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Updated: 28 अक्टूबर, 2018 03:45 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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करवाचौथ आते ही सुहागिन महिलाओं के चेहरे पर एक अलग ही रौनक आ जाती है. अपने पति की लंबी उम्र के लिए वह पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं और चांद देखने के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं. जहां एक ओर करवाचौथ का त्योहार अधिकतर सुहागिनों को खुशी से सराबोर कर देता है, वहीं दूसरी ओर बहुत सी सुहागिनों के जख्मों को हरा करने का भी काम करता है. यहां बात की जा रही है उन महिलाओं की, जिन्होंने शादी तो की, लेकिन उन्हें सुहाग का सुख और साथ नहीं मिला. ये वो महिलाएं हैं, जिन्होंने एनआरआई लोगों से शादी की और उनके पति उन्हें छोड़कर वापस विदेश भाग चुके हैं. इन्हीं में से एक महिला हैं अमृतसर के इस्लामाबाद नगर में रहने वाली शोभा, जो करवाचौथ के दिन अपने पति की लंबी उम्र नहीं, बल्कि उसकी मौत की दुआ करती है.

करवाचौथ, पंजाब, व्रत, अमृतसरबहुत सी महिलाओं के एनआरआई पति उनसे शादी करने के बाद विदेश भाग चुके हैं.

पति के लिए मौत क्यों मांग रही हैं ये सुहागिनें?

यूं तो पूरे देश में ऐसी बहुत सारी सुहागिनें हैं, जिन्हें छोड़कर उनके एनआरआई पति भाग चुके हैं, लेकिन पंजाब में इनकी तादाद सबसे अधिक है. इन्हीं में से एक हैं शोभा हैं, जो अमृतसर के इस्लामाबाद नगर में रहती हैं. करवाचौथ को लेकर वह कहती हैं- कैसा करवा चौथ? ऐसे पति को गोली मार देनी चाहिए, फांसी पर लटका देना चाहिए, जो शादी कर के धोखा दे दे और विदेश भाग जाए. 2002 में शोभा की शादी 27 फरवरी 2002 को इलाके के ही रहने वाले एक शख्स बल्देव के साले मुकेश से हुई थी. शादी के बाद पति मलेशिया चला गया. जब शोभा भी 4 जुलाई 2002 को वहां पहुंची तो पता चला कि मुकेश पहले से ही शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं. ऐतराज करने पर मुकेश ने शोभा का पासपोर्ट छीन लिया और घर से निकाल दिया. जैसे-तैसे वह विदेश मंत्रालय की मदद से भारत वापस आई, लेकिन अभी तक भारत की पुलिस मुकेश का बाल भी बांका नहीं कर सकी. शोभा की बात इसलिए की गई, क्योंकि 27 तारीख को ही उनकी शादी हुई थी और इस बार करवा चौथ भी 27 तारीख को पड़ा था. हालांकि, महीना जरूर अलग था. ऐसे हालात में ही बहुत सी महिलाएं हैं, जो पति के लिए लंबी उम्र नहीं, बल्कि मौत मांगती हैं.

ऐसी 30,000 महिलाएं हैं पंजाब में

पंजाब सरकार के एनआरआई विंग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार ऐसी महिलाओं की संख्या करीब 30 हजार तक पहुंच चुकी है, जिनके एनआरआई पति उन्हें धोखा देकर विदेश में बसे हुए हैं. दिल्ली सुख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके और महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने ऐसे भगोड़े दूल्हों को वापस लाने की मुहिम भी शुरू कर दी है. इसी के तहत शादी के नियम भी सख्त करने के सुझाव दिए जा रहे हैं. गुरुद्वारों में होना वाली शादी (आनंद कारज) में गुरुद्वारा प्रबंधकों से अपील की गई है कि वह पहले एनआरआई दूल्हों के बारे में पूरी वेरिफिकेशन कर लें, उसके बाद ही शादी करवाएं.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ पंजाब की ही महिलाओं के साथ ऐसा हो रहा है. देश भर से ऐसी शिकायतें आती हैं. महिला आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 9 सालों में करीब 3500 शिकायतें आई हैं, जिनमें से 355 सिर्फ पंजाब से ही हैं. महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा कहती हैं कि ऐसे पतियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.

जख्मों पर नमक छिड़कता है समाज

सोशल मीडिया पर एनआरआई लोगों द्वारा शादी कर के छोड़ दी गई महिलाओं के लिए 'हनीमून ब्राइड' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. एनआरआई पति से पीड़ित एक महिला सतविंदर कौर कहती हैं कि महिलाएं कोई इस्तेमाल करने वाली चीज नहीं होती हैं और जो समाज महिलाओं के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेाल कर रहा है वह एक घटिया नजरिए से अधिक कुछ नहीं. इन सुहागिनों को पहले तो अपने पति से धोखा मिला और अब समाज भी हर दिन सिर्फ उनके जख्मों पर नमक छिड़क रहा है.

ये तो वो मामले हैं, जो सामने आ जाते हैं. बहुत सी महिलाएं तो अपने ऊपर हुए जुल्मों की शिकायत भी नहीं करतीं. बहुत से महिलाएं ऐसी होती हैं, जिनके साथ कितना भी बुरा हो जाए, लेकिन वह अपने पति को भगवान का ही दर्जा देती हैं. महिला आयोग के पास आई शिकायतें बेहद कम होने की सबसे बड़ी वजह यही है. लेकिन अगर महिलाएं शिकायत नहीं कर रहीं, इसका ये बिल्कुल मतलब नहीं है कि वह दुखी नहीं हैं. पिछले ही साल एक मामला सामने आया था, जिसमें महिला के एनआरआई पति ने करवाचौथ के दिन उसका फोन नहीं उठाया तो उसने सुसाइड कर लिया. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से ऐसे मामलों में दखल देने की अपील भी की गई है. सरकार की ओर से ऐसी महिलाओं की मदद के लिए एक टोल फ्री नंबर 0172-2971918 भी जारी किया जा चुका है. सुषमा स्वराज ने तो ऐसे पतियों को समन भेजने और उनके खिलाफ वारंट तक जारी करने शुरू कर दिए हैं. बहुत से लोगों के तो पासपोर्ट तक खारिज किए जा चुके हैं. महिलाओं के साथ कोई धोखा ना हो, इसलिए शादी-ब्याह से पहले पूरा वेरिफिकेशन जरूरी किया जाना चाहिए, क्योंकि दो देशों के अलग-अलग कानून की वजह से बाद में भगोड़े दूल्हों को वापस लाना बहुत ही मुश्किल भरा काम हो जाता है.

खैैैैर, हमने बात शुरू की थी उन महिलाआेें के बारे में जो अपने भगाेेेड़े पति की वजह से समाज में दुख झेलने को मजबूर हैं. लेकिन ये समाज की भी जिम्‍मेदारी है कि वे ऐसी महिलाओं को इंसाफ दिलाने में मदद करे. करवा चौथ के त्‍योहार पर उनके संघर्ष को सलाम करे. और उनके साथ खड़ा रहे.

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