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Updated: 04 जुलाई, 2017 04:15 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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कश्मीर में सेना या पुलिस द्वारा आतंकियों को मार गिराना कोई नई बात नहीं है. आए दिन टीवी और समाचार पत्रों के जरिये हम ये देखते हैं कि फलां आतंकवादी को पुलिस में फायरिंग में ढेर कर दिया है. राज्य में जिस तरह सेना और पुलिस द्वारा आतंकियों का खात्मा करके आतंकवाद पर नकेल कसी जा रही है उसके लिए निस्संदेह ही सेना और पुलिस की सराहना होनी चाहिए. जहां एक तरफ कश्मीर से आ रहीं ऐसी खबरें एक आम भारतीय को सुकून देतीं हैं तो वहीं उसका दिल तब बैठ जाता है जब वो किसी दहशतगर्द के जनाजे में जिंदाबाद के नारों के बीच कश्मीर की आवाम को देखता है.

जी हां बिल्कुल सही सुना आपने खबर है कि कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षाबलों द्वारा मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी बशीर लश्करी के जनाजे में शहर के हजारों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. साथ ही लोगों ने भारतीय सेना के विरुद्ध नारे भी लगाए. बताया ये भी जा रहा है कि जनाजे में पहुंचे कुछ लोगों ने बंदूकें चलाकर 10 लाख के इस इनामी आतंकी को सलामी भी दी.

ज्ञात हो कि सुरक्षा बलों द्वारा मारा गया लश्कर कमांडर बशीर लश्करी बीते माह अचबल में पुलिस फोर्स पर हुए हमले में शामिल था. वही हमला जिसमें एसएचओ फिरोज अहमद डार समेत 6 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे.

कश्मीर, आतंकी, शवयात्रातो क्या माना जाए कि आतंकियों की शवयात्रा में जाने से ही बचती है आम कश्मीरी की जानलश्करी जैसे कुख्यात आतंकी को हमारी सेना ने मार गिराया है इसकी तारीफ होनी चाहिए मगर इस मौत पर जो वहां की आवाम ने किया वो निंदनीय है. एक आतंकी की मौत पर जहाँ एक तरफ क्रोध आता है तो वहीं कई प्रश्न भी उठते हैं जो ये सोचने पर विवश करते हैं कि कहीं इस भीड़ में उपस्थित कुछ लोगों का उद्देश्य अपनी जान बचाना तो नहीं है. बात बहुत साफ है, कश्मीर जैसा खूबसूरत राज्य अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है, बढ़ता आतंकवाद और पाकिस्तान परस्ती राज्य की एक गंभीर समस्या है. राज्य की खस्ताहाली में जो कमी रह गयी थी उसे मीरवाइज उमर फारूक जैसे कट्टरपंथी नेताओं ने पूरा कर दिया है.

आज हालत ये है कि मीर वाइज जैसे नेता लगातार अपनी रैलियों में इस बात का ऐलान कर रहे हैं कि वही कश्मीरियों के दर्द को समझते हैं और उनके हिमायती हैं और अगर लोगों ने उनका साथ दिया तो वो एक दिन कश्मीर को आजादी दिला देंगे. मीर वाइज जैसे नेता कश्मीर को आजादी दिलाकर कहां ले जाएंगे ये शायद वो खुद न जानते हों मगर जिस तरह वो देश से नफरत करने वालों को टार्गेट कर रहे हैं वो एक अलग चिंता का विषय है.

कहा जा सकता है कि शायद एक आम कश्मीरी के लिए इन कट्टरपंथियों से अपनी जान बचाने का रास्ता बुरहान और आतंकी बशीर के जनाजे में शामिल होने से ही मिलता है और देखा जाए तो ऐसे जनाजों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना उनके लिए केवल मजबूरी हो. अंत में हम हम यही कहेंगे कि एक आम कश्मीरी किसी आतंकी के जनाजे में क्यों जा रहा है ये एक रहस्य है जिसपर से पर्दा जल्द से जल्द उठाना चाहिए ताकि कई राज खुल के हमारे सामने आ सकें और हम हकीकत से रू-ब-रू हो सकें. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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