मोलेस्टर को तो लड़की चाहिए, साधारण हो या हिरोइन फर्क नहीं पड़ता
अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने खुलासा किया कि 2015 में रिलीज हुई 'प्रेम रतन धन पायो' की शूटिंग के समय सलमान खान और उनके बॉडीगार्ड की मौजूदगी के बावजूद छेड़छाड़ की गई थी.
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हमारे देश में हर लड़की अपने जीवन में कभी ना कभी शोषण और छेड़छाड़ की शिकार जरूर होती है. 14-15 वर्ष की उम्र तक आते-आते हर लड़की को शोषण के तरीकों की सारी जानकारी हो जाती है.
छेड़छाड़ और घिनौनी हरकत करने वालों के लिए सिर्फ एक चीज जरूरी होती है वो है लड़की. फिर चाहे वो दो साल की बच्ची हो, कोई महिला, कोई सेलिब्रटी या फिर 80 साल की बूढ़ी औरत. इन राक्षसों के हाथ जो भी लग जाए सब अच्छा होता है. इसकी बानगी है दो घटनाएं जिसमें एक मशहूर टीवी एक्ट्रेस और एक मशहूर फिल्म हिरोइन ने अपने साथ हुए छेड़छाड़ की घटना का खुलासा किया है.
स्वरा को भी मोलेस्ट किया गया था
अभी हाल ही में बेंगलुरू में एक टीवी एक्ट्रेस का मामला सामने आया है. ये अभिनेत्री देर रात टैक्सी लेकर अपने घर जा रही थी. सुनसान रास्ते पर टैक्सी ड्राइवर और उसका एक दोस्त, अभिनेत्री के साथ बदतमीजी करने लगे. अभिनेत्री किसी तरह जान बचाकर भागने में सफल रही फिर पुलिस स्टेशन जाकर उसने अपने शोषण की रिपोर्ट लिखाई.
वहीं बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने भी अपने साथ घटी घटनाओं के बारे में बताया. स्वरा बताती हैं कि छेड़छाड़ और शोषण का सामना उन्हें दिल्ली में भी करना पड़ा था और मुंबई में भी. मतलब जगह से कोई फर्क नहीं पड़ता. लड़की के लिए हर जगह, हर समाज एक सा ही होता है. बस थोड़ा कम या थोड़ा ज्यादा का फर्क होता है.
स्वरा ने खुलासा किया कि 2015 में रिलीज हुई 'प्रेम रतन धन पायो' की शूटिंग के समय सलमान खान और उनके बॉडीगार्ड की मौजूदगी के बावजूद छेड़छाड़ की गई थी. स्वरा ने अपने साथ घटी छेड़छाड़ की एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि- 'एक बार जब मैं मुंबई लोकल में यात्रा कर रही थी तभी एक नशेड़ी आदमी ट्रेन मे चढ़ा. जब मैं मुड़ी तो मैने देखा कि वो मास्टरबेट कर रहा है. मैं उसपर चिल्लाने लगी और अपने छाते से उसे मारने लगी. मैंने उसका कॉलर पकड़ने की कोशिश की क्योंकि मुझे पता था कि ट्रेन चलते ही वो भाग जाएगा. लेकिन वो छुड़ाकर भाग गया.'
प्रेम रतन धन पायो की शूटिंग के समय हुई थी शिकार
इन मामलों को देखकर लगता है कि किसी सनकी, सिरफिरे और मानसिक रूप से विकृत इंसान के लिए सिर्फ ये चीज मायने रखती है कि सामने कौन है. बस वो लड़की होनी चाहिए, इसके बाद ना तो उसकी उम्र से फर्क पड़ता है, ना ही जाति से. ना धर्म से, ना ही रहन-सहन से.
ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि आखिर कैसे इन घटिया लोगों को इतनी हिम्मत मिलती है कि वो खुलेआम लड़कियों के साथ इस तरह की बदतमीजियां कर सकें. आखिर क्यों इन लोगों को कानून की परवाह नहीं होती? तो इसका साफ और सीधा सा जवाब है हम लड़कियों की चुप्पी. हम लड़कियों का दबना. हर चीज चुपचाप सहन कर जाना.
एक बार पलटकर छेड़ने वाले को जवाब दीजिए फिर देखिए बदलाव. इनके होश ठिकाने लाने के लिए सिर्फ एक ही तरीका है और वो है जैसे को तैसा.
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