सांप डरावने हैं, लेकिन उन्हें पहनने का फैशन तो निकृष्ट है
इंसान को पूरा निगल जाने वाले अजगर आज इंसानी क्रूरता का शिकार हैं. सांप जैसे जहरीले जीव पर क्रूरता की बात हैरान करती है, लेकिन जो सच तस्वीरें बयां कर रही हैं उन्हें झुठला पाना आसान नहीं है.
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सांपों को लेकर एक बेहद कॉमन बात ये है कि उससे हर कोई डरता है. लोगों की मौत सांप के जहर से कम इनके काटने की दहशत से ज्यादा होती है. और अजगर की तो बात ही अलग है वो तो पूरा का पूरा इंसान ही निगल जाता है. लेकिन इतने डरावने होने के बावजूद भी ये सांप आज इंसानी क्रूरता का शिकार हैं. सांप जैसे जहरीले जीव पर क्रूरता की बात हैरान करती है, लेकिन जो सच तस्वीरें बयां कर रही हैं उन्हें झुठला पाना आसान नहीं है.
इंडोनेशिया के जंगलों में वो अजगर खूब मारे जा रहे हैं जिनकी त्वचा जालीदार है. ऐसा नहीं है कि इन्हें झटके से मार दिया जाता है बल्कि इन्हें धीरे-धीरे, तड़पा-तड़पा कर मारा जाता है.
इंडोनेशिया में सांप की खाल का व्यापार खूब फल फूल रहा है
अजगर पर ऐसी क्रूरता कि इंसानियत शर्मसार हो जाए
पहले लकड़ी के हथौड़े से इनके सिर पर वार किया जाता है. जिससे ये मरे नहीं केवल होश खो दें. इससे इनके जबड़ों को खोलकर उनकी हलक में पाइप डालने में आसानी होती है. फिर इनके शरीर में पानी भरा जाता है और दोनों सिरों को बांध दिया जाता है. तब ये गुब्बारे की तरह फूल जाते हैं. अंदर पानी भरा हो तो खाल खींचना आसान होता है.
अब उनके सिर में हुक फंसाया जाता है और कुछ चीरे लगाए जाते हैं. और फिर उनकी खाल को उनके जीवित शरीर से खींच लिया जाता है. और खाल खींचकर इन सांपों को फेंक दिया जाता है. लेकिन इस हाल में भी सांप जीवित होते हैं.
इस तरह लटकाकर खींची जाती है खाल
किसी जानवर के साथ जब क्रूरता की जाती है तो वो चिल्ला चिल्लाकर रहम की भीख मांगता है. लेकिन सांप के बारे में सोचिए, जिसके साथ इतना सब हो जाए और उसकी आवाज भी न निकले. वो बेजुबान तो चीख भी नहीं सकता. वो बस दर्द सहता है. अजगर की दिल की धड़कनें 12 बीट प्रति मिनट तक रह सकती हैं. जिससे वो काफी देर तक जिंदा रह सकते हैं. लेकिन आखिर कब तक... इतना दर्द सहने के कुछ दिनों बाद वो डीहाइड्रेशन और शॉक से मर जाते हैं.
तो ये है दुनिया के सबसे बड़े सांप के साथ हो रही क्रूरता की कहानी, जिसे देखकर इंसानियत भी शर्मिंदा हो जाए. लेकिन अब वो मकसद भी जान लीजिए जिसके चलते इन सांपों के साथ ये हैवानियत का खेल खेला जा रहा है.
सांपों के साथ होने वाली हैवानियत तो देखिए...
जीवित अजगर को 48 घंटों तक बेपनाह दर्द सहना होता है. क्योंकि उसकी जिंदगी इंसानों के लिए मायने नहीं रखती. मायने रखती है तो उसकी खाल पर बनी जालीदार संरचनाएं और डायमंड पैटर्न. जिन्हें बड़े प्यार से साफ किया जाता है और सावधानी से मोड़कर रखा जाता है और भट्टी और खुले में लटकाकर सुखाया जाता है.
सांप की खाल को इस तरह सुखाया जाता है
कितनी कीमती है स्नेक स्किन
आप सोच रहे होंगे कि जिस खाल को पाने के लिए सापों को इतनी यातनाएं दी जाती हैं वो खाल बहुत महंगी बेची जाती होगी. क्योंकि असली खाल से बनी चीजें अच्छी खासी कीमत पर बाजार में मिलती हैं. और अगर किसी डिजायनर ब्रैंड का नाम जुडा हो तो लोग उसे खरीदने के सिर्फ ख्वाब ही देखते हैं. तो आपको ये जानकर बहुत दुख होगा कि सांप की काल को महज 3 पाउंड प्रति किलो के हिसाब से बेच दिया जाता है. यानी सांप की खाल की कीमत 100 रुपए से भी कम है.
सांप की खाल से बनी चीजें बाजार में खूब खरीदी जाती हैं
सांप की खालों की सबसे महंगी खरीदार है फैशन इंडस्ट्री. जी हां फैशन की दुनिया में जानवरों की खाल से बनी चीजें हमेशा से पसंद की जाती रही हैं. और पायथन स्किन काफी डिमांड में रहती है. अजगर की खाल से बेशकीमती बैग, बेल्ट, जूते, बूट, वॉलेट, पर्स, क्रेडिट कार्ड होल्डर, बेसबॉल कैप जैसी चीजें बनाई जाती हैं और ये सब महंगे दामों पर बिकता है.
फैशन की दुनिया में स्नेक स्किन एसेसरीज़ की बहुत मांग है
ये जानकर हैरानी होती है कि हथियारों और ड्रग्स के बाद जानवरों के शरीर और खाल का व्यापार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार है. हर साल करीब 5 लाख अजगर की खालें गैरकानूनी रूप से दक्षिण पूर्व एशिया से यूरोप आयात की जाती हैं. वहां चमडे के कारखानों में इन्हें बेचा जाता है जहां इनपर काम किया जाता है. और यहां से ये चमड़ा डिजायनर चीजें बनाने के लिए अच्छी कीमत पर बेच दिया जाता है.
जानवरों की खाल ओढ़ना फैशन जो है!
वो दौर और था जब लोग शिकार करते थे और मारे हुए जानवर की खाल और अवशेष घरों में सजाते थे. सिर्फ पश्चिम ही नहीं भारत में भी रसूख वाले लोग जंगली जानवरों का शिकार करते और अपना रुतबा और शक्ति प्रदर्शन के तौर पर या तो उन्हें घर में सजाते या फिर उसका सामान बनवा लेते थे. दौर बदला अब शिकार पर तो बैन है लेकिन जानवरों की खाल के माध्यम से रुतबा दिखाने के इंसानी शौक पर बैन नहीं लग पाया. पहले शिकार होता था, अब फैशन होता है.
फैशन के नाम पर जानवरों की खाल पहनने में भला कैसा आनंद
हैरत होती है कि एक तरफ लोग शाकाहार और वीगनिज्म की तरफ रुख कर रहे हैं, वहीं ऐसे भी लोगों की कमी नहीं है जिन्हें जीने के लिए लग्जरी स्नेक स्किन एसेसरी चाहिए. फैशन पसंद लोग अपने हाथ में अजगर लटकाकर चलना पसंद नहीं करेंगे लेकिन अजगर की खाल से बना बैग किसी भी कीमत पर खरीदेंगे. किसी जीव की खाल से बने कपड़े पहनना और सामान इस्तेमाल करने की ये सोच ही घटिया है.
जानवरों के हितों के लिए काम करने वाले कुछ लोगों की बदौलत बहुत से फैशन हाउस असली खाल का इस्तेमाल बंद कर प्रिंट पर काम कर रहे हैं, जिससे जानवरों को नुकसान न पहुंचे. लेकिन चमड़ा जिसे इसकी मजबूती के लिए हमेशा से पसंद किया जाता है, वो कारोबार तो कानूनन चलता रहेगा. लेकिन जब हम सांपों पर हो रही क्रूरता को देखते हैं तो पाते हैं कि इन फैशन एसेसरीज़ की खूबसूरती और मजबूती के पीछे कुछ बेजुबानों की चीखें दबी होती हैं जिन्हें हम सुन नहीं पाते, और नजरअंदाज कर देते हैं. कभी-कभी हैरत होती है कि इंसान इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है.
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