एशियाई पर्यटकों को स्विट्जरलैंड क्यों सिखा रहा है टॉयलेट में बैठने का तरीका!
हम आज डिजिटल होने की बात कर रहे हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि अपने सिविक सेंस के मामले में हम अब भी कई देशों से पीछे हैं. इसमें भारत सहित कई एशियाई देश शामिल हैं.
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हम आज डिजिटल होने की बात कर रहे हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि अपने सिविक सेंस के मामले में हम अब भी कई देशों से पीछे हैं. इसमें भारत सहित कई एशियाई देश शामिल हैं. कोई दो राय नहीं कि इसके लिए हमें कई बार आलोचना और शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है. स्विट्जरलैंड में ऐसा ही एक मामल सामने आया है जो हमारी खराब सिविक सेंस पर हमें आईना दिखा रहा है.
क्या है मामला
स्विट्जरलैंड की एक रेलवे कंपनी सार्वजनिक शौचालयों में गंदगी से परेशान है. खास बात यह है कि ज्यादातर मामलों में गंदगी करने के दोषी एशिया और मध्य पूर्व से आने वाले पर्यटक ही होते हैं. अब इस समस्या से निपटने के लिए कंपनी ने एक नया तरीका अपनाया है. वह ग्राफिक्स के जरिए इन पर्यटकों को टॉयलेट के पैन पर बैठने का सही तरीका बताएगी.
इन ग्राफिक्स तस्वीरों को स्विट्जरलैंड के मशहूर पर्यटन स्थल स्विस एल्पस के माउंट रिजी जाने वाले ट्रेनों में लगाया गया है. इसके जरिए बताया गया है कि पर्यटक पाश्चात्य टॉयलेट पैनों पर दोनों पांव रख कर बैठने की बजाए सामान्य पोजिशन में बैंठे. साथ ही टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल के बाद उन्हें कहां फेंका जाए, इस बारे में भी जानकारी दी गई है.
स्विट्जरलैंड के टूरिस्ट बोर्ड ने यह भी कहा है कि कई पर्यटक स्नान करने वाली जगह पर भी मल त्याग देते हैं जिससे उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है.
यह पहला मामला नहीं है जब किसी देश ने इस प्रकार की मुहिम शुरू की है. इससे पहले, पिछले साल लंदन में भी टॉयलेट इस्तेमाल से संबंधित निर्देश दिए एक बैंक द्वारा जारी किए गए थे.
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