वह सुजैट जॉर्डन थीं, केवल पार्क स्ट्रीट रेप केस की पीडिता नहीं
मेरे फोन के 2191 नम्बरों में एक सुजैट जॉर्डन का भी था जो मैंने कभी कभार ही मिलाया होगा. आखिरी बार मैने उन्हें तब कॉल किया था जब जिंजर रेस्तरां में एंट्री न मिलने को लेकर उसकी एक पोस्ट वायरल हो गई थी.
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मेरे फोन के 2191 नम्बरों में एक सुजैट जॉर्डन का भी था जो मैंने कभी कभार ही मिलाया होगा. आखिरी बार मैने उन्हें तब कॉल किया था जब जिंजर रेस्तरां में एंट्री न मिलने को लेकर उसकी एक पोस्ट वायरल हो गई थी. तब मैंने उससे बात करने की कोशिश की पर बात नहीं हो पाई थी. जब विवाद थम गया तो मुझे भी लगा कि उसकी बात लोगों तक पहुंच गई होगी. पिछले साल मैंने उसे कहीं जाते हुए देखा था. मैं परिक्रमा खत्म करके निकल रही थी. वह मुझे पहचानती भी नहीं थी और शायद जानना भी नहीं चाहती थी. लेकिन मैने उनसे बात की और कहा कि हमें तुम पर गर्व है. यह कहने के लिए आसान था. लेकिन उनके लिए उसी इलाके के पब में जाना जहां उनके साथ रेप हुआ था और वो भी रात को नौ बजे के बाद जब वो इलाका सुरक्षित नहीं माना जाता, बड़े हौसले की बात थी. और सुजैट में ये हौसला बहुत था.
कुछ समय पहले हम इंडिया टुडे के 'चर्चित लोग 2013 संस्करण' के लिए पार्क स्ट्रीट पर उनके साथ फोटो शूट करना चाहते थे कि लेकिन उन्होंने रूचि नहीं दिखाई. वह सुजैट जॉर्डन के तौर पर अपनी पहचान के साथ इसलिए बाहर आई थी क्योंकि वो पार्क स्ट्रीट रेप कांड की पीडिता के तौर पर गुमनाम नहीं होना चाहती थी. जब हमने उनसे सम्पर्क किया तो उन्होंने इसे बहुत दुखदाई बताया. फिर भी उन्होंने हमारे लिए ये शूट किया. वे यातायात के बीच लाइट्स के सामने खड़ी रहीं. उनकी दो बेटियां भी वहां फुटपाथ पर मौजूद थीं. उन्होंने अपनी मां को वहां किसी पेशेवर से ज्यादा बेहतर तरीके से शूट करते देखा.
सुजैट अपनी बेटियों के मामले में बहुत साहसी नहीं थीं लेकिन उनकी बेटियों को वीरता अपनी मां से विरासत में मिली थी. उन्होंने गर्व के साथ बताया था कि "मेरी छोटी बेटी जब स्कूल से लौट रही थी तो उसने एक आदमी को अपने बैग से मारा क्योंकि वह उसके साथ कुछ करने की फिराक में था. उसके लिए चिंतित थी. मैने उसे किसी से ऐसे भिड़ने के लिए मना किया. लेकिन वे दोनों मुझसे ज्यादा साहसी हैं."
जब वह अदालत में पूछे जाने वाले सवालों का सामना करती थीं तो उस हालात में वे और ज्यादा मजबूत हो जाना चाहती थी. वह चाहती थी कि बलात्कार पीडितों को शर्म नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि "जब मैने सुना कि मुम्बई की रेप पीड़ित पत्रकार चेहरा छिपाने के बजाय सामने आई है तो मैं उस वक्त खुशी से चीखना चाहती थी." लेकिन शायद उसके लिए यही करने के लिए भी किसी और की जरूरत है.
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