Tablighi Jamaat को लेकर निगेटिव मत बनिए, पॉजिटिव रहिए
तब्लीग़ी जमात (Tablighi Jamaat) के निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Masrkaz) को लेकर लगातार ख़बरें आ रही हैं. कहा जा रहा है कि तब्लीगी ऐसा बहुत कुछ कर रहे हैं जो इंसानियत को शर्मसार कर रहा है. सवाल ये है कि क्या अब जमातियों को उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए?
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तब्लीग़ी जमात (Tablighi Jamaat) के निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) से निकले बुद्धिजीवियों को लेकर कई समाचार लगातार आए. वे डॉक्टर-नर्स को बेइज्जत कर रहे हैं. उन पर थूक रहे हैं. मल-मूत्र विसर्जन खुलकर कर रहे हैं. यहां तक कि निर्वस्त्र हुए हैं. एक साथ नमाज में खड़े हैं. कोई हिदायत नहीं मान रहे. उन्हें दाल-रोटी नहीं, चिकन-बिरयानी की याद आ रही है. वगैरह-वगैरह. कुछ लोगों ने इन खबरों को मीडिया (Media) के कुछ लोगों की साजिश और झूठी बताया. किसी वेबसाइट पर उन्हें निर्दोष बताने वाली पोस्ट भी चिपकाईं. इन्हें पढ़कर एक भारतीय के रूप में मेरा हृदय परिवर्तन हो गया है. मेरा दृढ़ विश्वास हो गया है कि ये सब चालबाजियां हैं. वे बिल्कुल ऐसा नहीं कर रहे होंगे. हमें ऐसे संकट में सकारात्मक होना चाहिए. तो वे कर क्या रहे होंगे, सकारात्मक दृष्टिकोण से दृश्य कुछ ऐसा होना चाहिए. मरकज के अनुशासित अनुयायी एकांत उपलब्ध होने के बाद से ही निर्विकार हैं. हरेक दो मीटर की दूरी बनाकर पद्मासन में विराजमान हैं. प्रात: उन्हें दलिया दिया गया तो आहार को करबद्ध करके ग्रहण नहीं किया, क्योंकि वे साधना में रत रहना चाहते थे. उपचार में लगे दल के सदस्य उनकी साधना देखकर चकित हैं.
जावेद महर्षिजी प्रणीत भावातीत ध्यान कर रहे हैं. मोहसिन ओशो के नादब्रह्म और डायनामिक में रमे हैं. फरहान को सत्यनारायण गोयनका का विपश्यना अधिक प्रभावशाली लगा है. गफूर तो बाबा रामदेव का दीवाना निकला, दिन भर योगासन. सादिक ने कहा कि वह तो ओंकार मंत्र का जाप करेगा. फरीद ने महामृत्युंजय का अद्भुत उच्चारण कर पूरे भवन की आभा ही बदल दी है. इनके वीडियो वायरल होने के बाद देश के अलग-अलग स्थानों पर एकांत में भेजे गए मरकजी-महानुभावों पर भी आश्चर्यजनक रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
लखनऊ में इरशाद ने कल संध्या समय अपना मौन व्रत तोड़ते हुए कहा कि उनकी कुंडलिनी का द्वितीय चक्र जागृत हो गया है. आजमगढ़ का अब्दुल्ला स्वयं को आज्ञा चक्र पर केंद्रित किए हुए है. बहराइच में बुरहान वैराग्य को प्राप्त हो गए हैं. अपनी जीवन भर की संपत्ति प्रधानमंत्री केयर फंड को भिजवाते हुए उन्होंने सब ठीक होने पर शेष जीवन व्यतीत करने के लिए हिमालय में जाने की इच्छा प्रकट की है. गोंडा के अल्ताफ गोमूत्र पान कर रहे हैं. उन्होंने आजीवन गोसेवा का संकल्प धारण किया है.
हालात ऐसे हैं कि हमें तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों को नफरत से देखना छोड़ देना चाहिए
कानपुर में कमालुद्दीन मोबाइल पर दोनों समय स्नान ध्यान करके रामायण देख रहे हैं. शेष समय वे अलीगढ़ के शर्मा बंधुओं के भजनों का श्रवण करते हैं. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इन सभी एकांत आवासगृहाें पर नियुक्त सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों ने शासन और जमात का अनुग्रह व्यक्त किया है. उन्होंने कोरोना के दूसरे वर्गों के संदिग्धों की जांच से विनम्रतापूर्वक इंकार कर दिया है.
मोगरे की सुगंधित स्याही से एक ज्ञापन में उन्होंने लिखा है कि तब्लीगियों की तीक्ष्ण प्रतिभा में उन्हें भारत की सुगंध आ रही है. भारत के अध्यात्म की आभा उन कक्षों से फूट रही है, जहां वे हैं. हम अपने घरों, क्लिनिकों, कार्यालयों और अस्पतालों की तुलना में इनके आगमन से अधिक स्वस्थ और सकारात्मक महसूस कर रहे हैं. अत: अन्य वर्गों के रोगियों के उपचार के लिए शासन वैकल्पिक व्यवस्था करे.
इसी बीच 1008 मौलाना मोहम्मद साद का एक और वीडियो प्रसारित हुआ है. इसमें वे बहुत भावुक होकर मंच से अपने सामने विराजित भक्तजनों से माफी मांगने को कह रहे हैं. उनका उपदेश सुनकर मंच पर ही मौजूद कई मरकजियों का ह्दय भर आया है. वे फूट-फूटकर रोते हुए क्षमायाचना कर रहे हैं. अपने गुनाहों की माफी जैसा कुछ दृश्य है.
आवाज स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन मेरे सकारात्मक दृष्टिकोण में वे सब अपने महान् पूर्वजों का पुण्य स्मरण कर रहे हैं. पूर्वजों को याद करके उनके ह्दय और नेत्र दोनों भर आए हैं. वे जैसे गहरे पश्चाताप से भरे हैं. वीडियो छोटा सा है. इतना ही है. काश मैं इनमें से किसी से पूछ पाता कि ह्दय की गहराइयों से मांगी गई इस क्षमा याचना में किन पूर्वजों का स्मरण आया? कल्पना की उड़ानें कितनी सुखद हैं.
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