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Updated: 04 अक्टूबर, 2019 11:20 AM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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सांपों को लेकर एक बेहद कॉमन बात ये है कि उससे हर कोई डरता है. लोगों की मौत सांप के जहर से कम इनके काटने की दहशत से ज्यादा होती है. और अजगर की तो बात ही अलग है वो तो पूरा का पूरा इंसान ही निगल जाता है. लेकिन इतने डरावने होने के बावजूद भी ये सांप आज इंसानी क्रूरता का शिकार हैं. सांप जैसे जहरीले जीव पर क्रूरता की बात हैरान करती है, लेकिन जो सच तस्वीरें बयां कर रही हैं उन्हें झुठला पाना आसान नहीं है.

इंडोनेशिया के जंगलों में वो अजगर खूब मारे जा रहे हैं जिनकी त्वचा जालीदार है. ऐसा नहीं है कि इन्हें झटके से मार दिया जाता है बल्कि इन्हें धीरे-धीरे, तड़पा-तड़पा कर मारा जाता है.

snakeइंडोनेशिया में सांप की खाल का व्यापार खूब फल फूल रहा है

अजगर पर ऐसी क्रूरता कि इंसानियत शर्मसार हो जाए

पहले लकड़ी के हथौड़े से इनके सिर पर वार किया जाता है. जिससे ये मरे नहीं केवल होश खो दें. इससे इनके जबड़ों को खोलकर उनकी हलक में पाइप डालने में आसानी होती है. फिर इनके शरीर में पानी भरा जाता है और दोनों सिरों को बांध दिया जाता है. तब ये गुब्बारे की तरह फूल जाते हैं. अंदर पानी भरा हो तो खाल खींचना आसान होता है.

अब उनके सिर में हुक फंसाया जाता है और कुछ चीरे लगाए जाते हैं. और फिर उनकी खाल को उनके जीवित शरीर से खींच लिया जाता है. और खाल खींचकर इन सांपों को फेंक दिया जाता है. लेकिन इस हाल में भी सांप जीवित होते हैं.

snakeइस तरह लटकाकर खींची जाती है खाल

किसी जानवर के साथ जब क्रूरता की जाती है तो वो चिल्ला चिल्लाकर रहम की भीख मांगता है. लेकिन सांप के बारे में सोचिए, जिसके साथ इतना सब हो जाए और उसकी आवाज भी न निकले. वो बेजुबान तो चीख भी नहीं सकता. वो बस दर्द सहता है. अजगर की दिल की धड़कनें 12 बीट प्रति मिनट तक रह सकती हैं. जिससे वो काफी देर तक जिंदा रह सकते हैं. लेकिन आखिर कब तक... इतना दर्द सहने के कुछ दिनों बाद वो डीहाइड्रेशन और शॉक से मर जाते हैं.

तो ये है दुनिया के सबसे बड़े सांप के साथ हो रही क्रूरता की कहानी, जिसे देखकर इंसानियत भी शर्मिंदा हो जाए. लेकिन अब वो मकसद भी जान लीजिए जिसके चलते इन सांपों के साथ ये हैवानियत का खेल खेला जा रहा है.

सांपों के साथ होने वाली हैवानियत तो देखिए...

जीवित अजगर को 48 घंटों तक बेपनाह दर्द सहना होता है. क्‍योंकि उसकी जिंदगी इंसानों के लिए मायने नहीं रखती. मायने रखती है तो उसकी खाल पर बनी जालीदार संरचनाएं और डायमंड पैटर्न. जिन्हें बड़े प्यार से साफ किया जाता है और सावधानी से मोड़कर रखा जाता है और भट्टी और खुले में लटकाकर सुखाया जाता है.

snakeसांप की खाल को इस तरह सुखाया जाता है

कितनी कीमती है स्नेक स्किन

आप सोच रहे होंगे कि जिस खाल को पाने के लिए सापों को इतनी यातनाएं दी जाती हैं वो खाल बहुत महंगी बेची जाती होगी. क्योंकि असली खाल से बनी चीजें अच्छी खासी कीमत पर बाजार में मिलती हैं. और अगर किसी डिजायनर ब्रैंड का नाम जुडा हो तो लोग उसे खरीदने के सिर्फ ख्वाब ही देखते हैं. तो आपको ये जानकर बहुत दुख होगा कि सांप की काल को महज 3 पाउंड प्रति किलो के हिसाब से बेच दिया जाता है. यानी सांप की खाल की कीमत 100 रुपए से भी कम है.

snake skin fashionसांप की खाल से बनी चीजें बाजार में खूब खरीदी जाती हैं

सांप की खालों की सबसे महंगी खरीदार है फैशन इंडस्ट्री. जी हां फैशन की दुनिया में जानवरों की खाल से बनी चीजें हमेशा से पसंद की जाती रही हैं. और पायथन स्किन काफी डिमांड में रहती है. अजगर की खाल से बेशकीमती बैग, बेल्ट, जूते, बूट, वॉलेट, पर्स, क्रेडिट कार्ड होल्डर, बेसबॉल कैप जैसी चीजें बनाई जाती हैं और ये सब महंगे दामों पर बिकता है.

snake skin fashionफैशन की दुनिया में स्नेक स्किन एसेसरीज़ की बहुत मांग है

ये जानकर हैरानी होती है कि हथियारों और ड्रग्स के बाद जानवरों के शरीर और खाल का व्यापार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार है. हर साल करीब 5 लाख अजगर की खालें गैरकानूनी रूप से दक्षिण पूर्व एशिया से यूरोप आयात की जाती हैं. वहां चमडे के कारखानों में इन्हें बेचा जाता है जहां इनपर काम किया जाता है. और यहां से ये चमड़ा डिजायनर चीजें बनाने के लिए अच्छी कीमत पर बेच दिया जाता है.

जानवरों की खाल ओढ़ना फैशन जो है!

वो दौर और था जब लोग शिकार करते थे और मारे हुए जानवर की खाल और अवशेष घरों में सजाते थे. सिर्फ पश्चिम ही नहीं भारत में भी रसूख वाले लोग जंगली जानवरों का शिकार करते और अपना रुतबा और शक्ति प्रदर्शन के तौर पर या तो उन्हें घर में सजाते या फिर उसका सामान बनवा लेते थे. दौर बदला अब शिकार पर तो बैन है लेकिन जानवरों की खाल के माध्यम से रुतबा दिखाने के इंसानी शौक पर बैन नहीं लग पाया. पहले शिकार होता था, अब फैशन होता है.

snake skin fashionफैशन के नाम पर जानवरों की खाल पहनने में भला कैसा आनंद

हैरत होती है कि एक तरफ लोग शाकाहार और वीगनिज्म की तरफ रुख कर रहे हैं, वहीं ऐसे भी लोगों की कमी नहीं है जिन्हें जीने के लिए लग्जरी स्नेक स्किन एसेसरी चाहिए. फैशन पसंद लोग अपने हाथ में अजगर लटकाकर चलना पसंद नहीं करेंगे लेकिन अजगर की खाल से बना बैग किसी भी कीमत पर खरीदेंगे. किसी जीव की खाल से बने कपड़े पहनना और सामान इस्तेमाल करने की ये सोच ही घटिया है.

जानवरों के हितों के लिए काम करने वाले कुछ लोगों की बदौलत बहुत से फैशन हाउस असली खाल का इस्तेमाल बंद कर प्रिंट पर काम कर रहे हैं, जिससे जानवरों को नुकसान न पहुंचे. लेकिन चमड़ा जिसे इसकी मजबूती के लिए हमेशा से पसंद किया जाता है, वो कारोबार तो कानूनन चलता रहेगा. लेकिन जब हम सांपों पर हो रही क्रूरता को देखते हैं तो पाते हैं कि इन फैशन एसेसरीज़ की खूबसूरती और मजबूती के पीछे कुछ बेजुबानों की चीखें दबी होती हैं जिन्हें हम सुन नहीं पाते, और नजरअंदाज कर देते हैं. कभी-कभी हैरत होती है कि इंसान इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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