हर 40 सेकेंड में एक सुसाइड, इन 7 तरीकों से बचाएं जान
आत्महत्याओं का सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन है. इस समय परिवार के सदस्य और दोस्त सबसे ज्यादा मददगार हो सकते हैं. बस उन्हें पता होना चाहिए कि डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार करें.
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आज के समय में सुसाइड एक सीरियस मुद्दा है. और चिंता की बात ये है कि इसका शिकार कोई भी हो सकता है. हो सकता है कि सुबह जिस इंसान के साथ आपने हंसी के ठहाके लगाए थे, शाम को खबर मिले की उसने सुसाइड कर लिया. अमेरिकन फाउंडेशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशन के अनुसार अमेरिका में सुसाइड से होने वाली मौतों का दसवां नंबर है. इसके अनुसार देश में हर साल लगभग 44,000 लोग अपनी जान ले लेते हैं.
अमेरिका में हर 12 मिनट पर सुसाइड से एक जीवन समाप्त हो जाता है. और अगर वैश्विक आंकड़ों की बात करें तो ये फीगर और डरावना है. वैश्विक स्तर पर हर 40 सेकेंड में सुसाइड से एक मौत होती है. इसकी ज़द में कोई भी आ सकता है- युवा या बुजुर्ग, अमीर या गरीब, कोई भी.
हर 40 सेकेंड में एक इंसान आत्महत्या कर लेता है
आत्महत्याओं का सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन है. इस समय परिवार के सदस्य और दोस्त सबसे ज्यादा मददगार हो सकते हैं. बस उन्हें पता होना चाहिए कि डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार करें.
1- उन्हें भरोसा दिलाएं कि आप उनके साथ हैं:
डिप्रशन से ग्रसित इंसान ये सोचता है कि लोग उसे समझते नहीं हैं. उन्हें हमेशा ये लगता रहता है कि सामने वाला उनके दर्द को, उनके कष्ट को नहीं समझता. नतीजतन वो इस दुख से मुक्ति पाने के लिए सुसाइड का रास्ता अख्तियार करते हैं. इस समय जरुरत बस इतनी होती है कि आप उन्हें ये भरोसा दिलाएं कि आपको उनकी चिंता है और आप उनकी बातों को सुनने के लिए ही उनके पास हैं. उन्हें समझने के लिए उनके पास हैं. उनका साथ देने के लिए उनके पास हैं.
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2- उन्हें एक थेरेपिस्ट के पास ले जाएं:
अगर इसके बाद भी वो परेशान हैं तो उन्हें किसी थेरेपिस्ट पर ले जाएं. इन्हें पता होता है कि डिप्रेस्ड लोगों और सुसाइडल टेंडेंसी से ग्रसित लोगों का उपचार कैसे करें. ये पीड़ित को प्रोफेशनल तरीके से हैंडल करते हैं और जरुरी हो तो फिर दवाई भी देते हैं.
डॉक्टर की मदद लेनी जरुरी है
3- उनके साथ घूमें फिरें:
थेरेपिस्ट जरुरी तो है लेकिन परिवार और दोस्तों की जगह वो भी नहीं ले सकता. इसलिए पीड़ित के साथ समय बिताएं. उसके साथ घूमने जाएं. मस्ती मजा करें. खूब बातें करें. दिल खोलकर हंसे. आसान शब्दों में कहें तो उन्हें ये फील कराएं कि इस दुनिया में वो अकेले नहीं हैं.
4- उन्हें एहसास कराएं कि वो अकेले नहीं हैं:
अपनी छोटी छोटी बातों में उन्हें जाहिर करें कि आपको उनकी चिंता है और आप उनका ख्याल करते हैं. जैसे कि उनके खाने की कोई मनपसंद चीज ले आएं. या उनके पसंद की फिल्म की टिकट बुक करा लें. समय समय पर उनसे बात करने के अलावा स्पेशल मौकों पर उन्हें फोन करना, उनसे बात करना न भूलें. इस तरीके से पीड़ित व्यक्ति को लगेगा कि लोग उसकी चिंता करते हैं फिर चाहे उनकी स्थिति अभी जो भी हो.
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5- उनके आगे बढ़कर आने का इंतजार न करें:
अपने दोस्त का कोई असामान्य सा फेसबुक पोस्ट, व्हाट्सएप मैसेज कुछ देखा? तो देर न करें. तुरंत उससे बात करें. हो सकें तो मिलने चले जाएं. उन्हें ये भरोसा दिलाएं कि उनकी बात सुनने, उनका साथ देने के लिए आप हैं. अगर उन्हें कोई दिक्कत है तो वो आपसे शेयर करें इस बात का भरोसा दिलाएं. साथ ही अगर कोई और दोस्त भी हों जो उनकी मदद कर सकता है तो उन्हें भी साथ लें.
6- उनसे सहानुभूति रखें पर कभी उनकी भावनाओं को कमतर न आंकें:
किसी को ये कहना कि 'मुझे पता है तुम क्या कहना चाहते/चाहती हो' बहुत ही आसान है. लेकिन असलियत में हमें पता ही नहीं होता कि वो कहना क्या चाहते हैं. इसलिए ये वाक्य या ऐसे किसी और वाक्य का इस्तेमाल करके आप उनकी मदद नहीं कर रहे बल्कि उनकी हताशा को और बढ़ा रहे होते हैं. उनकी बात धैर्य से सुनें. उनकी परिस्थिती को समझने की कोशिश करें.
7- कहें कि आप नहीं चाहते कि वो मर जाए:
ये भी एक अच्छी बात है अगर आप उन्हें कहते हैं कि आप नहीं चाहते कि वो मर जाएं. इस गलतफहमी में न रहें कि ये बात तो उन्हें बता ही है. ये जाहिर सी बात है कि आप नहीं चाहते हैं कि वो मर जाए. ये बात उन्हें पर्सनली बोलने से उनके मनोविज्ञान पर पॉजिटिव असर होगा. उन्हें एहसास होगा कि उनके मरने से कोई तो है जिसे दुख होगा. जिसे फर्क पड़ेगा.
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