मालिकाना मामलों में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत सबसे कम है.
***
"उड़ान के दौरान भोजन करते वक्त 1ए [पप्पू की सीट संख्या] ने उसके पांव के पास रखे बैग पर डेजर्ट गिरा दिया और फिर विमान दल से उसे साफ करने के लिए कहा. उन्होंने [पप्पू ने] विमान दल से कहा कि सांसद इस तरह के काम नहीं करते. 1ए ने अपनी चप्पल उठाई और विमान दल को दिखाते हुए कहा कि अगर उन्होंने इस बारे में उनसे कुछ भी कहा तो वे इस चप्पल से दल की पिटाई करेंगे. लैंडिंग के वक्त 1ए ने अपनी सीट को सीधा करने से इनकार कर दिया और दरवाजे खुलने के बाद भी अपनी सीट बेल्ट खोलने में देरी की, 1ए ने मेरे साथ हाथापाई की और विमान से बाहर निकलने के दौरान उन्होंने मुझे एक तरफ धकेल दिया... मैं इस मामले की जानकारी कप्तान को देने के लिए कॉकपिट में गई. मैं रो रही थी और मेरे शारीरिक पर चोट लगी थी." जेट एअरवेज की महिलाकर्मी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में घटना का ऐसा ही जिक्र है.
क्या हमारे पुरुषों को केवल महिलाओं के मां और एक पत्नी या एक रोटी बनाने वाली होने पर ही राहत की सांस मिलती है. पतिव्रता भारतीय नारी जो बच्चे हो जाने के बाद अपना करियर छोड़ देती है. जो शादी के वक्त फेरे लेते हुए अपने पति के पीछे रहती है. जो एक समय में एक जलती हुई चिता के ऊपर बैठती थी.
एक सती. एक पापी. एक अकेली औरत.
***
लगभग सालभर पहले दिल्ली से वड़ौदरा के बीच एक इंडिगो फ्लाइट में 24 से 26 की उम्र के पांच यात्रियों ने चार एयर होस्टेज को कथित तौर पर पीटा था.
इस घटना में एक आरोपी ने अपने और अपने दोस्तों के लिए शराब और मांसाहारी भोजन देने के लिए लिए एयर होस्टेस से कहा था. एयर होस्टेस ने उन्हें बताया कि यह एक लो-कॉस्ट घरेलू उड़ान है, इसमें ऐसा भोजन नहीं दिया जाता. इस पर उन लोगों ने एयर होस्टेस के साथ गाली गलौच शुरू कर दी. जब दूसरी एयर होस्टेस ने आकर इस मामले में दखल दिया और उन यात्रियों से अपनी सीट पर बैठ जाने का अनुरोध किया तो उन पांचों ने उनके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी, और उन पर भद्दे कमेंट करने लगे.
क्या है जो पुरुषों को नौकरी पर आई महिला को पीटने की अलग से हिम्मत देता है? क्या उनके लिए अपनी पंसद का काम चुनना नैतिक तौर पर शर्म की बात है? पुरुषों को हमसे क्या सांस्कृतिक डर है? हमें इस जीवन में कौन सी लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए? हमें कभी कैसी औरत नहीं बनना चाहिए?
सविता भाभी? सनी लियोन? सीता मैय्या ...
हम कब तक डर कर घबराहट में अपने कंधों की तरफ देखना रोक सकते हैं?
जेट एयरवेज के चालक दल ने क्यों इस मामले की शिकायत पुलिस को नहीं की? क्यों एयरलाइन ने एकजुटता दिखाते हुए अपने स्टॉफ के साथ हुई घटना के बाद कोई कार्रवाई नहीं की. क्या यह पप्पू यादव की राजनीतिक ताकत थी; क्या इस वजह से कि उनकी पत्नी भी एक सांसद है?
या फिर हम जीत नहीं सकते हैं...
आकाश में महिलाएं कैसे सुरक्षित हैं? मॉल के गेट पर? दुकान के काउंटरों पर? रसोई में? सिनेमा हॉल में? रेस्तरां में?
जब हम इसका जवाब देना सीख जाएंगे? तब क्या यह यौन उत्पीड़न बंद हो जाएगा?
हर रोज कितनी ही लिंगभेद से जुड़ी कहानियां होती हैं जिनके बारे में हमें नहीं पढ़ना चाहिए...
आपकी राय