कुत्तों के झुंड ने 4 साल के बच्चे को नोंच-नोंच कर मार डाला, अब क्या कहें?
सीसीटीवी में देखा जा सकता है कि बच्चा पैदल चलकर कहीं जा रहा था. तभी अचानक उस पर तीन कुत्ते हमला बोल देते हैं. बच्चा घबराकर भागने की कोशिश करता है मगर कुत्ते उसे जमीन पर गिरा देते हैं. वह बचने की कोशिश करता है मगर कुत्ते घसीटकर उसे थोड़ी दूर ले जाते हैं. उसे नोंचते हैं, काटते हैं और उसका पेट तक फाड़ देते हैं.
-
Total Shares
कुत्तों ने बच्चे को काटा (Dog Bite) तो कुछ लोगों ने हमला कुत्ते प्रेमियों पर कर दिया है. असल में हैदराबाद के निजामाबाद से दिल को दहला देने वाली घटना समाने आई है. यहां ऑटोमोबाइल वर्कशॉप के बाहर एक 4 साल के बच्चे को कुत्तों के झुंड ने नोंच कर मार डाला. यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है.
सीसीटीवी में देखा जा सकता है कि बच्चा पैदल चलकर कहीं जा रहा था. तभी अचानक उस पर तीन कुत्ते हमला बोल देते हैं. बच्चा घबराकर भागने की कोशिश करता है मगर कुत्ते उसे जमीन पर गिरा देते हैं. वह बचने की कोशिश करता है मगर कुत्ते घसीटकर उसे थोड़ी दूर ले जाते हैं. उसे नोंचते हैं, काटते हैं और उसका पेट तक फाड़ देते हैं.
बच्चे के पिता गंगाधर गार्ड की नौकरी करते हैं. वे थोड़ी दूर पर अपनी ड्यूटी पर तैनात थे. जब उन्होंने बच्चे की रोने की आवाज सुनी तो भागे-भागे आए औऱ बच्चे को कुत्तों की पकड़ से छुड़ाया. अफसोस कि तब तक देर हो चुकी थी. बच्चा खून से लथपथ था. बच्चे को लेकर पिता अस्पताल भागे मगर वहां पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई.
एक 4 साल के बच्चे को कुत्तों के झुंड ने नोंच कर मार डाला
असल में घटना वाले दिन पिता अपने दोनों बच्चों को ड्यूटी पर साथ लेकर आए थे. उन्हें क्या पता था कि ऐसा कुछ हो जाएगा. इस खबर के लिखते हुए मन सिहर जा रहा है. सोचिए बच्चे का माता-पिता के दिल पर क्या बीत रही होगी? उस बच्चे के ऊपर क्या बीती होगी?
वहीं कुछ लोग इस घटना का वीडियो शेयर कर अधिकारियों पर गुस्सा उतार रहे हैं. कई लोग उन लोगों को भी घेर रहे हैं जो स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाने का काम करते हैं. फेसबुक पर रंगनाथ सिंह लिखते हैं कि "वह दिन दूर नहीं जब कुत्ता प्रेमियों को लोग घेरकर पीटेंगे क्योंकि कुत्ता प्रेमी मानकर चलते हैं कि उनका काम है कुत्तों को रोटी खिलाना और अगर उनका कुत्ता किसी और को काट ले तो यह सामने वाले की जिम्मेदारी है".
गौरव ने लिखा है कि "प्रेम सिर्फ स्ट्रीट डॉग तक ही सीमित है, मुर्गा और बकरा पर भी हमदर्दी होना चाहिए". तो सवाल यह है कि क्या कुत्तों को खाना देना बंद कर देना चाहिए? क्या ऐसा करने से ऐसी घटनाएं होनी बंद हो जाएंगी? आखिर इस घटना का दोषी कौन है? किससे सवाल किए जाएं?
वैसे पहले के समय में औऱ आज के समय में काफी अंतर देखने को मिला है. पहले घरों में दो रोटी अधिक बनाई जाती है. जिसमें एक रोटी गाय माता को और एक रोटी कुत्ते के लिए बनाई जाती थी. सबसे पहली रोटी को कोई खाता नहीं था. अब तो लोग गिनकर पूछकर रोटी बनाते हैं, कितनी रोटी खाओगे?
बदलते समय के साथ घर में दो रोटी अधिक बनाने की प्रक्रिया बंद हो गई. अब अगर रोटी बच गई तो लोग कुत्तों के सामने डाल देते हैं. कुत्तों के रोज खाना नहीं मिल पाता है. जो लोग खाना देते हैं वे भी नियमित रूप से नहीं देते हैं. कई जगहों पर बचा हुआ मांस, हड्डी भी कुत्तों के सामने डाली जाती है. उन्हें हड्डी खाने की आदत लग जाती है. जब नहीं मिलती तो शायद वे हिंसक हो जाते हैं. वहीं खुद को कुत्ता प्रेमी कहने वाले कई लोग कुछ बिस्किट उनके सामने डालकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. सड़कों पर घूमने वालों कुत्ते की जिम्मेदारी कोई लेता नहीं है.
कुत्ते को हमने आवारा कह दिया. आवारा तो वे नेचर से ही हैं. उनका कोई घर नहीं होता. वे सड़क पर पैदा होते हैं. उनका परिवार भी सड़क पर ही रहता है. आवारा इंसान हो सकता है कुत्ते नहीं. असल में कुत्ते शुरु से ही ऐसे ही नेचर के होते हैं. आपके पास आएंगे, पूंछ हिलाकर आपसे खाना मांगेगे. अगर आप उन्हें देखते ही किनारा करेंगे, भागेंगे तो वे फिर आपके पीछे पड़ जाएंगे. उन्हें लगेगा कि आप उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसलिए वे आप पर भोकेंगे, आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे.
अधिकतर ऐसे मामले देखने को मिलते हैं कि किसी बाहरी व्यक्ति को देखकर कुत्ते भोंकने लगते हैं. कहा भी जाता है कि वे किसी इंसान की सुंगध सूंघ लेते हैं. सोसाइटी में जैसे ही कोई बाहर वाला व्यक्ति आता है वे पहचान लेते हैं. किसी गरीब के बच्चे को देखकर वे काटने दौड़ते हैं. कामवाली बाई को देखकर उसके पीछे पड़ जाते हैं. ये सब मैं आंखों देखा लिख रही हूं. कहने का मतलब यह है कि कुत्ते का नेचर ही ऐसा है.
बात यह है कि कुत्तों के काटने पर जितनी भी बहस कर ली जाए कम है मगर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कुत्तों के काटने का कारण आज एक मासूम को अपनी जान गंवानी पड़ी. वह भी जो निर्दोष था. भला 4 साल का बच्चा कुत्तों का नुकसान कैसे पहुंचा सकता है? उसके माता-पिता किसे दोषी दें? किसे क्या कहें? उनका तो बेटा चला गया.
दरअसल, देश में इस तरह के हर रोज साढ़े चार हजार से ज्यादा घटनाएं होती हैं. 26, 2022 जुलाई को लोकसभा में सरकार ने आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं से जुड़े आंकड़े दिए थे. जिसके अनुसार, देश में साल 2019 में आवारा कुत्तों के काटने की 72.77 लाख घटनाएं हुई थीं. 2020 में ये कम होकर 46.33 लाख हो गईं. 2021 में तो ये 17 लाख के आसपास आ गईं, लेकिन इस साल जुलाई तक 14.50 लाख घटनाएं हो चुकी हैं. यही ट्रेंड रहा तो आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं 20 लाख के ऊपर जा सकती हैं.
अब आप बताइए कि आवारा कहे जाने वालों इन कुत्तों के साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहिए? क्या इनका दाना-पानी बंद करने से ये सही हो जाएंगे? क्या गलती उनकी है जो इन्हें खाना देते हैं? या फिर आसपास वे लोग जो देखने के बाद भी बच्चे को बचाने नहीं आए? ऐसा कैसे हो सकता है कि कुत्तों के भोंकने की या बच्चों के रोने कि आवाज किसी ने नहीं सुनी, मगर किसा ने बाहर निकलकर झांकना मुनासिब नहीं समझा होगा. या फिर वे अधिकारी जो अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं? या वे जो अपने घर के आस-पास के कुत्ते को खाना नहीं देते हैं? आखिर इस मसले पर आपकी राय क्या है?
इस घटना का वीडियो कमजोर दिलवाले ना देखें-
हैदराबाद में दिल दहला देने वाली घटना, 4 साल के बच्चे को कुत्तों के झुंड ने नोंच-नोंच कर मार डाला| Disturbing Visuals pic.twitter.com/tx4q3FHy2y
— Shubhankar Mishra (@shubhankrmishra) February 21, 2023
आपकी राय