पूल नहीं है कूल! बीमारियों की है जड़
पूल में जाने के बाद हमारे शरीर के पसीने, धूल, तेल सब कुछ पूल के पानी में घुल जाते हैं. इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि अमूमन ज्यादातर पूल गंदे या फिर कंटामिनेटेड होते हैं. पूल में जाने से पहले अपनाएं ये कुछ बातें, सेहतमंद रहेंगे.
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सूरज चाचू जब आग उगल रहें हों तो गर्मी में ठंडी का अहसास पाने के लिए स्वीमिंग क्लास और स्वीमिंग पूल की डिमांड बढ़ना लाजमी है. और जैसे हर चीज के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं स्वीमिंग पूल में कूद-कूदकर ठंडक लेने के भी अपने साइडईफेक्ट हैं.
आइए आपको बताते हैं एक सर्वे के जरिए जारी की गई स्वीमिंग पूल की हकीकत. वाटर क्वालिटी एंड हेल्थ काउंसिल के एक सर्व में पाया गया कि-
1- हर चार में से एक वयस्क मतलब की 25 प्रतिशत लोग डायरिया यानी की पेट खराब होने के एक घंटे के बाद ही स्वीमिंग पूल में आ जाते हैं.
2- 52 प्रतिशत यानी की आधे वयस्क स्वीमिंग पूल में जाने के पहले कभी-कभार ही या फिर कभी स्नान नहीं करते.
3- 5 में से 3 (60 प्रतिशत) वयस्कों ने ये बात मानी कि स्वीमिंग पूल में जाने के बाद वो उसके पानी को पी लेते हैं.
ये तो हुई सर्वे की बात. अब आपको बताते हैं कि स्वीमिंग पूल में आखिर कौन-कौन से कीटाणु पाए जाते हैं जो हमें बीमार कर सकते हैं. पूल में जाने के बाद हमारे शरीर के पसीने, धूल, तेल सबकुछ पूल के पानी में घुल जाते हैं. इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि अमूमन ज्यादातर पूल गंदे या फिर कंटामिनेटेड होते हैं.
हालांकि पूल में पाए जाने वाले कुछ कीटाणु ऐसे होते हैं जो हमें ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं, इन्हें पैथोजेन या फिर रोगाणु कहते हैं. इसके साथ-साथ बैक्टेरिया, वाइरस और कई तरह के कीटाणु होते हैं जो हमें बीमार करने के लिए काफी होते हैं.
तो चलिए आपको स्वीमिंग पूल में जाने के पहले के कुछ नियम-कायदे बता दें-
डायरिया होने के 14 दिनों तक स्वीमिंग पूल में ना जाएं
कृप्या ध्यान दें
हर 4 में से 1 वयस्क डायरिया होने के एक घंटे के अंदर ही पूल में चले जाते हैं. जबकि सच्चाई ये है कि डायरिया होने के बाद लोगों को 14 दिनों तक स्वीमिंग पूल में नहीं जाना चाहिए. क्योंकि डायरिया के रोगाणु को शरीर से हटने में इतना समय तो लगता ही है. यहां तक की अगर वयक्ति को डायरिया के लक्षण नहीं हैं तो भी शरीर में कीटाणु रहते ही हैं.
दुर्भाग्य ये है कि डायरिया के बाद दो हफ्तों तक स्वीमिंग पूल में नहीं जाने वाला नियम अधिकतर लोगों को या तो पता नहीं होते या फिर उसको वो फॉलो नहीं करते. लगभग 90 लाख लोग हर साल स्वीमिंग पूल में जाते हैं जिनमें से 25 प्रतिशत लोग डायरिया होने के ठीक बाद स्वीमिंग पूल में जाते हैं.
डायरिया के कीटाणु पूरे पूल को गंदा कर सकते हैं और बाकी लोगों को बीमार कर सकते हैं
ये तो हम सभी को पता है कि स्वीमिंग पूल में लोगों के मल और मूत्र का अंश मौजूद होता है. औसतन हर वयस्क लगभग 0.14 ग्राम मल हर बार पूल में जाने के बाद निर्वासित करते हैं. बच्चे इससे ज्यादा मात्रा में मल स्वीमिंग पूल में निर्वासित करते हैं.
लेकिन डायरिया के मल में कई तरह के बैक्टेरिया, वायरस और पारासाइट जैसे रोगाणु पाए जाते हैं. ये कीटाणु दूषित पानी, खाना, गंदे फर्श से फैलते हैं. लेकिन सबसे खतरनाक होते हैं क्रिप्टोस्पोरिडियम नाम का पारासाइट. क्रिप्टोस्पोरिडियम डायरिया और पूल में बीमारी के मुख्य कारण होते हैं. यहां तक की ये पारासाइट पूल के पानी को पी लेने से भी फैल जाते हैं.
क्रिप्टोस्पोरिडियम पर क्लोरीन का भी असर नहीं होता
एक रिपोर्ट के अनुसार क्रिप्टो की उपरी सतह बहुत कठोर होती है जिसकी वजह से ये कीटाणु क्लोरीन डालने के बाद भी पूल में मौजूद होते हैं. यहां तक की 10 दिनों तक वो पूल में मौजूद रहते हैं.
पूल में जाने के पहले नहा लेने से गंदगी का रिस्क कम हो जाता है
पूल में जाने से पहले नहा लें
अगर आप पूल में जाने के पहले नहाते नहीं हैं तो उसे एक कीटाणुओं और गंदगी से भरा एक बाथटब बना देते हैं. पसीने, सनस्क्रीन, स्कीन और बालों के प्रोडक्ट से क्लोरीन का असर खत्म हो जाता है.
पूल के पानी को ना पीएं
स्वीमिंग करते समय कई तरीकों से पानी मुंह में चला जाता है. जिससे हर संभव बचना चाहिए.
तो आगे से स्वीमिंग पूल की ठंडक लेने जाएं तो उपर की बातों का ख्याल रखें और अपने साथ-साथ और लोगों की सेहत भी अच्छी रखने में मदद करें.
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